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Palwal News: दिवाली के बाद पलवल की हवा में जहर, एक्यूआई 338 पार, तीन जगहों पर आग
संवाद न्यूज एजेंसी, पलवल
Updated Tue, 21 Oct 2025 11:21 PM IST
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25 से अधिक आंखों और 6 से अधिक कान के मरीज पहुंचे अस्पताल
संवाद न्यूज एजेंसी
पलवल। दिवाली की रौनक के बाद शहर की हवा में जहर घुल गया है। दीपों की चमक भले ही लोगों के चेहरों पर खुशी लाई हो, लेकिन आसमान में उड़ते धुएं और रासायनिक गैसों ने पलवल की हवा को खतरनाक बना दिया। चार साल बाद पहली बार ग्रीन पटाखों की अनुमति मिलने के बाद, इस बार प्रदूषण का स्तर बीते वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ा है। पिछले साल दिवाली के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 116 था, जबकि इस बार यह 338 तक पहुंच गया, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्तर सांस, आंख और कान से जुड़ी बीमारियों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
आंखों और कान के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी
सिविल अस्पताल में रविवार रात से सोमवार सुबह तक 25 से अधिक मरीज आंखों में जलन, लालिमा, पानी आने और सूजन जैसी शिकायतें लेकर पहुंचे। इनमें अधिकांश 30 से 40 वर्ष की उम्र के लोग थे। वहीं, चार से पांच युवा (15 से 20 वर्ष) पटाखों के संपर्क में आने से आंखों में जलन और हल्की चोटों के कारण भर्ती किए गए। इसके अलावा, छह वर्षीय एक बच्चे के कान में पटाखे के धमाके से झनझनाहट और दर्द की शिकायत दर्ज की गई। डॉक्टरों ने बच्चे का प्राथमिक उपचार कर उसे निगरानी में रखा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिछले 24 घंटे में आंख और कान से संबंधित मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना बढ़ी है।
तीन जगहों पर आगजनी की घटनाएं
फायर स्टेशन अधिकारी लेखराम के अनुसार, दिवाली की रात तीन जगह आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। पहला मामला महेशपुर गांव का था, जहां एक कार में आग लग गई और फायर कर्मियों ने अंदर फंसे व्यक्ति को सुरक्षित बाहर निकाला। दूसरी घटना नूंह रोड स्थित ईरा ग्रुप के पास हुई, जहां ज्वार की करवी में आग भड़क उठी। तीसरी घटना देवली गांव की रही, जहां बिटोड़े और लकड़ियों के ढेर में आग लग गई। तीनों घटनाओं में फायर विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आग पर काबू पा लिया, जिससे बड़ा नुकसान होने से टल गया।
एक्यूआई 338 बहुत खराब श्रेणी में आता
इस बार पटाखों का अत्यधिक प्रयोग, वाहनों का धुआं और मौसम की नमी ने मिलकर प्रदूषण को खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया। एक्यूआई 338 बहुत खराब श्रेणी में आता है, जिससे सांस, गले और आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि वे आने वाले दिनों में मास्क पहनकर बाहर निकलें, आंखों को ठंडे पानी से धोएं, पर्याप्त पानी पिएं और प्रदूषित इलाकों में कम से कम समय बिताएं।
पटाखों की रासायनिक गैसें और शोर पहुंचा रहे नुकसान
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. ऋषि ने बताया कि पटाखों में प्रयुक्त रासायनिक तत्व पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर और मैग्नीशियम आंखों की नाज़ुक झिल्ली को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि लोग पटाखे जलाते समय कम से कम 2 से 3 फीट की दूरी बनाए रखें। यदि आंख में बारूद या धुआं चला जाए तो साफ कपड़े से हल्के हाथों से पोछें और सामान्य एंटीबायोटिक आई ड्रॉप डालें। किसी भी स्थिति में आंखों को रगड़ें नहीं और तुरंत नज़दीकी अस्पताल पहुंचें। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. शिल्पी अरोड़ा ने कहा कि 140 डेसिबल से अधिक शोर पैदा करने वाले पटाखे बच्चों और बुजुर्गों के कानों के लिए हानिकारक हैं। कान में लगातार आवाज़ या झनझनाहट महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि कान में तेल या पानी डालने जैसी घरेलू उपाय विधियां न अपनाएं, इससे संक्रमण बढ़ सकता है।

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संवाद न्यूज एजेंसी
पलवल। दिवाली की रौनक के बाद शहर की हवा में जहर घुल गया है। दीपों की चमक भले ही लोगों के चेहरों पर खुशी लाई हो, लेकिन आसमान में उड़ते धुएं और रासायनिक गैसों ने पलवल की हवा को खतरनाक बना दिया। चार साल बाद पहली बार ग्रीन पटाखों की अनुमति मिलने के बाद, इस बार प्रदूषण का स्तर बीते वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ा है। पिछले साल दिवाली के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 116 था, जबकि इस बार यह 338 तक पहुंच गया, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्तर सांस, आंख और कान से जुड़ी बीमारियों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
आंखों और कान के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी
सिविल अस्पताल में रविवार रात से सोमवार सुबह तक 25 से अधिक मरीज आंखों में जलन, लालिमा, पानी आने और सूजन जैसी शिकायतें लेकर पहुंचे। इनमें अधिकांश 30 से 40 वर्ष की उम्र के लोग थे। वहीं, चार से पांच युवा (15 से 20 वर्ष) पटाखों के संपर्क में आने से आंखों में जलन और हल्की चोटों के कारण भर्ती किए गए। इसके अलावा, छह वर्षीय एक बच्चे के कान में पटाखे के धमाके से झनझनाहट और दर्द की शिकायत दर्ज की गई। डॉक्टरों ने बच्चे का प्राथमिक उपचार कर उसे निगरानी में रखा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिछले 24 घंटे में आंख और कान से संबंधित मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना बढ़ी है।
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तीन जगहों पर आगजनी की घटनाएं
फायर स्टेशन अधिकारी लेखराम के अनुसार, दिवाली की रात तीन जगह आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। पहला मामला महेशपुर गांव का था, जहां एक कार में आग लग गई और फायर कर्मियों ने अंदर फंसे व्यक्ति को सुरक्षित बाहर निकाला। दूसरी घटना नूंह रोड स्थित ईरा ग्रुप के पास हुई, जहां ज्वार की करवी में आग भड़क उठी। तीसरी घटना देवली गांव की रही, जहां बिटोड़े और लकड़ियों के ढेर में आग लग गई। तीनों घटनाओं में फायर विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आग पर काबू पा लिया, जिससे बड़ा नुकसान होने से टल गया।
एक्यूआई 338 बहुत खराब श्रेणी में आता
इस बार पटाखों का अत्यधिक प्रयोग, वाहनों का धुआं और मौसम की नमी ने मिलकर प्रदूषण को खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया। एक्यूआई 338 बहुत खराब श्रेणी में आता है, जिससे सांस, गले और आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि वे आने वाले दिनों में मास्क पहनकर बाहर निकलें, आंखों को ठंडे पानी से धोएं, पर्याप्त पानी पिएं और प्रदूषित इलाकों में कम से कम समय बिताएं।
पटाखों की रासायनिक गैसें और शोर पहुंचा रहे नुकसान
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. ऋषि ने बताया कि पटाखों में प्रयुक्त रासायनिक तत्व पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर और मैग्नीशियम आंखों की नाज़ुक झिल्ली को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि लोग पटाखे जलाते समय कम से कम 2 से 3 फीट की दूरी बनाए रखें। यदि आंख में बारूद या धुआं चला जाए तो साफ कपड़े से हल्के हाथों से पोछें और सामान्य एंटीबायोटिक आई ड्रॉप डालें। किसी भी स्थिति में आंखों को रगड़ें नहीं और तुरंत नज़दीकी अस्पताल पहुंचें। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. शिल्पी अरोड़ा ने कहा कि 140 डेसिबल से अधिक शोर पैदा करने वाले पटाखे बच्चों और बुजुर्गों के कानों के लिए हानिकारक हैं। कान में लगातार आवाज़ या झनझनाहट महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि कान में तेल या पानी डालने जैसी घरेलू उपाय विधियां न अपनाएं, इससे संक्रमण बढ़ सकता है।