हिमाचल प्रदेश: चिकित्सा अधिकारी संघ बोला- सोशल मीडिया पर फैन फॉलोइंग बढ़ाने को महिला का पब्लिसिटी स्टंट
उपमंडल तीसा स्थित सिविल अस्पताल के डॉक्टर पर एक महिला ने उनकी दो साल की बच्ची के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप लगाया है। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। इसी बीच हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने आशंका जताई है कि तीसा अस्पताल प्रकरण में डॉक्टर पर आरोप लगाने वाली महिला ने सोशल मीडिया में फैन फॉलोइंग बढ़ाने के इरादे से मामले को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया है।

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हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने आशंका जताई है कि तीसा अस्पताल प्रकरण में डॉक्टर पर आरोप लगाने वाली महिला ने सोशल मीडिया में फैन फॉलोइंग बढ़ाने के इरादे से मामले को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया है। महिला आए दिन सोशल मीडिया पर रील्स डालती रहती हैं।

तीसा में हुई घटना को लेकर शुक्रवार को हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की बैठक डॉ. राजेश राणा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में प्रदेश के राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य एवं विभिन्न जिला के पदाधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में चंबा नागरिक अस्पताल तीसा में कार्यरत चिकित्सक को सोशल मीडिया पर प्रताड़ित किए जाने पर विचार विमर्श किया गया।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि किसी भी घटना की सच्चाई की गहन जांच किए बिना सोशल मीडिया पर प्रताड़ित करना मानवीय अधिकारों का हनन है। इस घटना में एक महिला ने चिकित्सक की संपूर्ण प्रतिष्ठा को सोशल मीडिया के माध्यम से दाव पर लगा दिया है। इस घटना में महिला और चिकित्सक के बीच आमने-सामने कोई वार्ता नहीं हुई।
महिला की ओर से लगाए गए आरोप सोशल मीडिया पर फैन फॉलोइंग बढ़ाने के लिए किया गया पब्लिसिटी स्टंट हो सकता है। जब तक इस मामले की निष्पक्ष जांच सामने नहीं आती, तब तक सोशल मीडिया में चिकित्सक की प्रताड़ित करने पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। महिला द्वारा चिकित्सक पर सोशल मीडिया के माध्यम से बार-बार इल्जाम लगाना और कहना कि चिकित्सक ने उसकी एफआईआर को अपने प्रभाव से रोक रखा है, इसकी भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
महिला द्वारा चिकित्सक की छवि को सोशल मीडिया में खराब करने के प्रयास को भी तुरंत रोका जाना चाहिए। चिकित्सक को थप्पड़ मारने की धमकी देने वाले के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि दंड तय करना न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है, इस तरह से धमकी देना सभ्य समाज के लिए खतरा है। इस प्रकरण की न्यायिक जांच की जानी चाहिए।
चिकित्सा अधिकारी संघ ने प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पर भी सवाल उठाए हैं। कहा है कि नागरिक अस्पताल तीसा में 17 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं और अभी पांच ही चिकित्सक कार्यरत हैं। डाक्टरों को 24 से 36 घंटे तक लगातार ड्यूटी देनी पड़ रही है, यदि वहां 17 चिकित्सक उपलब्ध होते तो इस तरह की घटना होने की संभावना नहीं होती। प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और नागरिक अस्पतालों में चिकित्सकों के पद इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के अनुरूप स्वीकृत नहीं है और अधिकांश में चिकित्सकों का अभाव है। ऐसे में चिकित्सकों को सामान्य 8 घंटे को छोड़कर दिन-रात 12 से 36 घंटे तक कार्य करना पड़ रहा है।
चिकित्सकों को छुट्टी लेते समय ड्यूटी एडजस्ट करना और रविवार तथा सरकारी छुट्टियों में भी अपनी ड्यूटी एडजस्ट करते हुए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में चिकित्सकों को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है और काम का अत्यधिक भार होने से स्वास्थ्य संतुलन पर भी बुरा असर पड़ रहा है।