Terrorism: जम्मू-कश्मीर में छिपे 60 दहशतगर्दों में 40 विदेशी, 20 लोकल; सीमा पार लॉन्च पैड पर 100 आतंकी मौजूद
भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अगले दो-तीन माह चुनौती भरे रह सकते हैं। घाटी में मौजूद आतंकियों की बात करें तो उनमें 40 पाकिस्तानी हैं, जबकि 20 लोकल बताए जा रहे हैं। हालांकि यह संख्या कम या ज्यादा हो सकती है। सभी खुफिया एजेंसियां, बहुत सावधानी से उक्त आंकड़ों का विश्लेषण कर रही हैं।
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जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में लगभग 60 आतंकी छिपे हुए हैं। पाकिस्तान के लांच पैड पर 100 से 120 आतंकी होने की संभावना जताई गई है। ये सभी आतंकी सर्दियों के दौरान घुसपैठ करने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अगले दो-तीन माह चुनौती भरे रह सकते हैं। घाटी में मौजूद आतंकियों की बात करें तो उनमें 40 पाकिस्तानी हैं, जबकि 20 लोकल बताए जा रहे हैं। हालांकि यह संख्या कम या ज्यादा हो सकती है। सभी खुफिया एजेंसियां, बहुत सावधानी से उक्त आंकड़ों का विश्लेषण कर रही हैं। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा है कि सर्दियां आ रही हैं। ऐसे में सीमा पार के आतंकवादी, बर्फबारी का फायदा उठाकर घुसपैठ न कर पाएं, इसके लिए हमारे सुरक्षा बल हर तरह से तैयार रहें।
सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान मूल के कई दहशतगर्दों की ट्रेनिंग 'अफगानिस्तान' फ्रंट पर हुई है। इन आतंकियों तक पहुंचना, सुरक्षा बलों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय दहशतगर्दों में से लगभग 40 पाकिस्तानी हैं तो 20 लोकल आतंकी हैं। इन आतंकियों के रहते हुए जेएंडके में आतंकी हमले की आशंका बनी रहती है। आतंकियों को अभी तक लोकल स्पोर्ट मिल रही है, सुरक्षा बलों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है। इसी मदद के बल पर ये आतंकी, बड़े हमले को अंजाम देने में कामयाब हो जाते हैं।
बीएसएफ कश्मीर फ्रंटियर के महानिरीक्षक (आईजी) अशोक यादव कहते हैं, जेएंडके में घुसपैठ की कोशिशों से जुड़ी कई सूचनाएं आती रहती हैं। इस तरह की खुफिया रिपोर्ट हैं कि सीमा पार आतंकवादियों के लॉन्चिंग पैड हैं। बीएसएफ, सेना के साथ मिलकर नियंत्रण रेखा पर बेहद सतर्क है। पिछले समय में घुसपैठ पर अंकुश लगा है। सीमा पार के लांचिंग पैड पर घुसपैठ के लिए तैयार बैठे आतंकी, बॉर्डर पार करने की कोशिश नहीं करते, ऐसा नहीं है। वे कोशिश तो करते हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिलती। भारतीय सुरक्षा बलों की सतर्कता से उनके मंसूबे नाकाम हो जाते हैं। सर्दियों में घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि होने की संभावना है। बीएसएफ, सीमा पर आधुनिक सर्विलांस के उपकरणों के माध्यम से निगरानी कर रही है। बॉर्डर के उस पार लगभग सवा सौ आतंकी मौजूद हैं। खुफिया सूचनाओंं का विश्लेषण करने के बाद 'सीमा सुरक्षा बल' द्वारा घुसपैठ रोकने के लिए सभी बलों के साथ मिलकर ऑपरेशनल प्लानिंग की जाती है।
पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच कई बड़ी मुठभेड़ हुई हैं। राजौरी के बाजीमाल इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में सेना के कैप्टन एमवी प्रांजल, कैप्टन शुभम और हवलदार माजिद सहित चार शहादत हुई थी। राजौरी मुठभेड़ में जो दो आतंकी मारे गए थे, उनमें से एक पाकिस्तानी आतंकी 'क्वारी' भी था। वह पाकिस्तान के आतंकी संगठन 'लश्कर ए तैयबा' का हाई रैंक टेरोरिस्ट था। उसे पाकिस्तान/अफगानिस्तान फ्रंट पर ट्रेंड किया गया था। जेएंडके में जितनी भी बड़ी मुठभेड़ हुई हैं, उनमें ज्यादातर हाई रैंक वाले ट्रेंड आतंकी मारे गए हैं। सितंबर 2023 में अनंतनाग जिले के कोकेरनाग क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल 'आरआर' के कमांडिंग अफसर (कर्नल) मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट्ट शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ में दो अन्य जवानों ने भी शहादत दी। साल 2020 के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहली घटना थी, जिसमें सेना के कमांडिंग अफसर शहीद हुए थे।
सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ समय से बॉर्डर पर कोई बड़ी घुसपैठ नहीं हुई है, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान की तरफ से आतंकी, जेएंडके में घुसपैठ करने का प्रयास करते रहते हैं। सुरक्षा बलों द्वारा बॉर्डर पर घुसपैठ के कई प्रयास असफल किए गए हैं। नेपाल का मार्ग, आतंकियों के भारत में प्रवेश करने का एंट्री प्वाइंट तो नहीं बन रहा, ये बात सुरक्षा एजेंसियों के दिमाग में है। जेएंडके में कोकेरनाग क्षेत्र जैसे कई इलाके हैं, जहां छिपे आतंकियों तक पहुंचने में सुरक्षा बलों को लंबा वक्त लगता है।
2014 के दौरान जेएंडके में 104 आतंकवादी मारे गए थे। 2015 में 97, 2016 में 140, 2017 में 210, 2018 में 257, 2019 में 157, 2020 में 221, 2021 में 180, 2022 में 187, 2023 में 76 और पिछले साल 75 आतंकवादी मारे गए थे। पाकिस्तानी आईएसआई, अपने गुर्गे आतंकी संगठनों की मदद से जम्मू कश्मीर में हाइब्रिड आतंकियों की भर्ती करने का प्रयास कर रही है। हालांकि इस काम में उसे सफलता नहीं मिल रही। सीमा पार के आतंकी संगठन, घाटी में मौजूद पाकिस्तानी आतंकियों को बचाना चाहते हैं।
पाकिस्तान से आए आतंकी, जम्मू कश्मीर के जंगलों या पहाड़ी गुफाओं में छिपे हैं। वे सामान्य फोन से बातचीत नहीं करते। यही वजह है कि उन्हें आसानी से ट्रैक नहीं किया जा सकता। सुरक्षा बलों को ज्यादातर सूचनाएं मुखबिरों के माध्यम से ही मिलती हैं। हालांकि मुखबिरों की सूचना को क्रॉस चैक किया जाता है, लेकिन कई बार इंटेल इनपुट, पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होता। उस स्थिति में जोखिम या नुकसान की संभावना बनी रहती है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, अब घाटी में नए आतंकी सामने नहीं आ रहे। उनकी भर्ती पर काफी हद तक नकेल कस चुकी है।
अब वहां पर जो आतंकी मौजूद हैं, वही अपने स्लीपर सेल या हाईब्रिड टेरोरिस्ट की मदद से हमलों को अंजाम दे रहे हैं। पहले लोकल स्तर पर जेएंडके में जब कोई युवा गायब हो जाता था तो गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की जाती थी। जम्मू कश्मीर पुलिस, लापता हुए युवक का पता लगाने का प्रयास करती। एक तरफ गुमशुदा युवक के परिजन और पुलिस उसे खोज रही होती तो दूसरी तरफ तभी उस युवक की तस्वीर सोशल मीडिया पर आ जाती थी। तस्वीर में वह युवक किसी आतंकी संगठन के सदस्य के तौर पर हथियार लहराता हुआ नजर आता।
इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उसे सक्रिय आतंकी मान लिया जाता था। आतंकी संगठनों को यह बात अच्छे से मालूम होती है कि पुलिस और परिजन, लापता युवक की खोजबीन में लगे हैं। घाटी में कई ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जिनमें कई युवा कुछ समय बाद ही हथियार छोड़कर दोबारा से मुख्यधारा में शामिल हो गए। आतंकी संगठन, गुमराह युवक का ब्रेनवॉश कर देते हैं। इसके बाद जब उन्हें लगता है कि वह युवक अभी भी पूरी तरह से आतंक की राह पर चलने को तैयार नहीं है और वह मुख्यधारा में लौटना चाहता है तो वे उस युवक का आतंकी संगठन के साथ फोटो वायरल कर देते हैं।
नतीजा, वह युवक अधर में फंस जाता है। हथियार के साथ जैसे ही उसका फोटो सार्वजनिक होता है तो पुलिस उसका नाम, सक्रिय आतंकियों की सूची में डाल देती है। ऐसे में वह युवक, चाह कर भी मुख्यधारा में वापसी नहीं कर पाता। हालांकि कुछ समय से इस तरह के मामले भी काफी कम हो चुके हैं। यही वजह है कि घाटी में लोकल आतंकियों की संख्या दो दर्जन के आसपास सिमट कर रह गई है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में आतंकवाद-मुक्त जम्मू और कश्मीर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों के ठोस प्रयासों से जम्मू-कश्मीर में देश के दुश्मनों द्वारा पोषित आतंकवादी तंत्र लगभग समाप्त हो गया है। गृह मंत्री ने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने की पूरी स्वतंत्रता है।