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ब्रिटिश सांसद को वापस भेजने पर बंटी कांग्रेस, सिंघवी ने बचाव तो थरूर ने उठाए सवाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Sneha Baluni
Updated Tue, 18 Feb 2020 11:50 AM IST
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ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स (फाइल फोटो)
- फोटो : Instagram
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को लेबर पार्टी की ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स को दिल्ली हवाई अड्डे से वापस भेजने के फैसले पर सरकार का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम जरूरी था क्योंकि वह पाकिस्तान की प्रॉक्सी हैं। अब्राहम्स को सोमवार को दिल्ली हवाई अड्डे से बाहर नहीं आने दिया गया था। वह दुबई से भारत आई थीं।

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अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्विटर पर लिखा, 'भारत द्वारा डेबी अब्राहम्स का निर्वासन वास्तव में आवश्यक था क्योंकि वह केवल सांसद नहीं हैं बल्कि पाक की प्रॉक्सी भी हैं। उन्हें पाकिस्तान सरकार और आईएसआई के साथ संबंध रखने के लिए जाना जाता है। भारत की संप्रभुता पर हमला करने की कोशिश करने वाले हर प्रयास को नाकाम किया जाना चाहिए।'
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The deportation of Debbie Abrahams by India was indeed necessary, as she is not just an MP, but a Pak proxy known for her clasp with e Pak govt and ISI. Every attempt that tries to attack India's sovereignty must be thwarted.#Kashmir#DebbieAbrahams
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) February 18, 2020
सिंघवी का यह बयान ऐसे समय पर सामने आया है जब उनकी पार्टी के साथी नेता शशि थरूर ने डेबी को हवाई अड्डे पर रोकने के सरकार के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, ''यदि कश्मीर में सबकुछ ठीक है तो क्या सरकार को आलोचकों को इस स्थिति का गवाह बनने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए ताकि वे अपने डर को दूर कर सकें? केवल एमईपी और राजदूतों के प्रतिनिधिमंडलों को घुमाने की बजाए क्या इस विषय पर संसदीय समूह की मुखिया को भेजा जाना क्या फायदेमंद नहीं होता?'
अब्राहम्स कश्मीर पर एक संसदीय समूह की अध्यक्षता करती हैं उन्हें सोमवार को भारत में प्रवेश की इजाजत न देते हुए नई दिल्ली हवाई अड्डे से बाहर नहीं आने दिया गया था। इसपर सरकार का कहना है कि उन्हें सूचित कर दिया गया था कि उनका ई वीजा रद्द कर दिया गया है। वहीं सांसद का कहना था कि उनके पास अक्तूबर 2020 तक के लिए वैध ई-वीजा है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि उन्हें वीजा रद्द होने की जानकारी दी गई थी इसके बावजूद उन्होंने भारत आने का फैसला लिया।