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Kangra News: कांगड़ा बस अड्डे पर कंस्ट्रक्शन कंपनी का कब्जा बरकरार, सरकार की झोली खाली; जानें पूरा मामला

प्रवीण प्रकाश कुमार, धर्मशाला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Thu, 23 Oct 2025 02:56 PM IST
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सार

एचआरटीसी को कांगड़ा बस अड्डा कंस्ट्रक्शन कंपनी की 26 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, लेकिन लंबे समय से भुगतान न होने के कारण यह बस अड्डा अब भी कंस्ट्रक्शन कंपनी के नियंत्रण में है। 

Construction company retains possession of Kangra bus stand government loss
कांगड़ा बस अड्डा। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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कांगड़ा बस अड्डा जो हिमाचल पथ परिवहन निगम के अधीन आने वाला था, अब एक बड़ा विवाद बन चुका है। दरअसल, एचआरटीसी को बस अड्डा कंस्ट्रक्शन कंपनी की 26 करोड़ रुपये का भुगतान करना है लेकिन लंबे समय से भुगतान न होने के कारण यह बस अड्डा अब भी कंस्ट्रक्शन कंपनी के नियंत्रण में है। इससे न केवल एचआरटीसी बल्कि राज्य सरकार को भी हर माह लाखों रुपये की आमदनी से वंचित रहना पड़ रहा है। पठानकोट, चंबा, जसूर, बैजनाथ, पालमपुर, नगरोटा बगवां और धर्मशाला बस डिपो से शिमला व हमीरपुर और प्रदेश से गुजरती हैं। बाहर के रूटों पर चलने वाली अधिकतर बसें सरकारी और निजी बसें कांगड़ा अड्डा से होकर ही एंट्री एवं पार्किंग शुल्क के तौर पर इस बस अड्डा से निजी कंपनी को मोटी कमाई हो रही है।

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कांगड़ा बस अड्डा बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) योजना के तहत बनाया गया था। इसमें निर्धारित अवधि के बाद यह कंस्ट्रक्शन कंपनी से एचआरटीसी के अधीन आना था लेकिन अब कंपनी और एचआरटीसी के बीच विवाद खड़ा हो गया है, जिसके कारण यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया। आर्बिट्रेशन के बाद यह तय हुआ था कि एचआरटीसी को करीब 26 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा, जिसके बाद बस अड्डा निगम के अधीन आ जाएगा। लेकिन एचआरटीसी अब तक यह बड़ी राशि कंस्ट्रक्शन कंपनी को नहीं दे पा रहा है, जिसके कारण कंपनी ने बस अड्डा परिसर में स्थित दुकानों और पार्किंग शुल्क से हर माह लाखों रुपये की कमाई की है। 
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सरकार के समक्ष उठा चुके हैं मुद्दा : वर्मा
राज्य सरकार को इससे एक रुपये को भी आमदनी नहीं हो रही। एचआरटीसी के निदेशक मंडल की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है और सरकार से भुगतान की व्यवस्था करने की अपील की गई थी। सरकार ने भी सहमति जताई थी, लेकिन अब तक भुगतान की कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है। वर्तमान में कांगड़ा बस अड्डे की असमंजसपूर्ण स्थिति एचआरटीसी और राज्य सरकार दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। इस मामले में जब कंपनी संचालक विजय सूद का पक्ष लेना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता विनय शर्मा ने इस मामले में गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बिना किसी स्पष्ट एग्रीमेंट के कंस्ट्रक्शन कंपनी को बस अड्डे का संचालन सौंपने की कार्रवाई पर उन्हें संदेह है और इस जनहित के मुद्दे को वह जल्द ही न्यायालय के समक्ष उठाएंगे।

एचआरटीसी के उपाध्यक्ष अजय वर्मा ने कहा कि कंस्ट्रक्शन कंपनी को 26 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। यह मामला अब सरकार के समक्ष उठाया जा चुका है और उम्मीद है कि जल्द समाधान मिलेगा।
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