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बतरस: क्या है लोक परंपराओं का इतिहास-भविष्य, नई पीढ़ी तक कैसे पहुंचाएं संस्कृति, महत्व-साहित्य, देखें पॉडकास्ट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Sat, 02 Aug 2025 08:15 PM IST
सार

ऋचा अनिरुद्ध ने अमर उजाला के स्टूडियो में जिन दो विशेषज्ञों से चर्चा की, उनमें प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी और IGNCA के सदस्य सचिव सचिदानंन्द जोशी शामिल रहे।

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Amar Ujala Batras Podcast Richa Anirudh Tradition History Future discussion Malini Awasthi Sachchidanand Joshi
अमर उजाला बतरस। - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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अमर उजाला बतरस एक और हफ्ते आम लोगों की जिंदगी से जुड़े अहम मुद्दे के साथ हाजिर है। इस हफ्ते पॉडकास्ट में चर्चा हुई लोक संस्कृति, लोक साहित्य और लोक महत्व के मुद्दे पर। दरअसल, भारत को हमेशा से ही संस्कृति और परंपराओं का देश कहा गया है। इसी संस्कृति ने देश को अनगिनत उपलब्धियां हासिल हुई हैं। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में वैश्विकरण के बढ़ते दायरे की वजह से भारत की यह सहेजी गई संस्कृति धीरे-धीरे नई पीढ़ी की पहुंच से दूर होती जा रही है। लोकप्रिय एंकर और पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने इस हफ्ते बतरस में इन्हीं समस्याओं को लेकर दो विशेषज्ञों से बात की और जाना की आखिर लोक परंपराओं का इतिहास क्या है और इसका भविष्य क्या होगा।


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इस पूरे पॉडकास्ट को आप शनिवार रात आठ बजे अमर उजाला के सभी सोशल मीडिया हैंडल्स पर सुन सकते हैं।  

ऋचा अनिरुद्ध ने अमर उजाला के स्टूडियो में जिन दो विशेषज्ञों से चर्चा की, उनमें प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA) के सदस्य सचिव सचिदानंन्द जोशी शामिल रहे। दोनों ही विशेषज्ञों ने कई अहम सवालों के जवाब दिए। मसलन- आज बातचीत का माहौल बतरस वाला क्यों नहीं है? आने वाली पीढ़ी कैसे समझेगी कि लोक क्या है? आधुनिक समय में लोक को फोक कह देना कितना सही? हम लोग लोक परंपराओं को आसानी से कैसे अपने बच्चों तक पहुंचा सकते हैं? त्योहारों के संदेश कैसे लोक संस्कृति से जुड़े होते थे ?

बतरस में विशेषज्ञों ने न सिर्फ इन सवालों के जवाब दिए, बल्कि मौजूदा समय में लोक से जुड़ी बातों के प्रगतिशील होने के पक्ष में कई अहम तर्क भी समझाए। चर्चा के दौरान मालिनी अवस्थी ने अपनी पुस्तक चंदन किवाड़ लिखने का दिलचस्प किस्सा भी साझा किया। साथ ही यह भी बताया कि लोक गीत और लोक कथाएं जिस तरह के संदेश देते हैं, उन्हें आज के समय के हिसाब से कैसे समझा जा सकता है। 

इस पूरी बातचीत के दौरान डॉ. जोशी और मालिनी अवस्थी ने बताया कि परंपराओं में कौन सी बड़ी बाते हैं और वे आगे कैसे निभाई जाएंगी। साथ ही आने वाले समय में लोकोक्तियां और मुहावरे कैसे जीवंत बने रहेंगे और लोक को बचाने की हमारी और आपकी जिम्मेदारी कितनी और क्यों रहेगी और इन्हें निभाया कैसे जाएगा। 
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