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Supreme Court: 'सुविधाएं नहीं दे सकते तो खत्म कर दें सभी ट्रिब्यूनल', केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की दो टूक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Tue, 16 Sep 2025 03:19 PM IST
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सार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति पत्र मिलने के बाद भी पूर्व जजों को आवास और अन्य सुविधाओं को लेकर असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने केंद्र से कहा, 'कृपया उन पूर्व चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट के जजों को गरिमा के साथ व्यवहार दें, जो आपके प्रस्तावित पद स्वीकार करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर सरकार ट्रिब्यूनल (अर्ध-न्यायिक निकाय) के सदस्यों को बुनियादी सुविधाएं नहीं दे सकती, तो इन सभी ट्रिब्यूनल को खत्म कर दिया जाए और उनके मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट में कराई जाए। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज पोस्ट-रिटायरमेंट ट्रिब्यूनल में नियुक्ति लेने से हिचकिचा रहे हैं क्योंकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिलतीं।
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सुनवाई के दौरान बेंच की टिप्पणी
इस दौरान बेंच ने कहा, 'ये जज या तो हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस होते हैं या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज। उन्हें स्टेशनरी तक के लिए बार-बार अनुरोध करना पड़ता है। यहां तक कि जो कार उन्हें दी जाती है, वह विभाग की सबसे खराब होती है। आप इन पूर्व चीफ जस्टिस और जजों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? जब सुविधाएं ही नहीं दे सकते तो ऐसे ट्रिब्यूनल बनाने का क्या फायदा?'
'सभी ट्रिब्यूनल में सुविधाएं और ढांचा एक समान हो'
कोर्ट ने केंद्र से कहा, 'कृपया उन पूर्व चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट के जजों को गरिमा के साथ व्यवहार दें, जो आपके प्रस्तावित पद स्वीकार करते हैं। एक समिति बनाई जाए जिसमें अलग-अलग मंत्रालय, खासकर कार्मिक विभाग (डीओपीटी) शामिल हों, ताकि कमियों और खामियों को दूर किया जा सके। सभी ट्रिब्यूनल में सुविधाएं और ढांचा एक समान होना चाहिए।'
एएसजी ने कहा- केंद्र तक पहुंचाएंगे संदेश
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह यह संदेश केंद्र तक पहुंचाएंगे। मामला एनजीटी बार एसोसिएशन वेस्टर्न जोन की याचिका से जुड़ा है, जिसमें ट्रिब्यूनल में खाली पदों का मुद्दा उठाया गया था। केंद्र ने अदालत को बताया कि दो पूर्व जजों ने नियुक्ति के बाद भी कार्यभार नहीं संभाला, जिससे प्रक्रिया को फिर से शुरू करना पड़ेगा और इसमें समय लगेगा।
यह भी पढ़ें - West Bengal: अस्पताल प्रबंधक पर कई महिला कर्मचारियों के साथ दुष्कर्म का आरोप, भाजपा ने टीएमसी पर साधा निशाना
16 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई
कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि नियुक्ति स्वीकार करने के बाद जजों का कार्यभार न संभालना भी सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस मांग को भी खारिज कर दिया कि मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल नए सदस्यों की नियुक्ति तक बढ़ा दिया जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

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सुनवाई के दौरान बेंच की टिप्पणी
इस दौरान बेंच ने कहा, 'ये जज या तो हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस होते हैं या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज। उन्हें स्टेशनरी तक के लिए बार-बार अनुरोध करना पड़ता है। यहां तक कि जो कार उन्हें दी जाती है, वह विभाग की सबसे खराब होती है। आप इन पूर्व चीफ जस्टिस और जजों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? जब सुविधाएं ही नहीं दे सकते तो ऐसे ट्रिब्यूनल बनाने का क्या फायदा?'
'सभी ट्रिब्यूनल में सुविधाएं और ढांचा एक समान हो'
कोर्ट ने केंद्र से कहा, 'कृपया उन पूर्व चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट के जजों को गरिमा के साथ व्यवहार दें, जो आपके प्रस्तावित पद स्वीकार करते हैं। एक समिति बनाई जाए जिसमें अलग-अलग मंत्रालय, खासकर कार्मिक विभाग (डीओपीटी) शामिल हों, ताकि कमियों और खामियों को दूर किया जा सके। सभी ट्रिब्यूनल में सुविधाएं और ढांचा एक समान होना चाहिए।'
एएसजी ने कहा- केंद्र तक पहुंचाएंगे संदेश
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह यह संदेश केंद्र तक पहुंचाएंगे। मामला एनजीटी बार एसोसिएशन वेस्टर्न जोन की याचिका से जुड़ा है, जिसमें ट्रिब्यूनल में खाली पदों का मुद्दा उठाया गया था। केंद्र ने अदालत को बताया कि दो पूर्व जजों ने नियुक्ति के बाद भी कार्यभार नहीं संभाला, जिससे प्रक्रिया को फिर से शुरू करना पड़ेगा और इसमें समय लगेगा।
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16 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई
कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि नियुक्ति स्वीकार करने के बाद जजों का कार्यभार न संभालना भी सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस मांग को भी खारिज कर दिया कि मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल नए सदस्यों की नियुक्ति तक बढ़ा दिया जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
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