BR Gavai Interview: पूर्व चीफ जस्टिस बोले- न्यायिक सक्रियता से दहशत गलत; बुलडोजर, सियासी दबाव पर भी दिए जवाब
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई ने आज एक इंटरव्यू में कई अहम और तीखे सवालों पर बेबाकी से जवाब दिए। उन्होंने न्यायिक एक्टिविज्म यानी सक्रियतावाद से उपजने वाली 'दहशत' के अलावा राज्यों सरकारों के निर्देश पर चलाए जाने वाले बुलडोजर और न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव जैसे सवालों पर भी बात की। जानिए रिटायर्ड जस्टिस बीआर गवई ने क्या कुछ बातें कहीं
विस्तार
सेवानिवृत्ति न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने आज एक इंटरव्यू में कई अहम सवालों पर बेबाकी से बात की। उन्होंने कहा, न्यायिक सक्रियता न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदलनी चाहिए। अंततः, हमारा संविधान विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के संतुलन और अलग-अलग कार्यक्षेत्र पर यकीन रखता है।
क्या अधिकारों की रक्षा के लिए सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाना सही?
न्यायिक एक्टिविज्म पर अपनी राय स्पष्ट करने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ने ये भी साफ किया, 'कई मौकों पर, नागरिक अपनी सामाजिक-आर्थिक बाधाओं के कारण, अपनी शिकायतों के निवारण और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्थिति में नहीं होते। ऐसी स्थिति में, अगर किसी व्यक्ति को न्यायपालिका अदालत का दरवाजा खटखटाने की अनुमति देती है तो ये गलत नहीं है।'
#WATCH | Delhi: In an interview to ANI, former CJI B.R. Gavai says, "...there are limits within which judicial activism should act. As I always say, judicial activism should not turn into judicial terrorism. Ultimately, our Constitution believes in the separation of power between… pic.twitter.com/j5vCquY4cs
— ANI (@ANI) November 26, 2025
समाज के अंतिम नागरिक को आर्थिक और सामाजिक न्याय
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के पास आकर सीधा इंसाफ मांगने के इस विकल्प के मौजूद होने से इस देश और समाज के अंतिम नागरिक को आर्थिक और सामाजिक न्याय दिलाने का हमारा वादा पूरा होता है।
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