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Defence: रक्षा मंत्रालय में खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए नया ढांचा मंजूर, रक्षामंत्री ने कही ये बात
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शुक्ला
Updated Sun, 14 Sep 2025 10:35 PM IST
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
- फोटो : ANI/वीडियो ग्रैब
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना और रक्षा मंत्रालय की खरीद प्रक्रिया को आसान, त्वरित और पारदर्शी बनाने के लिए डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल (डीपीएम) 2025 को मंजूरी दे दी है। यह मैनुअल खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने और आधुनिक युद्ध की जरूरतों के अनुरूप निर्णय लेने में तेजी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
मंत्रालय ने बताया कि नया मैनुअल सुनिश्चित करेगा कि सशस्त्र बलों को आवश्यक संसाधन समय पर और उचित लागत पर मिलें, जिससे उनकी युद्ध तैयारियों पर कोई असर न पड़े। इसे लागू करने से रक्षा खरीद में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। डीपीएम 2025 में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को और मजबूत किया गया है और इसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) को बढ़ावा देना है। मंत्रालय का कहना है कि इसके तहत निजी कंपनियों, लघु और मध्यम उद्योगों, स्टार्ट-अप्स और अन्य घरेलू उद्योगों को सक्रिय भागीदारी का अवसर मिलेगा, साथ ही परंपरागत रक्षा सार्वजनिक उपक्रम भी इसमें शामिल रहेंगे।
पिछला डीपीएम 2009 में लागू किया गया था, इसे अपडेट करना जरूरी था
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि पिछले डीपीएम को 2009 में लागू किया गया था। नए मैनुअल को तैयार करने के दौरान मंत्रालय ने सशस्त्र बलों और अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श किया। डीपीएम 2025 में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की वार्षिक खरीद को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश और प्रावधान तय किए गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि इस मैनुअल को अद्यतन करना इसलिए जरूरी था ताकि सार्वजनिक खरीद में हाल के तकनीकी और प्रबंधन के विकास शामिल हो सकें।

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मंत्रालय ने बताया कि नया मैनुअल सुनिश्चित करेगा कि सशस्त्र बलों को आवश्यक संसाधन समय पर और उचित लागत पर मिलें, जिससे उनकी युद्ध तैयारियों पर कोई असर न पड़े। इसे लागू करने से रक्षा खरीद में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। डीपीएम 2025 में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को और मजबूत किया गया है और इसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) को बढ़ावा देना है। मंत्रालय का कहना है कि इसके तहत निजी कंपनियों, लघु और मध्यम उद्योगों, स्टार्ट-अप्स और अन्य घरेलू उद्योगों को सक्रिय भागीदारी का अवसर मिलेगा, साथ ही परंपरागत रक्षा सार्वजनिक उपक्रम भी इसमें शामिल रहेंगे।
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पिछला डीपीएम 2009 में लागू किया गया था, इसे अपडेट करना जरूरी था
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि पिछले डीपीएम को 2009 में लागू किया गया था। नए मैनुअल को तैयार करने के दौरान मंत्रालय ने सशस्त्र बलों और अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श किया। डीपीएम 2025 में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की वार्षिक खरीद को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश और प्रावधान तय किए गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि इस मैनुअल को अद्यतन करना इसलिए जरूरी था ताकि सार्वजनिक खरीद में हाल के तकनीकी और प्रबंधन के विकास शामिल हो सकें।