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Seat Ka Samikaran: यहां आज तक भाजपा के अलावा किसी दूसरे दल को नहीं मिली जीत, ऐसा है चिरैया का चुनावी इतिहास

इलेक्शन डेस्क, अमर उजाला Published by: संध्या Updated Mon, 15 Sep 2025 12:51 AM IST
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सार

बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज चिरैया विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट पर 2020 में भाजपा के लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को जीत मिली थी। 

Bihar Assembly Election  Chiraia Constituency Seats Avaneesh Kumar Singh Lal Babu Prasad Gupta
बिहार चुनाव 2025 - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार में चुनावी पारा अभी से चढ़ने लगा है। तारीखों का एलान भी कभी भी हो सकता है। सीट बंटवारे को लेकर खींचतान भी शुरू हो चुकी है। इस सियासी हलचल के बीच अमर उजाला की खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज चिरैया सीट की बात करेंगे। इस सीट से पिछले दो चुनाव में भाजपा के लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को जीत मिली है। 

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पहले जानते है चिरैया सीट के बारे में
बिहार के 38 जिलों में से एक पूर्वी चंपारण जिला भी है। जिले में कुल 12 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, मोतिहारी, ढाका और चिरैया विधानसभा सीटें शामिल हैं। चिरैया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती है जिसमें तीन पूर्वी चंपारण, एक शिवहर और दो सीतामढ़ी जिले का हिस्सा हैं। इसमें मधुबन, चिरैया और ढाका पूर्वी चंपारण, शिवहर शिवहर और रीगा और बेलसंड सीतामढ़ी जिले का हिस्सा हैं। इस सीट पर 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी। उसके बाद से इस सीट पर भाजपा का कब्जा ही रहा है। 
 

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2010 में अवनीश कुमार सिंह को मिली जीत 
2010 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे। अवनीश कुमार सिंह ने यहां से पहली बार चुनाव जीता था। अवनीश कुमार सिंह ने लक्ष्मी नारायण प्रसाद यादव को 14828 वोट से हरा दिया था। अवनीश कुमार सिंह को 39459 वोट मिले थे। लक्ष्मी नारायण प्रसाद यादव को 24631 वोट मिले थे। 
इससे पहले 2005 से 2010 और 1990 से 2000 तक भाजपा के टिकट पर बिहार विधानसभा में ढाका से विधायक चुने गए थे। 2013 में भाजपा के विधायक होने के बावजूद उन्होंने नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का विरोध किया था। उन्होंने नरेंद्र मोदी की जगह नीतीश कुमार का समर्थन किया था। इसके बाद उन्हें भाजपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद वह जदयू में शामिल हो गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी चंपारण से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 

2015, 2020 में लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को मिली जीत 
2015 और 2020 में भी इस सीट से भाजपा के लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को जीत मिली थी। 2015 के नतीजों की बात करें तो उन्होंने राजद के लक्ष्मी नारायण प्रसाद यादव को 4374 वोट से हरा दिया था। लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को 62831 वोट मिले थे, दूसरी और  लक्ष्मी नारायण प्रसाद यादव को 58457 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर 12172 वोट के साथ सपा के अवनीश कुमार सिंह रहे। 



2020 की बात करें तो यहां से एक बार फिर भाजपा के लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को जीत मिली थी। उन्होंने राजद के अच्छेलाल प्रसाद को 16874 वोट से हरा दिया था। लाल बाबू को 62904 और अच्छेलाल प्रसाद को 46030 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर 16395 वोट के साथ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे लक्ष्मी नारायण प्रसाद यादव थे। 



 
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