Seat Ka Samikaran: यहां 30 साल से है एक परिवार का दबदबा, ऐसा है अतरी विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास
बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज बात अतरी सीट की करेंगे। इस सीट पर मौजूदा समय में राजद के अजय यादव विधायक हैं।

विस्तार
बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बीच बिहार में चुनाव से पहले ही सियासी हलचल देखने को मिल रही है। बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। इस सियासी हलचल के बीच अमर उजाला की खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज अतरी सीट की बात करेंगे। पिछले सात चुनाव में से छह चुनाव में इस सीट पर एक ही परिवार के लोगों को जीत मिली है।

बिहार के 38 जिलों में से एक जिला गया भी है। गया जिला चार अनुमंडल और 24 ब्लॉक में बंटा है। जिले में दस विधानसभा सीट हैं। इनमें गरुआ, शेरघाटी, इमामगंज (एससी), बाराचट्टी (एससी), बोधगया (एससी) ,गया टाउन, टिकारी, बेलागंज, अतरी, वजीरगंज शामिल हैं। आज सीट का समीकरण में अतरी सीट की बात करेंगे। यह सीट पहली बार 1952 में अस्तित्व में आई।
1952 : निर्दलीय उम्मीदवार को मिली जीत
1952 के विधानसभा चुनाव में अतरी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रामेश्वर प्रसाद यादव को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के जमुना प्रसाद सिन्हा को 1,693 वोट से मात दी। रामेश्वर प्रसाद को कुल 7,648 वोट मिले। वहीं, जमुना प्रसाद को 5,953 वोट मिले।
1957: कांग्रेस को मिली जीत
1957 के चुनाव में तात्कालिन विधायक रामेश्वर प्रसाद यादव को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में शिवरतन सिंह ने 6,631 वोट से जीत हासिल की। कांग्रेस के शिवरतन सिंह ने 1962 के चुनाव में भी जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार देवचरण सिंह को 4,688 वोट से मात दी। शिवरतन सिंह को 13,261 वोट मिले। वहीं, देवचरण सिंह को 8,573 वोट मिले।
1967: निर्दलीय उम्मीदवार को मिली जीत
दो बार के विधायक रहे चुके शिवरतन सिंह को 1967 में हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के प्रसाद को 4,840 वोट से जीत मिली। के प्रसाद को कुल 19,707 वोट मिले। वहीं, शिवरतन सिंह को 14,867 वोट मिले।
1969: जनसंघ को मिली पहली जीत
1969 के चुनाव में अतरी सीट से जनसंघ के बाबू लाल सिंह को 6,793 वोट से जीत हासिल की। वहीं,कांग्रेस के युगेश्वर सिंह दूसरे नंबर पर रहे।
1972: माहेश्वरी प्रसाद सिंह को मिली जीत
1972 के चुनाव में कांग्रेस (ओ) के माहेश्वरी प्रसाद सिंह को जीत मिली। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार किशोर प्रसाद को 11,183 वोट से मात दी। माहेश्वरी प्रसाद को कुल 33,394 वोट मिले। वहीं, किशोरी प्रसाद को 22,211 वोट मिले।
1977: शिवरतन सिंह के बेटे को मिली जीत
अतरी सीट से दो बाार के विधायक रहे शिवरतन सिंह के बेटे मुंद्रिका सिंह को जीत मिली। उन्होंने यह चुनाव जनता पार्टी के टिकट से लड़ा। इस चुनाव में मुंद्रिका सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार महेश सिंह को 14,038 वोट से हराया। मुंद्रिका सिंह को कुल 42,605 वोट मिले। वहीं, महेश सिंह को 28,567 वोट मिले। इसके साथ ही इस चुनाव में तत्कालीन विधायक माहेश्वरी प्रसाद चौथे नंबर पर रहे।
1980: सुरेंद्र प्रसाद को मिली जीत
1980 के चुनाव में अतरी विधानसभा सीट से कांग्रेस (यू) सुरेंद्र प्रसाद को 14,007 वोट से जीत मिली। वहीं, भाजपा के बाबू लाल सिंह दूसरे नंबर पर रहे। सुरेंद्र प्रसाद को कुल 43,898 और बाबू लाल को 29,891 वोट मिले।
1985: कांग्रेस को मिली जीत
- 1980 में अतरी सीट से कांग्रेस के रंजीत सिंह को जीत मिली। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार महेश सिंह यादव को 10,922 वोट से मात दी। रंजीत सिंह को कुल 47,128 वोट मिले। वहीं, महेश सिंह को 36,206 वोट मिले।
- 1990 के चुनाव में कांग्रेस के रंजीत सिंह अतरी सीट से दोबारा विधायक बने। इस बार भी उन्होंने जनता दल के महेश सिंह यादव को 1,792 वोट से शिकस्त दी। इस चुनाव में रंजीत सिंह को 48,586 मिले। वहीं, महेश सिंह को 46,794 वोट मिले।
1995: राजेंद्र प्रसाद के परिवार का गढ़ बनी अतरी
- 1995 के चुनाव में जनता दल के राजेंद्र प्रसाद यादव ने 55,665 वोट से जीत हासिल की। भाजपा के कृष्ण कुमार सिंह दूसरे नंबर पर रहे। राजेंद्र प्रसाद को कुल 77,133 वोट मिले। वहीं, कृष्ण कुमार को 21,468 वोट से संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में तात्कालिन विधायक रंजीत सिंह चौथे नंबर पर रहे।
- इसके बाद राजेंद्र प्रसाद ने 2000 और फरवरी 2005 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2000 के चुनाव में राजेंद्र प्रसाद ने राजद के टिकट से चुनाव लड़ा। उन्होंने बीपीएसपी के बीरेंद्र सिंह को 32,034 वोट से मात दी। राजेंद्र प्रसाद को कुल 90,858 वोट मिले।
- फरवरी 2005 के चुनाव में राजेंद्र प्रसाद ने 27,189 वोट से जीत हासिल की। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के रामश्रय प्रसाद सिंह दूसरे नबर पर रहे। राजेंद्र प्रसाद को 63,921 और रामश्रय सिंह को 36,732 वोट से जीत मिली। राजेंद्र यादव को बाद में एक बच्ची की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई।
अक्तूबर 2005: राजेंद्र प्रसाद की पत्नी को मिली जीत
अक्तूबर 2005 में अतरी सीट से राजद उम्मीदवार और राजेंद्र प्रसाद यादव की पत्नी कुंती देवी को जीत मिली। उन्होंने भाजपा के वीरेंद्र सिंह को 2,922 वोट से शिकस्त दी। कुंती देवी को कुल 32,162 वोट मिले। वहीं, वीरेंद्र सिंह को 29,240 वोट मिले।
2010: कृष्ण नंदन यादव को मिली जीत
2010 के चुनाव में राजद की कुंती देवी को हार मिली। इस चुनाव में जदयू के कृष्ण नंदन यादव ने 20,610 वोट से जीत मिली। कृष्ण नंदन यादव को कुल 55,633 और कुंती देवी को 35,023 वोट मिले।
2015: कुंती देवी की वापसी
2015 में राजद की कुंती देवी ने वापसी की। उन्होंने लोजपा के अरविंद कुमार सिंह को 13,817 वोट से हराया। कुंती देवी को 60,687 वोट मिले। वहीं, अरविंद कुमार सिंह को 46,870 वोट मिले।
अतरी विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुकीं कुंती देवी को चर्चित सुमारिक यादव हत्याकांड के मामले में दोषी पाया गया। उन्हें न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई। दरअसल, जदयू नेता सुमारिक यादव की 26 फरवरी 2013 को लाठी, डंडा व लोहे की रॉड से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। असल में जदयू नेता सुमारिक यादव की हत्या राजनीतिक रंजिश की वजह से कराई गई थी। उस दौरान इस खबर ने काफी सुर्खियां भी बटोरी थी। इस मामले में मृतक के भाई विजय यादव की तहरीर और बयान के आधार पर गया के नीमचक बथानी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सुमारिक यादव जनता दल यूनाइटेड के प्रखंड अध्यक्ष थे। गया केन्द्रीय कारागार में उम्रकैद की सजा काटने के दौरान कुंती देवी की तबियत खराब होने पर पीएमसीएच ले जाया गया था। जहां 23 अप्रैल 2021 को निधन हो गया।
2020: रजेंद्र यादव के बेटे बने विधायक
2020 में अतरी विधानसभा सीट से रजेंद्र यादव के बेटे अजय यादव को जीत मिली। अजय यादव ने जदयू की मनोरमा देवी को 7,931 वोट से हराया। अजय यादव को कुल 62,658 वोट मिले। वहीं, मनोरमा देवी को 54,727 वोट मिले।
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