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Pollachi Case: पोलाची यौन शोषण मामले में सभी नौ आरोपी दोषी करार, कोर्ट आज दोपहर में सुना सकती है सजा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Tue, 13 May 2025 11:43 AM IST
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सार
कोयंबटूर की महिला अदालत ने सनसनीखेज पोलाची यौन उत्पीड़न और जबरन वसूली मामले में गिरफ्तार सभी नौ लोगों को मंगलवार को दोषी करार दिया। न्यायाधीश आर. नंदिनी देवी दोपहर में सजा सुनाएंगी। सभी आरोपियों पर 2016 से 2018 के बीच हुई ब्लैकमेल सहित कई घटनाओं में आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था। पीड़ित ज्यादातर कॉलेज की छात्राएं थीं।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI

विस्तार
तमिलनाडु के पोलाची यौन शोषण मामले में मंगलवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया गया। कोयंबटूर की एक महिला विशेष अदालत ने सभी नौ आरोपियों को दोषी पाया। सनसनीखेज यौन उत्पीड़न और जबरन वसूली मामले के सामने आने के छह साल बाद दोषियों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायाधीश आर. नंदिनी देवी ने सजा सुनाते हुए आठ पीड़ितों को 85 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
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2019 के इस मामले में पुरुषों का एक गिरोह महिलाओं को झूठी दोस्ती में फंसाकर उनका यौन शोषण और ब्लैकमेल करता था। महिला अदालत में न्यायमूर्ति नंदिनी देवी ने नौ आरोपियों रिश्वंथ उर्फ एन. सबरीराजन, के. थिरुनावुक्कारासु, एम. सतीश, टी. वसंतकुमार, आर. मणिवन्नन उर्फ मणि, पी. बाबू उर्फ 'बाइक' बाबू, के. अरुलानाथम, टी. हारोनिमस पॉल और एम. अरुणकुमार सभी की उम्र 30 से 39 वर्ष के बीच है। अरुलानन्थम एआईएडीएमके के पूर्व पदाधिकारी हैं, जिन्हें अपराध में कथित संलिप्तता के चलते पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
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पहले क्राइम ब्रांच, फिर सीबीआई ने की जांच
मामला शुरू में एक पीड़ित की ओर से चोरी की शिकायत के बाद सामने आया था। जांच के दौरान पता चला कि यह एक बड़ा संगठित यौन शोषण का मामला है। पहले अपराध शाखा (आपराधिक जांच विभाग) की ओर से मामले की जांच की गई। इसके बाद बढ़ते जनाक्रोश और भारी दबाव के बाद मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी गई। पूरे मुकदमे के दौरान सरकारी वकील ने 50 से ज्यादा गवाह, 200 से ज्यादा दस्तावेज और 400 डिजिटल सबूत पेश किए। आठ जीवित बचे लोग गवाही देने के लिए अदालत के सामने पेश हुए और अभियुक्तों ने 50 सवालों के लिखित जवाब दिए।
48 गवाहों से पूछताछ, कोई भी अपने बयान से पलटा नहीं
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक सुरेंदा मोहन ने संवाददाताओं को बताया कि सभी नौ आरोपियों पर तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 डी (सामूहिक दुष्कर्म) और 376 (2) (एन) (एक ही महिला से बार-बार दुष्कर्म) के तहत आरोप लगाए गए थे। अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा दी। सीबीआई ने आरोपियों के लिए भी आजीवन कारावास की मांग की थी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा न्यायाधीश ने नौ लोगों पर कुल 1.50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सीबीआई ने पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजे की मांग भी की थी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दोषी व्यक्तियों ने अपनी कम उम्र और वृद्ध माता-पिता सहित अन्य आधारों पर नरमी की मांग की थी। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कुल 48 गवाहों से पूछताछ की और उनमें से कोई भी अपने बयान से पलटा नहीं। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य ने आरोपों को साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शिकायत के बाद सामने आया था मामला
इसने तमिलनाडु भर में उस वक्त व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया था, जब मामले के वीडियो वायरल हो गए थे। इसकी विधानसभा तक सुनाई दी थी। इससे तत्कालीन सत्तारूढ़ अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) को आलोचना का सामना करना पड़ा था। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए न्याय और प्रणालीगत सुधार की मांग की थी।