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बिहार चुनाव: मौजूदा विधानसभा में 68% विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज, 2005 के बाद लगातार कैसे बढ़ा यह आंकड़ा?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 05 May 2025 08:16 AM IST
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सार
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बिहार चुनाव
- फोटो :
Amar Ujala
विस्तार
बिहार में इस साल की अंतिम तिमाही में चुनाव कराए जाने की चर्चा है। इस बार चुनाव में जदयू-राजद जैसे क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत दलों के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां एक बार फिर जनता के सामने अपने हिस्से के काम के वोट मांगने जाएंगी। कुछ और दल भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे। मसलन खुद की साफ छवि के बलबूते बिहार तक को साफ करने का वादा करने वाली प्रशांत किशोर का दल जनसुराज भी पारंपरिक दलों को चुनौती दे रहा है।इस बीच यह जानना अहम है कि अलग-अलग दल जिस बिहार को साफ और स्वच्छ राजनीति देने की बात कहते रहे हैं, उनका खुद का रिकॉर्ड कितना साफ है। वैसे तो इस बात को मापने के कई मानक हैं, लेकिन सबसे पहले इस पैमाने पर पार्टियों की तरफ से आपराधिक मामले वाले विधायकों के रिकॉर्ड को तोल कर देख लेते हैं।
भारत में चुनाव और राजनीतिक सुधारों के लिए काम कर रही संस्था- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स हर चुनाव (लोकसभा और विधानसभा) में उम्मीदवारों से लेकर विधायकों तक के हलफनामों की जांच करती है। इस संस्था ने बिहार के लिए भी 2005 से लेकर 2020 तक के विधानसभा चुनाव में जीते हुए प्रत्याशियों के घोषित रिकॉर्ड्स को खंगाला और उसके हिसाब से दागी विधायकों का पूरा चिट्ठा जनता के सामने रखा।
अगर 2020 के ही चुनाव में जीते प्रत्याशियों की बात कर लें तो सामने आता है कि मौजूदा विधानसभा में करीब 68 फीसदी विधायक दागी हैं। यह 2015 के 58 फीसदी के रिकॉर्ड से ज्यादा रहा। चौंकाने वाली बात यह है कि जो जानकारी एडीआर के पास मौजूद है, उसके मुताबिक बिहार में आपराधिक मामलों वाले विधायकों का आंकड़ा लगातार बढ़ा ही है।
बिहार में कैसे बढ़ा क्षेत्रीय दलों का दबदबा: कांग्रेस के पतन की कहानी क्या, राष्ट्रीय पार्टियां क्यों पीछे?
अगर 2020 के ही चुनाव में जीते प्रत्याशियों की बात कर लें तो सामने आता है कि मौजूदा विधानसभा में करीब 68 फीसदी विधायक दागी हैं। यह 2015 के 58 फीसदी के रिकॉर्ड से ज्यादा रहा। चौंकाने वाली बात यह है कि जो जानकारी एडीआर के पास मौजूद है, उसके मुताबिक बिहार में आपराधिक मामलों वाले विधायकों का आंकड़ा लगातार बढ़ा ही है।
बिहार में कैसे बढ़ा क्षेत्रीय दलों का दबदबा: कांग्रेस के पतन की कहानी क्या, राष्ट्रीय पार्टियां क्यों पीछे?
1. अक्तूबर 2005 में बिहार विधानसभा की तस्वीर
अक्तूबर 2005 में बिहार का विधानसभा चुनाव चार चरणों में हुआ था। इसमें जदयू-भाजपा के एनडीए गठबंधन की जीत हुई थी। कुल 243 विधानसभा सीटों में 2,135 उम्मीदवार खड़े हुए थे। इनमें 1,999 पुरुष (93%) और 136 महिलाएं (7%) थीं।बिहार में यह 2005 में ही फरवरी के बाद दूसरी बार चुनाव थे। महज सात महीने बाद हुए इस चुनाव में जदयू को 88 और भाजपा को 55 सीटें मिलीं। इस तरह एनडीए 143 सीट जीतकर सत्ता में आया और नीतीश कुमार राज्य के नए मुख्यमंत्री बने। लालू यादव की राजद को महज 54 सीट से संतोष करना पड़ा। वहीं, फरवरी में किंगमेकर बनी लोजपा 29 से घटकर 10 सीट पर आ गई। कांग्रेस को इस बार केवल नौ सीट पर जीत मिली।
दागी विधायक
2005 के विधानसभा चुनाव में 243 विजेता उम्मीदवारों में से 233 के हलफनामे का विश्लेषण किया गया। इनमें से 117 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। दागी विधायकों में से 68 यानी करीब 29 फीसदी पर गंभीर अपराध की धाराओं में मामले दर्ज थे।
2005 के विधानसभा चुनाव में दागी विधायकों के आंकड़े
| पार्टी | आपराधिक मामलों वाले कुल विधायक |
| जदयू | 39 |
| भाजपा | 32 |
| राजद | 19 |
| लोजपा | 6 |
| निर्दलीय | 6 |
| भाकपा-माले | 4 |
| कांग्रेस | 3 |
| अन्य छोटे दल | 8 |
| कुल | 117 |
- बिहार में 2005 के विधानसभा चुनाव में जीतने वाले कुल 67 विधायकों पर हत्या के केस दर्ज थे। इनमें से सबसे ज्यादा 26 जदयू के थे, वहीं 10 भाजपा के विधायक थे। राजद के 5 विधायक, जबकि कांग्रेस का 1 विधायक हत्या के मामले में आरोपी था।
- सबसे ज्यादा आपराधिक केस वाले विधायकों की बात करें तो वारिसलीगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक प्रदीप कुमार पर कुल 22 केस दर्ज थे। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, हथियार से चोट पहुंचाने, अपहरण और लूट-चोरी के मामले शामिल थे।
- आपराधिक मामले वाले टॉप-10 विधायकों में तीन जदयू के, तीन निर्दलीय; राजद, भाजपा, भाकपा-माले और लोजपा के एक-एक विधायक शामिल थे।
2. 2010 में बिहार विधानसभा की तस्वीर
2010 में हुए बिहार के विधानसभा चुनाव कुल 3,523 उम्मीदवार मैदान में थे। यानी 2005 के मुकाबले कुल 65 फीसदी की बढ़ोतरी। इनमें से 3,215 यानी करीब 91 फीसदी पुरुष थे, वहीं 308 यानी 9 फीसदी महिलाएं थीं।2010 के चुनाव में नीतीश को अपनी योजनाओं जबरदस्त फायदा हुआ। जदयू और भाजपा गठबंधन 243 में से 206 सीटें जीतने में सफल रहा। एनडीए का वोट प्रतिशत भी करीब 40 फीसदी तक पहुंच गया। 141 सीटों पर चुनाव लड़ा जदयू 115 सीटों पर जीतने में सफल रहा। वहीं, 102 सीटों पर चुनाव लड़ी भाजपा को 91 सीटों पर जीत मिली। दूसरी तरफ लालू का राजद महज 22 सीट पर सिमट गया। कांग्रेस को महज चार सीटें तो लोजपा को तीन सीटें मिलीं।
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दागी विधायक
एडीआर ने 243 में से 242 विधायकों के हलफनामे के विश्लेषण के बाद पाया कि इनमें से 141 यानी करीब 58 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। 2005 के मुकाबले यह संख्या ज्यादा रही। इनमें से गंभीर अपराध वाले विधायकों की संख्या 85 रही।
2010 के विधानसभा चुनाव में दागी विधायकों के आंकड़े
एडीआर ने 243 में से 242 विधायकों के हलफनामे के विश्लेषण के बाद पाया कि इनमें से 141 यानी करीब 58 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। 2005 के मुकाबले यह संख्या ज्यादा रही। इनमें से गंभीर अपराध वाले विधायकों की संख्या 85 रही।
2010 के विधानसभा चुनाव में दागी विधायकों के आंकड़े
| पार्टी | आपराधिक मामलों वाले कुल विधायक |
| जदयू | 58 |
| भाजपा | 58 |
| राजद | 13 |
| लोजपा | 3 |
| कांग्रेस | 3 |
| अन्य | 6 |
| कुल | 141 |
- बिहार में 2010 में जीतने वाले कुल 33 विधायकों पर हत्या से जुड़े केस दर्ज थे। इनमें सबसे ज्यादा 23 धाराओं में जदयू नेताओं पर केस थे। इसके अलावा सात धाराओं में भाजपा के, दो में लोजपा के और एक धारा में राजद के विधायक पर हत्या का केस था।
- सबसे ज्यादा आपराधिक मामलों वाले विधायक इस बार भी नवादा की वारिसलीगंज सीट से विधायक प्रदीप कुमार ही थे। हालांकि, इस बार वे निर्दलीय नहीं, बल्कि जदयू से चुनाव जीते थे। उन पर कुल 18 केस दर्ज थे।
- सबसे ज्यादा आपराधिक मामले वाले टॉप-10 विधायकों में छह जदयू के थे। वहीं, तीन भाजपा के और एक कांग्रेस विधायक थे।
3. 2015 में विधानसभा चुनाव
2015 के विधानसभा चुनाव जदयू-राजद-कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने 243 में से 178 सीटें हासिल कीं। राजद-जदयू ने बराबर 101-101 सीटें बांटीं, वहीं कांग्रेस को 41 सीटें मिलीं। जहां राजद 80 सीट जीतकर सबसे बड़ा दल बना। जदयू को 71 सीटें मिलीं। राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस 27 सीट जीतने में सफल रही।एनडीए को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा। राष्ट्रीय पार्टी भाजपा ने एनडीए का नेतृत्व जरूर किया, लेकिन क्षेत्रीय दलों की चमक के आगे उसे सिर्फ 53 सीटें मिलीं। लोजपा और रालोसपा को दो-दो और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा (हम) को एक सीट ही मिली। लेफ्ट फ्रंट को सिर्फ तीन सीटें ही मिलीं। तीन निर्दलीय भी जीतने में सफल हुए।
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दागी विधायक
इस चुनाव में 243 में से 142 विधायकों (58 फीसदी) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे। 2010 के मुकाबले यह संख्या बराबर रही। करीब 98 विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए। यह कुल विधायकों का 40 फीसदी था।
2015 के विधानसभा चुनाव में दागी विधायकों के आंकड़े
इस चुनाव में 243 में से 142 विधायकों (58 फीसदी) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे। 2010 के मुकाबले यह संख्या बराबर रही। करीब 98 विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए। यह कुल विधायकों का 40 फीसदी था।
2015 के विधानसभा चुनाव में दागी विधायकों के आंकड़े
| पार्टी | आपराधिक मामलों वाले कुल विधायक |
| जदयू | 37 |
| भाजपा | 34 |
| राजद | 46 |
| लोजपा | 2 |
| कांग्रेस | 16 |
| अन्य | 7 |
| कुल | 142 |
- बिहार में 2015 में जीतने वाले कुल 11 विधायकों ने अपने ऊपर हत्या से जुड़े मामले घोषित किए। इनमें सबसे ज्यादा राजद के 4, भाकपा-माले के दो, जदयू के दो और भाजपा, लोजपा और निर्दलीय एक-एक विधायक थे।
- 29 विधायकों ने अपने ऊपर हत्या के प्रयास से संबंधित मामले होने का जिक्र किया। इनमें सबसे ज्यादा जदयू के 11, राजद के सात, भाकपा-माले के दो, भाजपा के चार, कांग्रेस के दो और लोजपा के एक और दो निर्दलीय विधायक ऐसे थे, जिन्होंने धारा 307 के तहत मामला दर्ज होने की बात हलफनामे में बताई।
- मोकामा के विधायक अनंत सिंह पर सबसे ज्यादा 16 केस दर्ज थे। इनमें गंभीर अपराध में आईपीसी की 45 धाराओं में केस दर्ज थे। इसके अलावा दूसरा नाम जदयू के मतिहानी सीट से विधायक नरेंद्र कुमार का था, जिन पर 15 केस दर्ज थे। देहरी सीट से आने वाले राजद के मोहम्मद इलियास हुसैन का नाम तीसरे नंबर पर था। इन पर 14 केस दर्ज थे।
- सबसे ज्यादा आपराधिक मामले वाले टॉप-10 विधायकों में चार अकेले जदयू के थे। वहीं, दो भाकपा-माले, एक राजद, एक भाजपा के, एक कांग्रेस और एक निर्दलीय विधायक थे।
4. 2020 के विधानसभा चुनाव
2020 के विधानसभा चुनाव में 243 में से 241 विधायकों के शपथपत्र का विश्लेषण किया गया। इन चुनावों में एक बार फिर एनडीए और महागठबंधन आमने सामने थे। नतीजों में एनडीए को 243 में से 125 सीटें मिलीं, जबकि महागठबंधन 110 सीट पर सिमट गया। 115 सीटों पर चुनाव लड़े जदयू को 43 सीटें मिलीं। पार्टी के वोट प्रतिशत में 1.44% की भी गिरावट आई। वहीं, 110 सीटों पर चुनाव लड़ी भाजपा 74 सीटें जीतने में सफल रही। उसके वोट शेयर में 5 फीसदी की कमी आई, लेकिन सीटें 21 ज्यादा मिलीं। एनडीए में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार, जीतनराम मांझी की हम को 4 पर जीत हासिल की। कम सीटें पाने के बाद भी नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे।
दागी विधायक
बिहार में 2020 में हुए इस विधानसभा चुनाव में आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायकों की संख्या पिछले सभी चुनावों से ज्यादा रही। इस बार 241 में से 161 विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले बताए। यानी कुल 68 फीसदी विधायकों ने। यह 2015 के 58 फीसदी दागी विजेता उम्मीदवारों से 10 फीसदी ज्यादा रहा।
इनमें से कुल 123 के ऊपर गंभीर अपराधों में मामले दर्ज थे। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण से लेकर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से जुड़े मामले तक शामिल हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में दागी विधायकों के आंकड़े
बिहार में 2020 में हुए इस विधानसभा चुनाव में आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायकों की संख्या पिछले सभी चुनावों से ज्यादा रही। इस बार 241 में से 161 विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले बताए। यानी कुल 68 फीसदी विधायकों ने। यह 2015 के 58 फीसदी दागी विजेता उम्मीदवारों से 10 फीसदी ज्यादा रहा।
इनमें से कुल 123 के ऊपर गंभीर अपराधों में मामले दर्ज थे। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण से लेकर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से जुड़े मामले तक शामिल हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में दागी विधायकों के आंकड़े
| पार्टी | आपराधिक मामलों वाले कुल विधायक |
| जदयू | 20 |
| भाजपा | 47 |
| राजद | 54 |
| कांग्रेस | 16 |
| भाकपा-माले | 10 |
| AIMIM | 5 |
| अन्य | 11 |
| कुल | 163 |
- बिहार में 2020 में जीतने वाले कुल विधायकों में से 19 ने अपने ऊपर हत्या की धाराओं में केस दर्ज होने की बात कही। वहीं, 31 विधायकों ने अपने ऊपर हत्या के प्रयास से जुड़े मामले घोषित किए। इसके अलावा आठ नए विधायकों ने महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े केस होने का एलान किया।
- 2020 के चुनाव में भी 2015 की तरह ही मोकामा से राजद विधायक अनंत कुमार सिंह पर सबसे ज्यादा केस थे। इस बार उन पर कुल आपराधिक मामलों की संख्या बढ़कर 38 हो गई। इनमें हत्या से लेकर हत्या के प्रयास व अन्य धाराओं में मामले दर्ज थे।
- वहीं, आपराधिक मामलों में दूसरे नंबर पर भाकपा माले के अगियांव विधआनसभा सीट से विधायक बने मनोज मंजिल रहे। उन पर 30 केस दर्ज थे। तीसरे नंबर पर रहे कटिहार जिले की बलरामपुर सीट से भाकपा-माले के टिकट पर विधायक महबूब आलम। उन पर कुल 14 केस दर्ज थे।
- आपराधिक मामले वाले टॉप-10 विधायकों में सबसे ज्यादा राजद के छह विधायक रहे, वहीं भाकपा-माले के तीन और जदयू के एक विधायक भी शीर्ष 10 का हिस्सा बने।