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हिमाचल प्रदेश: जुर्माना लगाने के बाद शराब लाइसेंस बहाल करने के पक्ष में नहीं सरकार, दायर की पुनर्विचार याचिका

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Thu, 30 Oct 2025 05:00 AM IST
सार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से लाइसेंस बहाली को लेकर आए फैसले के बाद सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। जानें पूरा मामला...

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Himachal Government not in favor of restoring liquor license after imposing fine filed review petition
हिमाचल प्रदेश सरकार। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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हिमाचल प्रदेश सरकार जुर्माना लगाने के बाद शराब लाइसेंस बहाली के पक्ष में नहीं है। प्रदेश हाईकोर्ट से लाइसेंस बहाली को लेकर आए फैसले के बाद सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। कोर्ट की खंडपीठ ने बीते दिनों एक याचिकाकर्ता कंपनी की चुनौती याचिका पर बहाली का फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि आबकारी अधिनियम की धारा 66 (2) के तहत यदि लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन या शुल्क का भुगतान न करने पर लाइसेंस रद्द या निलंबित किया जाता है तो जुर्माना अदा करने के बाद निलंबन को बाद में रद्द किया जा सकता है।



कोर्ट ने पाया कि लाइसेंस को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित रखने के बजाय अधिकारी आर्थिक जुर्माना लगा सकते थे। बीते दिनों न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि धारा 29 के खंड (क), (ख) और (ग) के तहत लाइसेंस रद्द या निलंबित किए जाने की स्थिति में ऐसा रद्दीकरण या निलंबन जुर्माना अदा करने के बाद रद्द किया जा सकता है। याचिकाकर्ता कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के वित्तीय आयुक्त (आबकारी) की ओर से पारित उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत कंपनी के लाइसेंस (बीएचडब्ल्यू-2, एल-11, एल-1 ए,एल-13सी, एल-15,16) 16 मार्च 2024 से निलंबित कर दिए गए थे।

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आबकारी विभाग की निरीक्षण टीम ने याचिकाकर्ता के बॉटलिंग प्लांट का औचक निरीक्षण किया, जहां टीम को कथित तौर पर प्लांट के अंदर एक ट्रक खड़ा मिला, जिसमें विभिन्न ब्रांडों की शराब की बोतलें भरी हुई थीं। इन्हें भरने का अधिकार याचिकाकर्ता के पास नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार निरीक्षण के दौरान मौजूद व्यक्ति खेप के कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका। इसलिए ट्रक और शराब को जब्त कर लिया गया। हालांकि, अगले दिन जब निरीक्षण टीम प्लांट वापस आई तो अवैध शराब से भरा ट्रक गायब पाया गया और बाद में कथित तौर पर एक सुनसान इलाके में पाया गया। इसके बाद जांच के दौरान मौजूद व्यक्ति के खिलाफ हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत शराब के अनधिकृत कब्जे और परिवहन का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की गई।

कंपनी ने दलील दी कि उसके परिसर में कोई भरी हुई शराब नहीं थी और निरीक्षण मनगढ़ंत था। मौजूद व्यक्ति उसका कर्मचारी नहीं था, बल्कि नवीनीकरण कार्य के लिए नियुक्त एक ठेकेदार था। इसके अलावा कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि वास्तव में इतनी बड़ी मात्रा में शराब जब्त की गई तो निरीक्षण दल को वाहन को उसी व्यक्ति को वापस करने के बजाय पुलिस को सौंप देना चाहिए था। अब आबकारी विभाग ने कोर्ट के समक्ष कुछ और तथ्य रखते हुए मामले पर दोबारा सुनवाई का आग्रह किया है।

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