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बिहार चुनाव: ओवैसी की सेंधमारी से टूटा राजद का MY समीकरण, 23% वोट पाकर भी सीटों में पीछे क्यों रह गया विपक्ष?
अजीत खरे
Published by: शिवम गर्ग
Updated Sun, 16 Nov 2025 03:57 AM IST
सार
बिहार चुनाव में राजद 23% वोट पाकर भी सीटों के मुकाबले पिछड़ गया। ओवैसी की एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोटों में सेंध लगाई, जिससे महागठबंधन का एमवाई समीकरण कमजोर पड़ गया। एनडीए को एंटी इनकंबेंसी के बावजूद बड़ी जीत मिली।
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एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
शानदार बहुमत लाकर एनडीए एक बार फिर बिहार की बागडोर संभालेगा तो महागठबंधन फिर से विपक्ष में बैठेगा। पर नतीजों से उपजे दो सवालों ने महागठबंधन खास तौर पर राजद को उलझा दिया है। पहला, सबसे ज्यादा 23 फीसद वोट हासिल करने के बावजूद सिर्फ 25 सीटें क्यों मिलीं। दूसरा, जनता दल युनाइटेड-भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की उम्मीदों का पहाड़ क्यों ध्वस्त हो गया। इन सबके बीच असदुद्दीन ओवैसी को हल्के में लेना भी महागठबंधन और खासकर राजद को बेहद भारी पड़ा।
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नतीजों ने साफ कर दिया है कि ओवैसी ने मुस्लिम वोटों में सेंधमारी कर राजद के परंपरागत एमवाई समीकरण को तगड़ी चोट पहुंचाई है। बेशक राजद इस बात से तसल्ली कर सकता है कि इस चुनाव में वोट के हिसाब से वही अव्वल रहा है लेकिन सीटों के हिसाब से भाजपा ने बाजी मार ली। महागठबंधन को उम्मीद थी कि इस बार भाजपा व जनता दल यू के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की हवा काम करेगी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता व गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति इसे रोकने में कारगर रही।
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इन सबके बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सावधानी बरती कि सांप्रदायिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण न होने पाए।धर्मनिरपेक्ष व सुशासन बाबू की छवि के आगे राजद का बीमार मुख्यमंत्री का प्रचार ठहर नहीं पाया। इस कारण जद यू को अल्पसंख्यक वोटों में भी हिस्सेदारी मिली।
एआईएमआईएम 5 सीटों पर काबिज
राजद के एमवाई यानी मुस्लिम व यादव समीकरण को असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने कारगर नहीं होने दिया। ओवैसी ने ज्यादातर मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर ही फोकस किया और बेहद आक्रामक प्रचार अभियान चलाया। नतीजतन ओवैसी न सिर्फ मुस्लिमों के दबदबे वाली पांच सीटों पर विजय प्राप्त की बल्कि मुस्लिम वोटों में भी जबरदस्त सेंध लगाई। इसका सीधे तौर पर विपक्षी महागठबंधन को नुकसान हुआ।