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माल ढुलाई सिस्टम में हुआ बदलाव: पूरे देश में होगा एक ही किराया; सीमेंट समेत इन उद्योगों को मिलेगी राहत

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Tue, 18 Nov 2025 07:02 PM IST
सार

रेलवे ने अपना पुराना और जटिल रेट सिस्टम खत्म करते हुए उसकी जगह सरल और एकरूप फ्लैट रेट सिस्टम लागू कर दिया है। इस नए मॉडल का सबसे ज्यादा लाभ उन कंपनियों को मिलेगा जो बड़ी मात्रा में माल खासकर सीमेंट जैसी थोक वस्तुएँ परिवहन करती हैं।

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Changes to the freight system: A uniform fare across the country
मालगाड़ी, सांकेतिक। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई से जुड़ा एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जो आने वाले समय में उद्योगों और कारोबारियों के लिए बड़ा फायदा साबित हो सकता है। रेलवे ने अपना पुराना और जटिल रेट सिस्टम खत्म करते हुए उसकी जगह सरल और एकरूप फ्लैट रेट सिस्टम लागू कर दिया है। इस नए मॉडल का सबसे ज्यादा लाभ उन कंपनियों को मिलेगा जो बड़ी मात्रा में माल खासकर सीमेंट जैसी थोक वस्तुएँ परिवहन करती हैं। इससे माल भेजने की प्रक्रिया आसान होगी, लागत में पारदर्शिता बढ़ेगी और उद्योगों को माल ढुलाई की बेहतर सुविधा मिलेगी।

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दरअसल, पहले रेलवे में माल ढुलाई का सिस्टम काफी उलझा हुआ था। वजन और दूरी के कई स्लैब लागू होते थे। इससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता था कि असली खर्च कितना आएगा। अलग-अलग माल के लिए अलग-अलग रेट कहीं कंटेनर रेट, तो कहीं स्पेशल रेट लागू रहते थे। खाली कंटेनर पर भी अलग शुल्क देना पड़ता था। इन सब वजहों से कंपनियों पर अतिरिक्त खर्च बढ़ जाता था और ढुलाई की प्रक्रिया लंबी, जटिल और काफी परेशानी भरी हो जाती थी।
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लेकिन अब रेलवे की नई नीति पूरी तरह सरल और स्पष्ट है। अब न कंटेनर का आकार मायने रखेगा, न उसकी क्षमता। पूरा किराया सिर्फ दो बातों पर तय होगा ट्रेन कितनी दूरी चली और कितना वजन लदा था। इसी आधार पर प्रति टन प्रति किलोमीटर 0.90 रुपये की फ्लैट दर लागू की गई है। यानी अब न कोई छुपी लागत होगी और न जटिल गणना। कारोबारियों को पहले से ही साफ पता रहेगा कि पूरी ढुलाई का कुल खर्च कितना पड़ेगा।

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रेलवे की नई दरें खासकर सीमेंट, निर्माण सामग्री और भारी उद्योगों के लिए बड़ी राहत लेकर आई हैं। अब सीमेंट कंपनियां टैंक कंटेनरों के जरिए थोक में सीमेंट भेज सकेंगी, जिससे एक बार में बड़ी मात्रा में सीमेंट का परिवहन संभव होगा। साथ ही लोडिंग–अनलोडिंग का समय कम लगेगा और परिवहन लागत भी घटेगी। रेलवे की यह नई नीति सीमेंट उद्योग को तेज़, आधुनिक और ज्यादा साफ–सुथरी ढुलाई सुविधा उपलब्ध कराती है।

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