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Vaishno Devi: वैष्णो देवी धाम मेडिकल कॉलेज के 50 छात्रों में 48 मुस्लिम, हिंदू छात्रों का नामांकन से किनारा

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 26 Nov 2025 03:54 PM IST
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Vaishno Devi Dham Medical College Students Opposition Matter news and updates
श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस। - फोटो : अमर उजाला
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श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज का विवाद और गहरा गया है। पहले इस मेडिकल कॉलेज के कुल 50 छात्रों में सात हिंदू और एक सिख छात्र होने की बात सामने आई थी, लेकिन अब दावा किया जा रहा है कि हिंदू छात्रों ने विवाद बढ़ता देख संस्थान में प्रवेश लेने से किनारा कर लिया है। इस तरह संस्थान में प्रवेश लेने वाले हिंदू छात्रों की संख्या और घट गई है। विहिप ने दावा किया है कि अब केवल दो ही हिंदू छात्रों ने संस्थान में प्रवेश लिया है। इस तरह इस मेडिकल कॉलेज में कुल मुस्लिम छात्रों की संख्या अब 48 हो गई है। इससे स्थानीय हिंदू समुदाय में जबरदस्त आक्रोश पैदा हो गया है। वे जगह-जगह प्रदर्शन कर इस निर्णय को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। 
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दरअसल, श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज (श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सिलेंस) में इसी वर्ष से मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो रही है। यह कॉलेज माता वैष्णो देवी धाम में आने वाले चढ़ावे से करीब 600 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इसमें राज्य सरकार की कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है। 
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इस संस्थान में 50 छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई करने की अनुमति दी गई है। संस्थान ने इस वर्ष नीट परीक्षा आयोजित होने के बाद 50 छात्रों की सूची जारी की थी। शुरुआत में जारी सूची में 42 छात्र मुसलमान थे। यह सूची सामने आने के बाद विवाद गहरा गया। अब विहिप ने दावा किया है कि विवाद बढ़ने के बाद अन्य हिंदू छात्रों ने भी यहां प्रवेश लेने की बजाय दूसरे संस्थाओं की ओर रुख कर लिया है और अब यहां केवल दो ही छात्र हिंदू बचे हैं। 

विहिप और बजरंग दल के लोगों का कहना है कि हिंदू मतावलंबियों के चढ़ावे से चलने वाले संस्थान में मुसलमान छात्रों को पढ़ने की अनुमति क्यों दी जा रही है। विहिप की आशंका है कि मुस्लिम छात्र इस संस्थान में रहते हुए मांस भक्षण भी करेंगे। उनके अनुसार, इससे मंंदिर की पवित्रता भंग होगी। यह मेडिकल कॉलेज कटड़ा में बना हुआ है, जबकि वैष्णो देवी की धार्मिक मान्यता के कारण वैष्णो देवी धाम के पांच किलोमीटर के इर्द गिर्द मांस-मदिरा के उपयोग पर पाबंदी है।

श्राइन बोर्ड के मुस्लिम कर्मचारियों पर भी विवाद 
विहिप नेता विनोद बंसल ने अमर उजाला से कहा कि माता वैष्णो देवी के श्राइन बोर्ड में करीब 300 मुसलमान कर्मचारी विभिन्न पदों पर काम करते हैं। वे श्राइन बोर्ड के द्वारा बनाए गए भवनों में रहते हैं और वहीं रहकर अपनी धार्मिक रीति-रिवाज का भी पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि श्राइन बोर्ड को अपने यहां ऐसे लोगों को काम करने की अनुमति क्यों देनी चाहिए जिनका हिंदू धार्मिक परंपराओं में विश्वास नहीं है। विहिप ऐसे कर्मचारियों को बोर्ड से बाहर करने की मांग कर रहा है।     

विहिप महामंत्री बजरंग बागड़ा ने 10 अक्टूबर को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने की मांग की थी। विहिप नेता ने हिंदू धर्म के धर्मावलंबियों के पैसे से केवल हिंदू छात्रों, हिंदू धर्म के शास्त्रों, रीति-रिवाजों और परंपराओं के रक्षण की सिफारिश की थी। 

विरोध बढ़ा
हिंदू समुदाय के विभिन्न संगठनों और अन्य सामाजिक संस्थाओं ने 'श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति' बनाकर इस मेडिकल कॉलेज में मुसलमान छात्रों के प्रवेश का विरोध किया है। इसमें विहिप और बजरंग दल के साथ-साथ लगभग 80 छोटे-बड़े संगठन शामिल हैं। सेना से रिटायर्ड कर्नल सुखबीर सिंह मनकोटिया को इसका संयोजक बनाया गया है।

विश्व हिंदू परिषद (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र) के प्रांत मंत्री और श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति के सदस्य करण सिंह ने अमर उजाला से कहा कि मेडिकल कॉलेज की नई सूची में केवल दो छात्र हिंदू रह गए हैं। शेष छात्रों ने स्वयं को असुरक्षित मानकर इस मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने की बजाय दूसरे संस्थाओं की ओर रुख कर लिया है। लेकिन इससे हिंदू समुदाय में जबरदस्त आक्रोश है। उन्हें लग रहा है कि जिस समुदाय के लोग उनकी धार्मिक आस्थाओं का सम्मान नहीं कर सकते, वे उनकी संस्थाओं में प्रवेश कैसे ले सकते हैं। 

करण सिंह ने कहा कि, इसके पहले चरारे-शरीफ में हजरत बल दरगाह में अशोक चिन्ह होने के बाद मुसलमानों ने इसका विरोध किया था। अशोक चिन्ह का राष्ट्रीय महत्त्व होने के बाद भी उसे उखाड़ कर फेंक दिया गया था। ऐसे में उन्हें हिंदू धर्म के मंदिर के बने मेडिकल कॉलेज में शिक्षा क्यों ग्रहण करनी चाहिए।  

सेक्युलर संस्थान में विवाद क्यों- उमर अब्दुल्ला      
वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उक्त मेडिकल कॉलेज अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं रखता। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में बच्चों का प्रवेश नीट परीक्षा के आधार पर होता है। यदि बच्चों का प्रवेश धर्म के आधार पर होगा तो इससे सेक्युलर सोच को चोट लगेगी। उन्होंने कहा कि यदि संस्थान को किसी धर्म विशेष के बच्चों को शिक्षा देनी है तो उसे इसके पहले अपने आपको अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान के रूप में दर्ज कराना चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री के बयान के बाद यह विवाद घटने की बजाय और बढ़ गया है। हिंदू समुदाय के लोग इसे अपनी भावनाओं के खिलाफ बताते हुए पूरे जम्मू-कश्मीर में हर जिले में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।     
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