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Bihar Bypoll: बिहार उपचुनाव में AIMIM ने बिगाड़ा खेल, क्या गुजरात में भी कांग्रेस और AAP की बढ़ेंगी मुश्किलें?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Sun, 06 Nov 2022 08:20 PM IST
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सार
बिहार में आरजेडी और जेडीयू ने संयुक्त प्रत्याशी उतारा था, इसके बावजूद गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में हार मिली। इसे दोनों ही पार्टियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इस सीट पर AIMIM के प्रत्याशी ने 12 हजार से ज्यादा वोट हासिल किया।

एआईएमआईएम चीफ ओवैसी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार के गोपालगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आरजेडी-जेडीयू के संयुक्त प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता एक हजार 794 मतों से चुनाव हार गए। मोहन प्रसाद को भारतीय जनता पार्टी की कुसुम देवी ने मात दी। ये सीट कुसुम के पति सुभाष सिंह के निधन पर ही खाली हुई थी। सुभाष 2005 से लगातार चार बार यहां से विधायक चुने गए थे।
2005 से इस सीट पर सुभाष सिंह का कब्जा था फिर भी इसे महागठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है। आखिर कैसे आरजेडी और जेडीयू को झटका लगा? आइए हम आपको बताते हैं...

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2005 से इस सीट पर सुभाष सिंह का कब्जा था फिर भी इसे महागठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है। आखिर कैसे आरजेडी और जेडीयू को झटका लगा? आइए हम आपको बताते हैं...
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पहले उपचुनाव के बारे में जान लीजिए
बिहार की गोपालगंज सीट भाजपा विधायक सुभाष सिंह के निधन की वजह से खाली हुई। इस सीट पर कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे। मुख्य मुकाबला भाजपा और राजद के बीच हुआ। भाजपा ने इस सीट से सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी को उतारा था। सुभाष 2005 से लगातार चार बार यहां से विधायक चुने जा चुके थे। वहीं, राजद ने मोहन प्रसाद गुप्ता को टिकट दिया था।
बसपा ने यहां से लालू यादव के साले साधू यादव की पत्नी इंदिरा यादव को टिकट दिया था। एआईएमआईएम ने भी अपना प्रत्याशी उतारा था। इस इलाके में काफी मुस्लिम वोटर्स भी हैं। इसके चलते भी मुकाबला काफी रोचक हो गया था।
आज नतीजे आए। इसमें भाजपा की कुसुम देवी को 70,053 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे राजद के मोहन प्रसाद गुप्ता ने 68,259 मत हासिल किए। मतलब मोहन प्रसाद गुप्ता केवल 1,795 मतों से हार गए। अब आपको दूसरे प्रत्याशियों को मिले वोट के बारे में बताते हैं।
यहां से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी अब्दुल सलाम को 12,214 वोट मिले। सलाम तीसरे नंबर पर रहे। वहीं, लालू यादव के साले साधू यादव की पत्नी इंदिरा यादव को कुल 8,854 वोट मिले। अब अगर आंकड़े देखें तो अगर बसपा या फिर एआईएमआईएम में से कोई एक भी अपना प्रत्याशी नहीं उतारा होता तो आरजेडी-जेडीयू के संयुक्त प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता आसानी से जीत जाते। मतलब साफ है आरजेडी और जेडीयू का पूरा खेल एआईएमआईएम और बसपा ने बिगाड़ दिया।
बिहार की गोपालगंज सीट भाजपा विधायक सुभाष सिंह के निधन की वजह से खाली हुई। इस सीट पर कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे। मुख्य मुकाबला भाजपा और राजद के बीच हुआ। भाजपा ने इस सीट से सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी को उतारा था। सुभाष 2005 से लगातार चार बार यहां से विधायक चुने जा चुके थे। वहीं, राजद ने मोहन प्रसाद गुप्ता को टिकट दिया था।
बसपा ने यहां से लालू यादव के साले साधू यादव की पत्नी इंदिरा यादव को टिकट दिया था। एआईएमआईएम ने भी अपना प्रत्याशी उतारा था। इस इलाके में काफी मुस्लिम वोटर्स भी हैं। इसके चलते भी मुकाबला काफी रोचक हो गया था।
आज नतीजे आए। इसमें भाजपा की कुसुम देवी को 70,053 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे राजद के मोहन प्रसाद गुप्ता ने 68,259 मत हासिल किए। मतलब मोहन प्रसाद गुप्ता केवल 1,795 मतों से हार गए। अब आपको दूसरे प्रत्याशियों को मिले वोट के बारे में बताते हैं।
यहां से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी अब्दुल सलाम को 12,214 वोट मिले। सलाम तीसरे नंबर पर रहे। वहीं, लालू यादव के साले साधू यादव की पत्नी इंदिरा यादव को कुल 8,854 वोट मिले। अब अगर आंकड़े देखें तो अगर बसपा या फिर एआईएमआईएम में से कोई एक भी अपना प्रत्याशी नहीं उतारा होता तो आरजेडी-जेडीयू के संयुक्त प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता आसानी से जीत जाते। मतलब साफ है आरजेडी और जेडीयू का पूरा खेल एआईएमआईएम और बसपा ने बिगाड़ दिया।
तो क्या गुजरात में भी कांग्रेस और AAP का बिगड़ेगा खेल?
इसे समझने के लिए हमने गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार वीरांग भट्ट से बात की। उन्होंने कहा, 'बिहार उपचुनाव ही नहीं, पूर्व में हुए कई चुनाव ये साबित कर चुके हैं कि एआईएमआईएम कई जगहों पर कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों का खेल बिगाड़ देती है। एआईएमआईएम लगातार अपना प्रदर्शन सुधार रही है। इसका सीधा असर कांग्रेस व अन्य उन पार्टियों पर पड़ता है, जिन्हें परंपरागत तौर पर मुस्लिम वोट मिलते रहे हैं।'
वीरांग आगे कहते हैं, 'बिहार उपचुनाव में एआईएमआईएम के प्रत्याशी ने आरजेडी और जेडीयू को मिलने वाले मुस्लिम वोटों में जबरदस्त कटौती की है। अब ओवैसी गुजरात की 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम आबादी निर्णायक भूमिका में रहती है। ऐसे में अगर मुस्लिम मतदाता एआईएमआईएम को वोट देते हैं, तो इसका सीधा असर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मतों पर पड़ेगा। संभव है कि कई जगहों पर एआईएमआईएम की वजह से ही कांग्रेस और आप को हार का सामना करना पड़े। हालांकि, इस बीच एआईएमआईएम जरूर मजबूत होगी।'
इसे समझने के लिए हमने गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार वीरांग भट्ट से बात की। उन्होंने कहा, 'बिहार उपचुनाव ही नहीं, पूर्व में हुए कई चुनाव ये साबित कर चुके हैं कि एआईएमआईएम कई जगहों पर कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों का खेल बिगाड़ देती है। एआईएमआईएम लगातार अपना प्रदर्शन सुधार रही है। इसका सीधा असर कांग्रेस व अन्य उन पार्टियों पर पड़ता है, जिन्हें परंपरागत तौर पर मुस्लिम वोट मिलते रहे हैं।'
वीरांग आगे कहते हैं, 'बिहार उपचुनाव में एआईएमआईएम के प्रत्याशी ने आरजेडी और जेडीयू को मिलने वाले मुस्लिम वोटों में जबरदस्त कटौती की है। अब ओवैसी गुजरात की 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम आबादी निर्णायक भूमिका में रहती है। ऐसे में अगर मुस्लिम मतदाता एआईएमआईएम को वोट देते हैं, तो इसका सीधा असर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मतों पर पड़ेगा। संभव है कि कई जगहों पर एआईएमआईएम की वजह से ही कांग्रेस और आप को हार का सामना करना पड़े। हालांकि, इस बीच एआईएमआईएम जरूर मजबूत होगी।'