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HP High Court: हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी, सेवानिवृत्त जजों को बकाया न मिलने पर अफसर को जेल भेजने की चेतावनी

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Thu, 18 Dec 2025 03:00 AM IST
सार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के वित्तीय लाभ रोकने के मामले में कहा कि यदि अगली सुनवाई तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। जानें पूरा मामला...

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HP High Court strong remark warning to send the officer to jail if retired judges do not receive their dues
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की निरंतर अवहेलना और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के वित्तीय लाभ रोकने के मामले में राज्य सरकार के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि अगली सुनवाई तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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अदालत ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और उनके परिवारों (विधवाओं) को घरेलू सहायता व टेलीफोन खर्च के बकाये से वंचित रखा जा रहा है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है, जैसे सरकार कोर्ट को गोल-गोल घुमा रही है, जिससे भुगतान से बचा जा सके। अदालत ने वित्त सचिव देवेश कुमार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर फटकार लगाई और उन्हें जेल भेजने की चेतावनी दी है। हालांकि, एडवोकेट जनरल के अनुरोध पर इस आदेश को अगली तारीख तक स्थगित कर दिया गया है।

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मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने राज्य सरकार के उस हलफनामे पर भी आपत्ति जताई, जिसमें चपरासी और ड्राइवर जैसे पदों पर भर्ती के लिए डेली वेज या जॉब ट्रेनी पॉलिसी का जिक्र किया गया था। कोर्ट ने दो टूक कहा कि हाईकोर्ट और जिला स्तर पर संप्रभु कार्यों को एडहॉक, आउटसोर्स या डेली वेज के आधार पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इन कर्मियों पर संबंधित नियमों के तहत सीधा नियंत्रण होना अनिवार्य है।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि प्रदेश में तीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश हमीरपुर, जोगिंद्रनगर, नालागढ़ और 34 सिविल जज की अदालतें खोलने के प्रस्ताव को वित्त विभाग ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। लॉ क्लर्क-कम-रिसर्च असिस्टेंट के पदों और उनके मानदेय को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 40,000 रुपये करने का मामला कैबिनेट के पास भेजा गया है। नए जजों के लिए 13 नए वाहनों की खरीद को भी मंजूरी दे दी गई है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए हैं कि वह सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़ों और वित्त विभाग के दावों का मिलान करें और एक जवाबी हलफनामा दायर करें। अगली सुनवाई 6 जनवरी को तय की गई है।

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