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    हत्या मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला: पिता-पुत्र को सुनाई आजीवन कारावास की सजा, जमीनी विवाद में की थी हत्या
 
            	    संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल             
                              Published by: शाहिल शर्मा       
                        
       Updated Thu, 30 Oct 2025 07:47 PM IST
        
       
            सार 
            
            
        
                                    
                हत्या के मामले में कोर्ट ने पित्रा-पुत्र को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जमीनी विवाद के मामले को लेकर यह हत्या की गई थी। 17 गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद कोर्ट ने यह सजा सुनाई है।
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                        हत्या मामले में पित्रा-पुत्र को आजीवन कारावास की सजा
                                    - फोटो : सांकेतिक तस्वीर 
                    
    
        
    
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विस्तार
एडीजे डॉ. नंदिता कौशिक की अदालत ने हत्या के एक मामले में पिता और पुत्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने पर दोनों दोषियों को छह-छह महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
 
मामले में एक अपचारी नाबालिग भी शामिल था, जिसे 21 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक मधुबन स्थित सुरक्षा-स्पेशल होम में रखने के आदेश दिए गए हैं। इसके बाद उसे न्यायालय के आदेशानुसार जेल भेजा जाएगा। अदालत ने जुर्माने की राशि मृतक की पत्नी को देने और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पीड़िता को उचित मुआवजा दिलवाने के निर्देश दिए हैं।
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            यह था मामला
पूजा देवी ने थाना कलायत में अपने पति की हत्या के मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत के अनुसार, मृतक का अपने बड़े भाई (जेठ) के साथ प्लॉट के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा था। इस विवाद को सुलझाने के लिए कई बार पंचायतें भी हुईं, लेकिन समाधान नहीं निकल सका। 24 मार्च 2024 को हुई पंचायत के दौरान आरोपी पिता-पुत्र बीच में ही धमकी देकर चले गए। उसी रात वे मृतक को अपने साथ बुलाकर ले गए। जब पूजा देवी मौके पर पहुंची तो उसने देखा कि दोनों ने उसके पति को कमरे में बंद कर रखा था। जब उसने दरवाजा खोला तो जेठ ने उसके पति को पकड़ा हुआ था और उसका बेटा उसके पेट में छुरी मार रहा था।
घायल को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर चालान अदालत में पेश किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और 17 गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद अदालत ने पिता-पुत्र को दोषी करार देते हुए अपने 54 पन्नों के फैसले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।