Seat Ka Samikaran: रीगा को चीनी मिल की सौगात किसे आएगी रास? यहां भाजपा-कांग्रेस की सीधी लड़ाई; ऐसा है इतिहास
बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज रीगा विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट पर 2020 में भाजपा के मोतीलाल प्रसाद को जीत मिली थी।

विस्तार
बिहार चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है। हर कोई इस समय बिहार में चुनाव में रंग में रंग चुका है। पक्ष-विपक्ष में जंग तेज हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में लगातार रैली कर रहे हैं। तेजस्वी और राहुल गांधी भी लगातार जनता से संपर्क कर रहे हैं। एनडीए और महागठबंधन में सीट के बंटवारे को लेकर भी लगातार गहमागहमी देखने को मिल रही है। एनडीए नीतीश कुमार के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, लेकिन महागठबंधन में यह तस्वीर अभी तक साफ नहीं हुई है। इस सियासी हलचल के बीच अमर उजाला की खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज रीगा विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट से पिछले चुनाव में भाजपा के मोती लाल प्रसाद को जीत मिली थी।

रीगा की बात करें तो यहां सबसे बड़ी चीनी मिल स्थित है। 1933 में स्थापित यह चीनी मिल भारत की सबसे पुरानी चीनी मिल है। चार वर्षों तक यह चीनी मिल बंद थी, लेकिन दिसंबर 2024 में नीतीश कुमार ने इस चीनी मिल को फिर से शुरू करके रीगा की जनता और गन्ना किसानों को बड़ी सौगात दी। यह मिल दशकों से चीनी उत्पादन और ग्रामीण आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान देती रही है। मील की शुरुआत शिवहर और आसपास के जिलों के लिए काफी बड़ी खुशखबरी लेकर आई है।
पहले जानते है रीगा सीट के बारे में
बिहार के 38 जिलों में से एक सीतामढ़ी जिला भी है। जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें रीगा, बथनाहा (एससी), परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, सीतामढ़ी, रुन्नीसैदपुर, बेलसंड विधानसभा सीटें शामिल हैं। रीगा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें तीन पूर्वी चंपारण, एक शिवहर और दो सीतामढ़ी जिले का हिस्सा हैं। इसमें मधुबन, चिरैया और ढाका पूर्वी चंपारण, शिवहर विधानसभा सीट शिवहर और रीगा और बेलसंड सीतामढ़ी जिले का हिस्सा हैं। रीगा विधानसभा सीट की बात करें तो यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी और इसमें 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे।
2010 में पहली बार हुए चुनाव
2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। सीट पर 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे। भाजपा के मोतीलाल प्रसाद ने कांग्रेस के अमित कुमार को 22327 वोट से हरा दिया था। इस सीट पर सीधे तौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर देखने को मिलती है। भाजपा के मोतीलाल प्रसाद को 48633 वोट तो वहीं कांग्रेस के अमित कुमार को 26306 वोट मिले थे।
2015 में कांग्रेस को मिली जीत
2015 के चुनाव में यहां चुनाव का नतीजा बदल गया और कांग्रेस के अमित कुमार को जीत मिली। कांग्रेस के अमित कुमार ने तत्कालीन विधायक और भाजपा के मोतीलाल प्रसाद को 22856 वोट से हरा दिया था। अमित कुमार को 79217 और मोतीलाल प्रसाद को 56361 वोट मिले थे।
2020 में भाजपा की वापसी
2020 में सीट पर फिर से भाजपा के मोतीलाल प्रसाद ने वापसी की। मुकाबला एक बार फिर से भाजपा और कांग्रेस के बीच में देखने को मिला था। यह तीसरा मौका था, जब मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में देखने को मिला। भाजपा के मोतीलाल प्रसाद ने कांग्रेस के अनिल कुमार को 32495 वोट से मात दी थी। भाजपा को 95226 और कांग्रेस के उम्मीदवार को 62731 वोट मिले थे। नीतीश सरकार में मोतीलाल प्रसाद कला संस्कृति एवं युवा विभाग में मंत्री हैं। इन्हीं के रहते हुए चीनी मिल का शुभारंभ हुआ। मोतीलाल प्रसाद से अपने कार्यकाल में एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनवा रहे हैं।
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