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Aviation: हवाई यात्रा अब और सुरक्षित, देश के इन 15 एयरपोर्ट पर लगेंगे हाईटेक एंटी-ड्रोन सिस्टम, ऐसे करेंगे काम
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 26 Nov 2025 03:47 PM IST
सार
सूत्रों का कहना है कि एंटी-ड्रोन सिस्टम की पहली इंस्टॉलेशन लिस्ट में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम शामिल है।
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एयरपोर्ट सुरक्षा।
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
देश के सभी बड़े कमर्शियल एयरपोर्ट जल्द ही एंटी-ड्रोन सिस्टम से सुरक्षित किए जाएंगे। पहले चरण में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता सहित करीब 15 प्रमुख हवाई अड्डों पर यह तकनीक सक्रिय करने की तैयारी चल रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निर्देशों के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा दिया है। दरअसल,यह उन्नत तकनीक केवल रक्षा प्रतिष्ठानों और संवेदनशील सैन्य क्षेत्रों में ही उपयोग की जाती थी, लेकिन हाल के वर्षों में ड्रोन हमलों के बढ़ते जोखिम को देखते हुए इसे सिविल एविएशन सेक्टर में भी लागू करने का निर्णय लिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि एंटी-ड्रोन सिस्टम की पहली इंस्टॉलेशन लिस्ट में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम शामिल है। इसके बाद दूसरे चरण में अहमदाबाद, गुवाहाटी, लखनऊ और जयपुर जैसे शहरों के एयरपोर्ट्स पर भी यह सुरक्षा तकनीक लगाई जाएगी। सरकार के पीछे हाल के वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाक्रमों को बड़ी वजह बताया जा रहा है। मई 2025 में भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ड्रोन तकनीक के बड़े और प्रभावी इस्तेमाल ने सरकार को सिविल एविएशन सेक्टर में अतिरिक्त सुरक्षात्मक उपाय लागू करने पर मजबूर किया है।
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सूत्रों का कहना है कि एंटी-ड्रोन सिस्टम की पहली इंस्टॉलेशन लिस्ट में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम शामिल है। इसके बाद दूसरे चरण में अहमदाबाद, गुवाहाटी, लखनऊ और जयपुर जैसे शहरों के एयरपोर्ट्स पर भी यह सुरक्षा तकनीक लगाई जाएगी। सरकार के पीछे हाल के वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाक्रमों को बड़ी वजह बताया जा रहा है। मई 2025 में भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ड्रोन तकनीक के बड़े और प्रभावी इस्तेमाल ने सरकार को सिविल एविएशन सेक्टर में अतिरिक्त सुरक्षात्मक उपाय लागू करने पर मजबूर किया है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, एयरपोर्ट पर लगाए जाने वाले एंटी-ड्रोन सिस्टम में रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर, लेजर इंटरसेप्टर और जीपीएस स्पूफिंग जैसी आधुनिक तकनीकें शामिल होंगी। यह सिस्टम 5 से 7 किलोमीटर के दायरे में उड़ने वाले किसी भी अनधिकृत ड्रोन को पहले पहचान लेगा और फिर उसका नियंत्रण अपने हाथ में लेकर उसे सुरक्षित स्थान पर उतार देगा। जरूरत पड़ने पर ये सिस्टम ड्रोन को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता भी रखता है। बताया गया है कि इस तकनीक की इंस्टॉलेशन भारतीय कंपनी बीईएल, इजरायल की कुछ फर्मों और यूरोपीय कंपनियों के साथ मिलकर की जा रही है।
एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत ने यह कदम देर से उठाया है, लेकिन दिशा बिल्कुल सही है। अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देशों ने अपने बड़े एयरपोर्ट्स पर यह तकनीक पहले ही लगा ली थी। लंदन गैटविक एयरपोर्ट पर एक ड्रोन की वजह से 36 घंटे उड़ानें बंद होने की घटना ने इस सिस्टम की जरूरत साफ कर दी थी। भारत अब ऐसा जोखिम नहीं ले सकता। ड्रोन उड़ाने के नियम सख्त हैं, लेकिन ब्लैक मार्केट में छोटे ड्रोन आसानी से मिल जाते हैं और सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि इनका दुरुपयोग हो सकता है। इसीलिए एंटी-ड्रोन सुरक्षा अब भारतीय एयरपोर्ट्स के लिए जरूरी कदम बन गई है।
एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत ने यह कदम देर से उठाया है, लेकिन दिशा बिल्कुल सही है। अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देशों ने अपने बड़े एयरपोर्ट्स पर यह तकनीक पहले ही लगा ली थी। लंदन गैटविक एयरपोर्ट पर एक ड्रोन की वजह से 36 घंटे उड़ानें बंद होने की घटना ने इस सिस्टम की जरूरत साफ कर दी थी। भारत अब ऐसा जोखिम नहीं ले सकता। ड्रोन उड़ाने के नियम सख्त हैं, लेकिन ब्लैक मार्केट में छोटे ड्रोन आसानी से मिल जाते हैं और सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि इनका दुरुपयोग हो सकता है। इसीलिए एंटी-ड्रोन सुरक्षा अब भारतीय एयरपोर्ट्स के लिए जरूरी कदम बन गई है।