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कौन बनेगा भारत का नया सेना प्रमुख, सस्पेंस बरकरार
टीम डिजिटल/अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 13 Dec 2016 01:28 PM IST
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सेना प्रमुख के साथ सेना के अधिकारी
- फोटो : अमर उजाला
सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के रिटायरमेंट में अब सिर्फ 19 दिन बाकी हैं, लेकिन उनके उत्तराधिकारी की घोषणा अब तक नहीं हुई है। सामान्यतौर पर यह प्रक्रिया 60 दिन पहले पूरी कर ली जाती है। बताते चलें कि जनरल दलबीर सिंह की नियुक्ति की घोषणा जनरल विक्रम सिंह के रिटायरमेंट 31 जुलाई 2014 के 80 दिन पहले कर दी गई थी।
जनरल बिक्रम सिंह के सेना प्रमुख बनाने की घोषणा मार्च 2012 में हो गई थी जिसका पदभार उन्होंने 1 जून 2012 को ग्रहण किया। वहीं, जनरल वी के सिंह के नाम की घोषणा जनवरी 2010 में हो गई थी, जिसके दो महीने बाद अप्रैल 2010 में उन्होंने पदभार ग्रहण किया।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय के पास है। कैबिनेट की अप्वाइंटमेंट कमेटी (एसीसी) की मुहर के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से इसे औपचारिक तौर पर मंजूरी मिलेगी। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि सेना प्रमुख की नियुक्ति का मामला सार्वजनिक बहस का नहीं है।
साल 1983 के एक उदाहरण को छोड़ दें जब लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा सेना प्रमुख पद के लिए सबसे वरिष्ठ थे, लेकिन अनदेखी हुई थी। इससे पहले और बाद में भारत हमेशा सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता का पालन करता है।
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जनरल बिक्रम सिंह के सेना प्रमुख बनाने की घोषणा मार्च 2012 में हो गई थी जिसका पदभार उन्होंने 1 जून 2012 को ग्रहण किया। वहीं, जनरल वी के सिंह के नाम की घोषणा जनवरी 2010 में हो गई थी, जिसके दो महीने बाद अप्रैल 2010 में उन्होंने पदभार ग्रहण किया।
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रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय के पास है। कैबिनेट की अप्वाइंटमेंट कमेटी (एसीसी) की मुहर के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से इसे औपचारिक तौर पर मंजूरी मिलेगी। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि सेना प्रमुख की नियुक्ति का मामला सार्वजनिक बहस का नहीं है।
साल 1983 के एक उदाहरण को छोड़ दें जब लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा सेना प्रमुख पद के लिए सबसे वरिष्ठ थे, लेकिन अनदेखी हुई थी। इससे पहले और बाद में भारत हमेशा सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता का पालन करता है।
जनरल बख्शी का नाम सबसे ऊपर

जनरल बख्शी
वरिष्ठता के रूप में देखें तो कोलकाता हेडक्वार्टर ईस्टर्न कमांड को हेड कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी को ही जनरल दलबीर सिंह के बाद 1 जनवरी 2017 को सेना प्रमुख का पद लेना चाहिए। बक्शी की नियुक्ति में देरी से अटकलें लग रही है कि एसीसी उनकी अनदेखी कर सकता है।
यह अटकलें तीन फैक्टर पर आधारित हैं। सेना के उप प्रमुख का पद सितंबर में ही खाली हो गया था। लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी इस पोस्ट के लिए थे, लेकिन उनके जूनियर पूणे साउथर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल बिपीन रावत को यह पद मिल गया। दूसरा फैक्टर है कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का वह बयान जिसमें उन्होंने कहा कि सेना में बड़े पदों के लिए वरिष्ठता ही जरूरी नहीं है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से सेना प्रमुख के बारे में ऐसा नहीं बोला।
यह अटकलें तीन फैक्टर पर आधारित हैं। सेना के उप प्रमुख का पद सितंबर में ही खाली हो गया था। लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी इस पोस्ट के लिए थे, लेकिन उनके जूनियर पूणे साउथर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल बिपीन रावत को यह पद मिल गया। दूसरा फैक्टर है कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का वह बयान जिसमें उन्होंने कहा कि सेना में बड़े पदों के लिए वरिष्ठता ही जरूरी नहीं है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से सेना प्रमुख के बारे में ऐसा नहीं बोला।
बख्शी को मिल सकता है दूसरा पद

भारतीय रक्षामंत्री मनोहर परिकर का स्पेशल इंटरव्यू
- फोटो : अमर उजाला
सेना के अंदर कई लोग इस बात को मानते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल बक्शी बख्तरबंद सैन्यदल के अधिकारी हैं। यद्यपि बख्तरबंद सैन्यदल भी पैदलसेना की ही तरह लड़ाई करती है, लेकिन 20 साल बाद बाद यह मौका है कि बख्तरबंद सैन्यदल का अधिकारी सेना प्रमुख बन सकता है।
इस बात की भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि जनरल बक्शी को डिफेंस स्टाफ के चीफ या स्टाफ कमेटी के चीफ का परमानेंट चेयरमैन भी बनाया जा सकता है। रक्षा मंत्री ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि सीडीएस की नियुक्ति राजनैतिक है और इस पर कोई भी फैसला शेकातकर कमेटी की रिपोर्ट को पढने के बाद ही किया जाएगा।
इस बात की भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि जनरल बक्शी को डिफेंस स्टाफ के चीफ या स्टाफ कमेटी के चीफ का परमानेंट चेयरमैन भी बनाया जा सकता है। रक्षा मंत्री ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि सीडीएस की नियुक्ति राजनैतिक है और इस पर कोई भी फैसला शेकातकर कमेटी की रिपोर्ट को पढने के बाद ही किया जाएगा।