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Chandigarh-Haryana News: प्राइवेट बस मालिकों को करोड़ों की भरपाई, रोडवेज कर्मचारियों को बोनस तक नहीं
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- हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने बैठक में दोहरी नीति पर आक्रोश जताया
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन की बैठक में कर्मचारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि कोरोनाकाल में हुए प्राइवेट बस मालिकों के घाटे की भरपाई की गई लेकिन रोडवेज कर्मियों को बोनस और ओवरटाइम तक नहीं दिया गया। यूनियन की राज्य प्रधान नरेंद्र दिनोद की अध्यक्षता और महासचिव सुमेर सिवाच के संचालन में हुई बैठक में कर्मचारियों ने सरकार की दोहरी नीति पर आक्रोश जताया।
बैठक में कहा गया कि प्राइवेट ऑपरेटरों को प्रति बस करीब सात लाख रुपये की दर से कुल 49 करोड़ रुपये से अधिक राशि दी गई जबकि अनुबंध की शर्तों के अनुसार प्राकृतिक आपदा के समय कोई भुगतान नहीं होना चाहिए था। कर्मचारियों ने कहा कि कोरोनाकाल में रोडवेज ने मजदूरों को घर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई लेकिन सरकार ने न ओवरटाइम दिया और न महंगाई भत्ते की 17 फीसदी बढ़ोतरी लागू की। यूनियन पदाधिकारियों ने आरोप लगाया गया कि सरकार ने वाशिंग अलाउंस, टीए और मेडिकल बिल भी रोक दिए हैं। 10 साल से बोनस लंबित है। यूनियन ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने यह दोहरी नीति जारी रखी तो कर्मचारी आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन की बैठक में कर्मचारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि कोरोनाकाल में हुए प्राइवेट बस मालिकों के घाटे की भरपाई की गई लेकिन रोडवेज कर्मियों को बोनस और ओवरटाइम तक नहीं दिया गया। यूनियन की राज्य प्रधान नरेंद्र दिनोद की अध्यक्षता और महासचिव सुमेर सिवाच के संचालन में हुई बैठक में कर्मचारियों ने सरकार की दोहरी नीति पर आक्रोश जताया।
बैठक में कहा गया कि प्राइवेट ऑपरेटरों को प्रति बस करीब सात लाख रुपये की दर से कुल 49 करोड़ रुपये से अधिक राशि दी गई जबकि अनुबंध की शर्तों के अनुसार प्राकृतिक आपदा के समय कोई भुगतान नहीं होना चाहिए था। कर्मचारियों ने कहा कि कोरोनाकाल में रोडवेज ने मजदूरों को घर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई लेकिन सरकार ने न ओवरटाइम दिया और न महंगाई भत्ते की 17 फीसदी बढ़ोतरी लागू की। यूनियन पदाधिकारियों ने आरोप लगाया गया कि सरकार ने वाशिंग अलाउंस, टीए और मेडिकल बिल भी रोक दिए हैं। 10 साल से बोनस लंबित है। यूनियन ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने यह दोहरी नीति जारी रखी तो कर्मचारी आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
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