Cabinet Reshuffle: यूपी से नए ब्राह्मण चेहरे की तलाश में मोदी, क्या मनोज तिवारी को मिलेगी यह बड़ी जिम्मेदारी?
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विस्तार
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से सांसद और देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की मोदी कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है। टेनी की जगह उत्तर प्रदेश में किसी और ब्राह्मण चेहरे पर भाजपा दांव लगाकर कैबिनेट में जगह दे सकती है। चर्चा यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में होने वाले फेरबदल और विस्तार में यह बड़ा फैसला अगले कुछ दिनों में लिया जा सकता है। पार्टी की हाल में हुई प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक में उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण चेहरे को लेकर न सिर्फ चर्चा हुई बल्कि जरूरत भी बताई गई। राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि उत्तर प्रदेश के सांसदों के अलावा दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी को भी इस संभावित फेरबदल में न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार के ब्राह्मणों को साधने की जिम्मेदारी मिल सकती है। चर्चाएं हैं कि अजय मिश्र टेनी के विकल्प के तौर पर मनोज तिवारी को लाया जा सकता है।
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इसलिए लिया जा सकता है बड़ा फैसला
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अजय मिश्रा टेनी को मोदी सरकार में उत्तर प्रदेश से एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जगह देकर जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की गई थी। लेकिन जैसे ही अजय मिश्र टेनी को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी गई, उसके कुछ दिनों के बाद ही लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ा कर मारने का विवाद अजय मिश्र टेनी से जुड़ गया। इस घटना ने समूचे देश में बड़ा सियासी तूफान पैदा किया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अजय मिश्र टेनी को ब्राह्मणों की सियासत में मजबूत चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाने और ब्राह्मणों को साधने की जिस रणनीति के तहत लाया गया था, वह विवादों के चलते कामयाब नहीं हो सका। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक हाल में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा से लेकर निकाय चुनावों में भी अजय मिश्र टेनी की भूमिका उस स्तर की नहीं रही जिस स्तर पर एक बड़े ब्राह्मण चेहरे की होनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक आने वाले चुनाव में उत्तर प्रदेश से किसी और ब्राह्मण चेहरे को मोदी कैबिनेट में शामिल करके सियासी मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है।
कई ब्राह्मण नेताओं के नाम हैं चर्चा में
सूत्रों के मुताबिक दस जुलाई के करीब मोदी सरकार में कैबिनेट के फेरबदल और विस्तार की संभावना जताई जा रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह बात तो बीते चुनावों के आधार पर कही जा सकती है कि एक ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए अजय मिश्र टेनी उस तरीके से ब्राह्मण बाहुल्य इलाकों में प्रचार प्रसार नहीं कर सके। इसके पीछे की बड़ी वजह उनके बेटे के किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने के आरोपों से घिरे होने की मानी जा रही है। इसलिए उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण चेहरे के बदलाव की बात की जा रही है। राजनीतिक जानकार अजय वासुदेव कहते हैं, हालांकि उत्तर प्रदेश से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मोदी कैबिनेट में अजय मिश्र टेनी के अलावा महेंद्र नाथ पांडे भी बड़े चहरे हैं। लेकिन पार्टी की ओर से वह उस तरीके से राज्य में प्रोजेक्ट नहीं हो सके जैसे अजय मिश्र टेनी को किया गया था। उनका कहना है कि बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उत्तर प्रदेश से कई सांसद सदन में है। इसमें लक्ष्मीकांत वाजपेयी, हरीश द्विवेदी, सुब्रत पाठक जैसे कई नाम शामिल है। सियासी जानकारों का कहना है कि अगर बदलाव होते हैं, तो उत्तर प्रदेश से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर इन में से किसी एक नाम को बढ़ाया जा सकता है। सियासी गलियारों में लक्ष्मीकांत वाजपेयी और हरीश द्विवेदी का नाम भी आगे चल रहा है।
दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी की चर्चा मंत्री बनने की
सूत्रों के मुताबिक भाजपा से दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी के मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा हो रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मनोज तिवारी बतौर ब्राह्मण चेहरे न सिर्फ दिल्ली बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति के लिहाज से बड़े मुफीद माने जाते हैं। पार्टी ने मनोज तिवारी को अपने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल करके देश के अलग-अलग राज्यों में होने वाले चुनावों में बड़ी जिम्मेदारियां भी दी है। इसके अलावा मनोज तिवारी को पिछले एक महीने तक चले भाजपा के महाअभियान में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कमान भी सौंपी थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर सियासी दांवपेच में सब कुछ सही रहा, तो मनोज तिवारी को मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि मनोज तिवारी के मोदी कैबिनेट में जगह मिलने से बड़े ब्राह्मण चेहरे की एक एंट्री मानी जा सकती है। जो उत्तर भारतीय राज्यों में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सियासी पिच पर खड़े किए जा सकते हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में बतौर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर इस वक्त बृजेश पाठक सक्रिय राजनीतिक भूमिका में आगे हैं। जातिगत और क्षेत्रीयता के समीकरणों को साधते हुए भाजपा उत्तर प्रदेश में कई तरह से कील कांटे दुरुस्त करने की योजना बना चुकी है। सूत्रों के मुताबिक बीते एक महीने के दौरान भाजपा के कई कद्दावर नेताओं और बड़े पदाधिकारियों ने महाअभियान के दौरान जमीनी हकीकत का आकलन भी किया। इसकी पूरी रिपोर्ट के शीर्ष नेतृत्व से साझा की जा चुकी है। भाजपा से जुड़े एक प्रमुख वरिष्ठ नेता, जो उत्तर प्रदेश में एक महीने तक चले महा अभियान का हिस्सा थे, वह कहते हैं कि निश्चित तौर पर जब जमीनी हकीकत का आकलन किया जाता है, तो सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। उनका कहना है कि लोकसभा चुनावों में 80 सीटों के जीतने के लक्ष्य के साथ कुछ बदलाव भी किए जाने जरूरी है। हर तरीके के समीकरणों को साधने की नई रणनीति भी हर चुनाव में बनाई जाती है।
यह भी लग रहे हैं कयास
उत्तर प्रदेश से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर केंद्र में मंत्री बनाए गए अजय मिश्र टेनी के मंत्रिमंडल में बने रहने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर चुनाव से कुछ महीने पहले अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से हटाया जाता है, तो विपक्षी दल हटाए जाने की वजह को लेकर बड़े सवाल खड़े कर भाजपा को घेर सकता है। इन सवालों में उनके बेटे पर लगे आरोप भी शामिल होंगे, जिसको लेकर अजय मिश्र टेनी लगातार विवादों में बने रहे थे। विपक्षी दलों से लेकर बड़े किसान नेता अजय मिश्र टेनी का घटना के बाद से ही इस्तीफा मांगने या मंत्रिमंडल से निकाले जाने की लगातार मांग करते आए हैं। इसलिए महज एक साल से भी कम वक्त के बचे मोदी मंत्रिमंडल से अजय मिश्र टेनी की छुट्टी को सियासी रूप से भाजपा के पक्ष में नहीं माना जा रहा है।