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Tripura: 'चटगांव बंदरगाह पर हो नियंत्रण, जमीन वापस लें', टिपरा मोथा पार्टी ने उठाया ग्रेटर टिपरालैंड का मुद्दा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Wed, 17 Sep 2025 07:13 PM IST
सार

टिपरा मोथा पार्टी के अध्यक्ष प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा ने कहा कि ग्रेटर टिपरालैंड तब होगा जब हम सब एक साथ मिलेंगे और पाकिस्तान और बांग्लादेश को कुचल देंगे। चटगांव हिल ट्रैक प्राप्त करेंगे, अपनी पुरानी जमीन वापस लेंगे। ये कृत्रिम सीमाएं बनाई गई हैं।

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'Take control of Chittagong port, take back the land', Tipra Motha Party raised the issue of Greater Tipraland
प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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टिपरा मोथा पार्टी ने एक बार फिर ग्रेटर टिपरालैंड का मुद्दा उठाया है। टिपरा मोथा पार्टी के अध्यक्ष प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा ने कहा कि भारत को चटगांव बंदरगाह पर नियंत्रण करना चाहिए। साथ ही चटगांव हिल ट्रैक और हमारी पुरानी जमीन वापस दिलाई जाए।
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उन्होंने कहा कि अब तक कृत्रिम सीमाएं बनाई गई हैं और अगर तुरंत राजनीतिक सीमा नहीं बनाई जा सकती है तो सांस्कृतिक सीमा बनाई जानी चाहिए। प्रद्योत देबबर्मा ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की अप्रैल में की गई टिप्पणी पूर्वोत्तर भारत भूमि से घिरा है को गलत ठहराते हुए कहा कि चटगांव बंदरगाह हमारी आर्थिक उत्तरजीविता के लिए आवश्यक है।
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उन्होंने कहा कि ग्रेटर टिपरालैंड तब होगा जब हम सब एक साथ मिलेंगे और पाकिस्तान और बांग्लादेश को कुचल देंगे। चटगांव हिल ट्रैक प्राप्त करेंगे, अपनी पुरानी जमीन वापस लेंगे। ये कृत्रिम सीमाएं बनाई गई हैं। वहां लोग रहते हैं, हमारे लोग उस तरफ रहते हैं। राजनीतिक सीमा न बनाएं, सांस्कृतिक सीमा बनाएं। यूरोप क्या है? आप एक पूर्वी तिमोर बनाएं। आप एक मित्र देश बनाएं। क्योंकि दूसरी तरफ हमारे लोग इसे चाहते हैं। भारत के पास भूटान जैसा एक मित्र देश होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार जनमत संग्रह के बारे में सोचती है? यूक्रेन में कोई जनमत संग्रह हुआ था? जनमत संग्रह जैसी कोई चीज नहीं होती। अगर पश्चिम चाहेगा तो हो जाएगा। क्या शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए जनमत संग्रह हुआ था? शासन परिवर्तन बिल्कुल स्पष्ट है। एक गहरी सत्ता थी जिसने 60 और 70 के दशक में पश्चिम से पूर्वोत्तर में कुछ हद तक अशांति पैदा करने के लिए काम किया था। रॉ और आईबी आपको इसके बारे में भी बताएंगे। यह संभव है। मैं बस इतना कह रहा हूं कि यह संभव है।

भारत के पड़ोस की कुछ अन्य समस्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें मजबूत नेतृत्व की जरूरत है और हमें ऐसा नेतृत्व चाहिए जो इस क्षेत्र, इस कॉरिडोर पर 20 साल बाद भी ध्यान दे। बर्मा में भी कचिन सेना के साथ कुछ हो रहा है। अराकान सेना मुश्किल में है। रोहिंग्या समस्या है। इसमें बहुत कुछ हो रहा है। हमारे पड़ोस में मणिपुर में क्या हो रहा है? लोग म्यांमार से आ रहे हैं। ये सब एक बड़ी भू-राजनीति का हिस्सा है जो चल रही है। हम राजनीति कर रहे हैं। आपको एक मजबूत हाथ की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अगर पूर्वोत्तर आर्थिक रूप से जीवित रह सकता है तो यही एकमात्र रास्ता है, अन्यथा हम मोहम्मद यूनुस ने कहे अनुसार चिकन्स नेक हैं, हम चारों ओर से भूमि से घिरे हुए हैं। अगर हमें आर्थिक रूप से जीवित रहना है और मोहम्मद यूनुस को गलत साबित करना है, तो चटगांव पहाड़ी बंदरगाह हमारे आर्थिक अस्तित्व के लिए आवश्यक है। यह केवल त्रिपुरा नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के लिए जरूरी है।

टिपरा मोथा पार्टी प्रमुख ने दावा किया कि बांग्लादेश एक विफल देश है और हमें उकसा रहा है। जापान, चीन, पूर्वी गणराज्य हमारा समर्थन करेंगे। त्रिपुरी, गारो, खासी, ईसाइयों, हिंदुओं की एक बड़ी संख्या है, इसलिए पश्चिम को कोई समस्या नहीं होगी। पाकिस्तान और बांग्लादेश में बहुत बड़ा अंतर है। अगर भारत एक महाशक्ति बनने की बात कर रहा है और हम बांग्लादेश से निपट भी नहीं सकते तो मुझे लगता है कि हमें यह सपना छोड़ देना चाहिए। हमें सुरक्षा परिषद में आना होगा। इंदिरा गांधी ने 1971 में ऐसा किया था, जब हम महाशक्ति भी नहीं थे। इसलिए हमें अब ऐसा करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगले साल बांग्लादेश में चुनाव हैं। वहां एक अमित्र भारत विरोधी सरकार होगी। चाहे वह खालिदा जिया हो, जमात-ए-इस्लामी हो या मुहम्मद यूनुस हो। शेख हसीना नहीं आ रही हैं।  नीतिगत चुनाव सिर्फ उम्मीद के आधार पर नहीं किए जाने चाहिए। हम लोगों के बदलने की उम्मीद नहीं कर सकते। भगवान राम को उम्मीद नहीं थी कि एक दिन रावण सीता को अयोध्या वापस लौटा देगा। वह गया और जो उसका था, उसे ले गया। ऐसे युद्ध होते हैं जिन्हें जब लड़ना होता है, तो लड़ना ही पड़ता है।

ग्रेटर टिपरालैंड की मांग कर रही टिपरा मोथा
टिपरा मोथा पार्टी राज्य के आदिवासियों के लिए ग्रेटर टिपरालैंड राज्य और त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद को सीधे वित्त पोषण देने जैसे मांग कर रही है। टिपरा मोथा की शुरुआत एक गैर सरकारी संगठन के रूप में हुई थी और बाद में 2021 में इसे एक राजनीतिक दल में बदल दिया गया। पार्टी त्रिपुरा के स्वदेशी लोगों को उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए सामूहिक रूप से लड़ने के लिए एकजुट करने का प्रयास करती है।
 

मेरे परदादा ने ली थी भारत की पहली सेल्फी: प्रद्योत
टिपरा मोथा पार्टी के संस्थापक और त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के सदस्य प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा ने दावा किया है कि उनके परदादा, तत्कालीन महाराजा बीर चंद्र माणिक्य ने 1880 में भारत में पहली सेल्फी ली थी। देब बर्मा ने बताया कि महाराजा माणिक्य और महारानी मनमोहिनी देवी का स्व-चित्र देश में ली गई पहली सेल्फी थी। इस तस्वीर को लेकर बर्मा ने कहा, पहली सेल्फी, अगर आप इसे देखें, तो यह मेरे परदादा हैं और मैतेई राजकुमारी यानी महारानी मनमोहिनी मेरी परदादी हैं।

उन्होंने आगे कहा, अगर आप उनके बाएं हाथ में देखें, तो एक बटन है। दरअसल, यह एक सेल्फी है। बल्ब जलता है और सेल्फी बन जाती है। यह अद्भुत टाइटेनियम प्रिंट की 1880 में ली गई पहली सेल्फी है। टिपरा मोथा सुप्रीमो ने आगे कहा, टैगोर की तीन किताबें हमारे परिवार के बारे में लिखी गई हैं। मेरे परदादा टैगोर के बहुत अच्छे मित्र थे। 
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