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Delhi Pollution: दिल्ली के सभी 119 रूटों पर दौड़ेंगी HRTC की बसें, ट्रकों से सामान भेजने में हो सकती है दिक्कत

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Thu, 18 Dec 2025 06:00 AM IST
सार

Delhi Air Pollution: दिल्ली में गंभीर प्रदूषण और हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सख्त पाबंदियां लागू की हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने एलान किया है कि गुरुवार से केवल बीएस-6 मानकों वाले वाहन ही दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे। ऐसे में इस नियम के लागू होने से एचआरटीसी के रूटों पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन ट्रकों से सामान भेजने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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HRTC buses will run on all 119 routes in Delhi, but there may be difficulties in transporting goods by trucks
दिल्ली में बढ़ा वायु प्रदूषण - फोटो : PTI
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विस्तार
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वीरवार से दिल्ली में सिर्फ बीएस-6 मानकों वाले वाहनों को ही प्रवेश मिलेगा। इस नियम के लागू होने से एचआरटीसी के रूटों पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन ट्रकों से सामान भेजने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) पहले से ही दिल्ली के लिए सभी 119 रूटों पर बीएस -6 बसें भेज रहा है। इसके कारण उस पर इस नियम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पथ परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक निपुण जिंदल ने बताया कि दिल्ली के लिए कोई भी रूट प्रभावित नहीं होगा। पहले ही ही दिल्ली के लिए बीएस-6 बसें भेजी जा रही हैं।

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दिल्ली में केवल बीएस-6 वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति दिए जाने के फैसले से जिला चंबा के टैक्सी चालकों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिले में करीब 500 बीएस-4 टैक्सियां पंजीकृत हैं, जिन पर दिल्ली जाने पर रोक लग गई है। इससे टैक्सी चालकों की रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है। जय चामुंडा माता टैक्सी यूनियन के प्रधान यशपाल ने बताया कि रोजाना दिल्ली की सवारियां मिलती थीं, अब बीएस-4 वाहनों की एंट्री बंद होने से अब उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

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हमीरपुर शहर से रोजाना आठ से दस टैक्सियां दिल्ली के लिए जाती हैं। पांच से छह ट्राला और कई ट्रक भी हमीरपुर से जाते हैं। अब इन्हें सामान कुंडली बॉर्डर सहित अन्य स्थानों पर छोड़ना पड़ेगा। हालांकि, एचआरटीसी हमीरपुर डिपो की करीब 22 बीएस-6 बसें हैं। दिन में एक रूट दिल्ली के लिए जाता है। ट्रक यूनियन ऊना में 150 ट्रक पंजीकृत हैं। इसमें से बीएस- 6 ट्रक केवल छह ही हैं। इसके अलावा टैक्सी यूनियन और एचआरटीसी पर इन प्रतिबंधों का कोई खासा असर देखने को नहीं मिलेगा। धर्मशाला में भी अधिकतर ट्रक ऐसे हैं जो बीएस-6 मॉडल नहीं हैं। ऐसे में उनका कामकाज काफी प्रभावित होगा। प्रतिबंध के चलते कई ट्रक दिल्ली नहीं पहुंच पाएंगे। वाहनों की एंट्री पर रोक से कुल्लू-मनाली पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। न सप्लाई चेन रुकेगी और ही पर्यटकों की आवाजाही प्रभावित होगी।

द मंडी सुकेत ट्रक ऑपरेटर यूनियन धनोटू के पास करीब 150 बीएस-4 ट्रक हैं। दिल्ली में इनके प्रवेश पर रोक लगने से इन ट्रकों से होने वाली कमाई प्रभावित होगी। फ्रूट सीजन के दौरान यूनियन की कई गाड़ियां सीधे दिल्ली की आजादपुर सब्जी मंडी जाती हैं। यूनियन के पास बीएस-6 ट्रकों की संख्या सौ से भी कम है।

बीडीटीएस बरमाणा के अधिकांश ट्रक बीएस-4 श्रेणी के
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों के तहत दिल्ली प्रशासन ने कॉमर्शियल वाहनों के प्रवेश को लेकर कड़े नियम लागू कर दिए हैं। इन नए नियमों का व्यापक असर प्रदेश की बड़ी ट्रांसपोर्ट सभाओं में शामिल बिलासपुर ट्रक परिवहन सहकारी सभा बरमाणा से जुड़े ट्रक ऑपरेटरों पर भी पड़ेगा। दिल्ली में अब केवल बीएस-6 या उससे उच्च श्रेणी के वाहनों को ही आवागमन की अनुमति दी जाएगी। बीडीटीएस बरमाणा के महासचिव सुरेश चौधरी ने बताया कि सोसायटी से जुड़े लगभग 3500 ट्रक विभिन्न राज्यों में माल ढुलाई के कार्य में लगे हुए हैं।

वर्तमान में सड़कों पर चल रहे ट्रकों का बड़ा हिस्सा बीएस-4 श्रेणी का है। ऐसे में दिल्ली में बीएस-6 वाहनों की अनिवार्यता से उन ट्रक मालिकों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, जिन्होंने अभी तक नए वाहन नहीं खरीदे हैं। बीडीटीएस के ट्रक मुख्य रूप से पंजाब और दिल्ली रूट पर कृषि उपज की ढुलाई करते हैं। इनमें आलू,मटर, विशेषकर कुल्लू, सिरमौर और शिमला जिलों के सेब और सब्जियां शामिल हैं। यदि बीएस-4 ट्रकों का दिल्ली में प्रवेश बंद होता है, तो इसका सीधा असर न केवल ट्रांसपोर्टरों पर पड़ेगा,बल्कि बागवानों और किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इससे संपूर्ण सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका है। 

BS-VI (भारत स्टेज-6) क्या है?
BS-VI या भारत स्टेज-6 भारत सरकार द्वारा निर्धारित उत्सर्जन मानक है, जो मोटर वाहनों (पेट्रोल, डीजल, दोपहिया, चारपहिया आदि) से निकलने वाले हानिकारक प्रदूषकों की मात्रा को नियंत्रित करता है। यह यूरोपीय उत्सर्जन मानकों (Euro-6) के समकक्ष है और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लागू किया गया।
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