सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Supreme Court Updates sc seeks response from states on conversion laws hearing will held after six weeks

SC Updates: धर्मांतरण कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से जवाब मांगा, छह हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Tue, 16 Sep 2025 04:29 PM IST
विज्ञापन
सार

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कई मामलों में सुनावई की। इसी क्रम में धर्मांतरण कानून पर भी सुनवाई हुई। इस मामले में अदालत ने कई राज्यों से उनके धर्मांतरण रोधी कानूनों पर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं ने इन्हें असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है और रोक की मांग की है। कोर्ट ने राज्यों को चार हफ्ते का समय दिया है, जबकि याचिकाकर्ता दो हफ्तों में अपनी प्रतिक्रिया देंगे।

Supreme Court Updates sc seeks response from states on conversion laws hearing will held after six weeks
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कई राज्यों से उनके धर्मांतरण रोधी कानूनों पर जवाब मांगा है। कोर्ट में दायर याचिकाओं में इन कानूनों की वैधता को चुनौती दी गई है और उन पर रोक लगाने की मांग की गई है। चीफ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने साफ किया कि राज्यों के जवाब आने के बाद ही इन कानूनों पर रोक लगाने की अर्जी पर विचार होगा।
loader
Trending Videos


सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ताओं को इसके बाद दो हफ्ते का समय दिया गया है ताकि वे राज्यों की दलीलों पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कर सकें। इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष के वरिष्ठ वकील सी. यू. सिंह को याचिका संशोधित करने की भी अनुमति दी है, ताकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किए गए "कड़े बदलावों" को चुनौती में शामिल किया जा सके।
विज्ञापन
विज्ञापन


किन राज्यों के कानून चुनौती के दायरे में
याचिकाओं में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक के धर्मांतरण रोधी कानूनों को चुनौती दी गई है। इन राज्यों ने धार्मिक परिवर्तन को लेकर अलग-अलग प्रावधान बनाए हैं, जिन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये कानून संविधान के अनुच्छेद 21 और 25 का उल्लंघन करते हैं, जो व्यक्ति को स्वतंत्रता और धर्म पालन का अधिकार देते हैं।

ये भी पढ़ें- 'फैसले के खिलाफ हर कोई अपील नहीं कर सकता', मालेगांव मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी

याचिकाकर्ताओं की दलील
सीनियर एडवोकेट सी. यू. सिंह ने कोर्ट को बताया कि इन कानूनों के कारण अंतर्धार्मिक विवाह करने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कई प्रावधानों में तीसरे पक्ष को शिकायत दर्ज कराने की अनुमति दी गई है, जिससे उत्पीड़न और भी बढ़ गया है। सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि चर्च में धार्मिक आयोजन तक में भीड़ हस्तक्षेप करती है और इसे कानून का हवाला देकर सही ठहराया जाता है।

अन्य वरिष्ठ वकीलों की राय
सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंग ने मध्य प्रदेश के कानून पर तत्काल रोक की मांग की। वहीं अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कानूनों पर रोक लगाने की अर्जी दाखिल की। हालांकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने अंतरिम राहत देने का विरोध किया और कहा कि तीन-चार साल बाद अचानक रोक की मांग उचित नहीं है।

एनजीओ पर सरकार का आरोप
यह मामला नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा दायर याचिका से भी जुड़ा है। केंद्र सरकार ने इस एनजीओ पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह संगठन चुनिंदा राजनीतिक हितों के कहने पर याचिकाएं दाखिल करता है और दंगों से प्रभावित लोगों के नाम पर चंदा जुटाकर आर्थिक लाभ उठाता है।

ये भी पढ़ें- ऑनलाइन गेमिंग पर बैन के बाद मनी लॉन्ड्रिंग पर शिकंजा कसने की तैयारी में ईडी, श्रीनगर में तय हुई नई रणनीति

पहले के आदेश और राज्यों के प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट पहले भी 2021 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के धर्मांतरण कानूनों की जांच करने पर सहमत हो चुका है। उत्तर प्रदेश का कानून सभी धर्मांतरणों पर लागू होता है और किसी भी व्यक्ति को धर्म बदलने के लिए विस्तृत प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य करता है। वहीं उत्तराखंड का कानून बलपूर्वक या प्रलोभन से धर्म बदलवाने वालों को दो साल की सजा का प्रावधान करता है। इसमें नौकरी, पैसा या अन्य लाभ देने को भी ‘प्रलोभन’ की श्रेणी में रखा गया है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि ऐसे कानून व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धर्म की स्वतंत्रता पर हमला करते हैं। उनका तर्क है कि विवाह और धर्म पालन व्यक्ति का निजी अधिकार है, जिस पर राज्य का कोई नियंत्रण नहीं होना चाहिए। कोर्ट अब यह तय करेगा कि इन कानूनों का दायरा संविधान के अनुरूप है या नहीं।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed