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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश: दिव्यांग कर्मियों के तबादलों में अब 60 के बजाय 40 फीसदी दिव्यांगता आधार
संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला।
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Thu, 18 Dec 2025 04:00 AM IST
सार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि स्थानांतरण के मामलों में रियायत पाने के लिए अब 60 फीसदी के बजाय 40 फीसदी दिव्यांगता को ही आधार माना जाएगा। पढ़ें पूरी खबर...
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारियों के तबादलों को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि स्थानांतरण के मामलों में रियायत पाने के लिए अब 60 फीसदी के बजाय 40 फीसदी दिव्यांगता को ही आधार माना जाएगा।
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न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत 40 फीसदी दिव्यांगता को बेंचमार्क माना गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार के 2013 के ज्ञापन में लिखी 60 फीसदी की शर्त को अब अधिनियम के अनुसार 40 फीसदी ही पढ़ा जाना चाहिए। कोर्ट ने पूर्व के एक फैसले सीडब्ल्यूपी नंबर 6306/ 2024 का हवाला दिया, जिसे विभाग पहले ही स्वीकार कर चुका है।
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हाईकोर्ट ने विभाग के पुराने आदेश 22 मई 2025 को रद्द करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता के आवेदन पर 40 फीसदी दिव्यांगता के मानक को ध्यान में रखते हुए दोबारा विचार करें। अदालत ने कहा कि सात दिनों के भीतर एक तर्कसंगत आदेश पारित किया जाए। साथ ही याचिकाकर्ता को दो दिनों के भीतर अपनी पसंद के स्टेशनों का विकल्प देने की छूट दी गई है।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि दिव्यांगता के आधार पर किसी कर्मचारी को एक ही स्थान पर जमे रहने का कानूनी अधिकार नहीं मिल जाता। यह मामला सुशील बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य से जुड़ा है। याचिकाकर्ता रामपुर के एक स्कूल में शास्त्री अध्यापक हैं। उन्होंने अपने तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता 40 फीसदी से अधिक दिव्यांग हैं और उन्होंने अपनी शारीरिक स्थिति के आधार पर रामपुर के पास ही किसी स्कूल में नियुक्ति की मांग की थी। शिक्षा विभाग ने याचिकाकर्ता की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि राज्य सरकार की 2013 की स्थानांतरण नीति के अनुसार केवल 60 फीसदी या उससे अधिक दिव्यांगता वाले कर्मचारियों को ही स्थानांतरण में रियायत दी जा सकती है।
पूर्व सैनिकों को पुलिस भर्ती में शामिल करे सरकार : हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पूर्व सैनिकों को पुलिस कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की अदालत ने स्पष्ट किया कि अनुबंध के आधार पर की गई नियुक्ति को स्थायी नागरिक रोजगार नहीं माना जा सकता, इसलिए ऐसे अभ्यर्थी पूर्व सैनिक कोटे के तहत उच्च पदों के लिए पात्र हैं।
अदालत ने पिछले आदेशों और विनोद कुमार बनाम हिमाचल राज्य मामले के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 21 फरवरी 2009 के सरकारी निर्देशों के अनुसार, जब तक किसी पूर्व सैनिक को नियमित नियुक्ति नहीं मिल जाती, तब तक उसका नाम लाइव रजिस्टर में बरकरार रहना चाहिए और वह आरक्षित कोटे का लाभ पाने का हकदार है। बता दें कि अनिल कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओं ने अदालत में गुहार लगाई थी कि उन्हें पुलिस कांस्टेबल की भर्ती में पूर्व सैनिक कोटे का लाभ नहीं दिया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि वे वर्तमान में केवल अनुबंध पर कार्यरत हैं और उन्हें अभी तक कोई नियमित सिविल रोजगार नहीं मिला है।
सुनवाई के दौरान प्रतिवादी सैनिक कल्याण विभाग की ओर से अदालत को सूचित किया कि विभाग ने अपनी गलती सुधार ली है। 15 दिसंबर 2025 को जारी नए कार्यालय निर्देशों के अनुसार, याचिकाकर्ताओं के नामों को अब पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए नामांकित कर दिया गया है। अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए सक्षम प्राधिकारियों को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ताओं के नामांकन के आधार पर भर्ती की आगे की प्रक्रिया को तुरंत पूरा किया जाए और पूर्व सैनिकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पूर्व सैनिकों को पुलिस कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की अदालत ने स्पष्ट किया कि अनुबंध के आधार पर की गई नियुक्ति को स्थायी नागरिक रोजगार नहीं माना जा सकता, इसलिए ऐसे अभ्यर्थी पूर्व सैनिक कोटे के तहत उच्च पदों के लिए पात्र हैं।
अदालत ने पिछले आदेशों और विनोद कुमार बनाम हिमाचल राज्य मामले के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 21 फरवरी 2009 के सरकारी निर्देशों के अनुसार, जब तक किसी पूर्व सैनिक को नियमित नियुक्ति नहीं मिल जाती, तब तक उसका नाम लाइव रजिस्टर में बरकरार रहना चाहिए और वह आरक्षित कोटे का लाभ पाने का हकदार है। बता दें कि अनिल कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओं ने अदालत में गुहार लगाई थी कि उन्हें पुलिस कांस्टेबल की भर्ती में पूर्व सैनिक कोटे का लाभ नहीं दिया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि वे वर्तमान में केवल अनुबंध पर कार्यरत हैं और उन्हें अभी तक कोई नियमित सिविल रोजगार नहीं मिला है।
सुनवाई के दौरान प्रतिवादी सैनिक कल्याण विभाग की ओर से अदालत को सूचित किया कि विभाग ने अपनी गलती सुधार ली है। 15 दिसंबर 2025 को जारी नए कार्यालय निर्देशों के अनुसार, याचिकाकर्ताओं के नामों को अब पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए नामांकित कर दिया गया है। अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए सक्षम प्राधिकारियों को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ताओं के नामांकन के आधार पर भर्ती की आगे की प्रक्रिया को तुरंत पूरा किया जाए और पूर्व सैनिकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
हवाई उड़ानों के निलंबन पर पर्यटन सचिव पक्षकार
हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश के तीन प्रमुख हवाई अड्डों पर उड़ानों के अचानक निलंबन को लेकर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग के प्रधान सचिव को नए प्रतिवादी के रूप में मामले में शामिल करने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने भारत सरकार और नव नियुक्त प्रधान सचिव पर्यटन दोनों को निर्देश दिए हैं कि वे अगली सुनवाई से पहले इस स्थिति पर अपना विस्तृत शपथ पत्र अदालत में दाखिल करें। जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। मामले में नियुक्त न्यायमित्र ने अदालत के समक्ष दस्तावेज पेश किए, जिनसे पता चला कि हिमाचल के हवाई अड्डों के लिए उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं।अदालत को सूचित किया गया कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और प्रधान सचिव (पर्यटन) की अध्यक्षता में 6 नवंबर और 20 नवंबर को दो महत्वपूर्ण बैठकें हुई थी। यह मामला हिमाचल प्रदेश में उड़ानों के बंद होने से संबंधित है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश के तीन प्रमुख हवाई अड्डों पर उड़ानों के अचानक निलंबन को लेकर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग के प्रधान सचिव को नए प्रतिवादी के रूप में मामले में शामिल करने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने भारत सरकार और नव नियुक्त प्रधान सचिव पर्यटन दोनों को निर्देश दिए हैं कि वे अगली सुनवाई से पहले इस स्थिति पर अपना विस्तृत शपथ पत्र अदालत में दाखिल करें। जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। मामले में नियुक्त न्यायमित्र ने अदालत के समक्ष दस्तावेज पेश किए, जिनसे पता चला कि हिमाचल के हवाई अड्डों के लिए उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं।अदालत को सूचित किया गया कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और प्रधान सचिव (पर्यटन) की अध्यक्षता में 6 नवंबर और 20 नवंबर को दो महत्वपूर्ण बैठकें हुई थी। यह मामला हिमाचल प्रदेश में उड़ानों के बंद होने से संबंधित है।