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Opposition Meeting: क्या इस बार I.N.D.I.A.की बैठक में होगा सीट बंटवारा? इन राज्यों में समझौता सबसे मुश्किल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ज्योति भास्कर Updated Mon, 18 Dec 2023 08:53 PM IST
सार

लोकसभा चुनाव 2024 अगले चार-पांच महीने के भीतर संपन्न कराए जाने हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले औंधे मुंह गिरे विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती एकजुट रहकर दोबारा राजनीतिक चौसर पर अपराजेय के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण चाल चलने की है। 

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Congress and other Opposition Party Alliance INDIA Meeting in Delhi Seat Sharing Formula in Focus
इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में सीट बंटवारे पर मंथन - फोटो : amar ujala graphics
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विस्तार
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28 विपक्षी राजनीतिक दलों के विपक्षी गठबंधन की मंगलवार को दिल्ली में बैठक होगी। इससे पहले इस गठबंधन की तीन दौर की बैठक हो चुकी है। विपक्षी दलों के इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस, यानी I.N.D.I.A.  की इस बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा हो सकती है। अलग-अलग राज्यों में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा? कहां किस पार्टी की चलेगी? कहां समझौते में मुश्किल आएगी? कहां गठबंधन होना नामुमकिन सा लग रहा है? आइये समझते हैं... 
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इस बार की बैठक का एजेंडा क्या?
INDIA की पहली बैठक 23 जून को पटना में हुई। दूसरी बैठक 17-18 जुलाई को बंगलूरू, जबकि तीसरी बैठक 31 अगस्त और 1 सितंबर के बीच मुंबई में हुई। इसमें आगामी लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने के प्रस्ताव स्वीकार किया गया। गठबंधन की चौथी बैठक पहले 17 दिसंबर को होनी थी। जो अब मंगलवार को हो रही है। कहा जा रहा है कि कई नेता मंगलवार को होने वाली बैठक में 31 दिसंबर से पहले सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल करने की बात पर जोर देंगे।  कुछ नेताओं का मानना है कि हालिया विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए भाजपा का मुकाबला बेहतर रणनीति से करना होगा। इसके साथ ही गठबंधन के एक संयोजक, प्रवक्ता और साझा सचिवालय बनाने पर भी चर्चा हो सकती है।   
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम का क्या असर?

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विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया की बैठक में मंथन - फोटो : सोशल मीडिया
हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम का असर गठबंधन के बीच सीट बंटवारे पर भी पड़ता दिख रहा है। कांग्रेस को मध्य प्रेदश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। ऐसे में इन राज्यों में सपा, रालोद जैसे सहयोगी भी सीट मांग सकते हैं। हालांकि, इन राज्यों में मिले वोट शेयर से कांग्रेस उत्साहित है। पार्टी का मानना है कि इन राज्यों में अन्य दलों के पास कोई ठोस दावेदारी नहीं है। इन तीनों राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता दिख रहा है।

वहीं, कर्नाटक के बाद तेलंगाना में मिली सफलता से दक्षिण भारत में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है। इन दोनों राज्यों में सक्रिय प्रमुख दलों में कोई भी दल गठबंधन का हिस्सा नहीं है। ऐसे में इन राज्यों में भी कांग्रेस को कोई अन्य सहयोगी दावेदारी पेश करता नहीं दिख रही है। 
 

सीट बंटवारे का फॉर्मूला क्या होगा?

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सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे (फाइल) - फोटो : Social Media
अब तक आई रिपोर्ट्स के मुताबिक विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर दल यह कह रहे हैं कि जिस राज्य में जो प्रभावी वही वहां गठबंधन की अगुवाई करेगा। यानी, जहां जो दल ताकतवर होगा वही सीट बंटवारे में बड़ी भूमिका निभाएगा। यानी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे राज्यों में यह भूमिका कांग्रेस की होगी। वहीं, तमिलनाडु में डीएमके बड़ी भूमिका होगी तो उत्तर प्रदेश में सपा का रोल अहम होगा। इसी तरह अन्य राज्यो में भी यह फॉर्मूला लागू होगा। 

किन राज्यों में आसानी से हो सकता है समझौता?

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कांग्रेस सपा ओर बसपा दोनों के साथ संभावनाएं देख रही है। - फोटो : अमर उजाला
दक्षिण में कर्नाटक, तेलंगाना तमिलनाडु में सीट बंटवारे में ज्यादा मुश्किल नहीं आनी चाहिए। तेलंगाना और कर्नाटक में जहां कांग्रेस ही बड़ी भूमिका में है। वहीं, तमिनाडु में डीएमके और कांग्रेस पहले भी साथ लड़ती रही हैं। वहीं, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में भी ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी। इन राज्यों में भी कांग्रेस बड़ी भूमिका में है। 
पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद अखिलेश यादव का गुस्सा कम होता दिखाई दे रहा है। अखिलेश एक बार फिर बड़ा दिल दिखाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में 80 लोकसभा सीटों वाले सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच समझौते में ज्यादा परेशानी नहीं आनी चाहिए। सीटों की संख्या को लेकर जरूर दोनों दल तोलमोल करेंगे। इसके बाद भी मुस्लिम और जाट वोटों के कांग्रेस की ओर झुकाव को देखते हुए सपा गठबंधन के पक्ष में दिख रही है।  

किन राज्यों में समझौता होगा चुनौतीपूर्ण?

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सोनिया गांधी, प्रियंका और राहुल (फाइल) - फोटो : Social Media
40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में लालू और कांग्रेस लम्बे समय से साथ हैं। अब नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी महागठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में यहां सीटों का बंटवारा एक बड़ी चुनौती होगा। वहीं, 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी दो गुट में बंट चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस को यहां थोड़ा अपरहैंड होगा। कांग्रेस और एनसीपी पहले भी लोकसभा चुनाव में साथ लड़ चुके हैं। अब शिवसेना यूबीटी के आने से सीटों का बंटवारा यहां भी बड़ी चुनौती होगी। 
सात लोकसभा सीटों वाली दिल्ली और 13 लोकसभा सीटों वाले पंजाब में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे का क्या फॉर्मूला होगा यह देखना भी दिलचस्प होगा। पंजाब में दोनों ही दल आमने-सामने रहे हैं। वहीं दिल्ली में कांग्रेस 2019 के नतीजों के आधार पर दावेदारी पेश करेगी तो आप विधानसभा के नतीजों के आधार पर दावा करेगी। ऐसे में दोनों के बीच सीट बंटवारा बड़ी चुनौती होगी।  
 

केरल और बंगाल में बहुत मुश्किल है गठबंधन की डगर

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एनडीए और INDIA के बीच सीटों का कितना अंतर - फोटो : अमर उजाला
पश्चिम बंगाल की 42 सीटों पर लेफ्ट, कांग्रेस और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बीच समझौता होना बहुत बड़ी चुनौती है। वहीं, केरल में लेफ्ट गठबंधन का एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के बीच सीट शेयरिंग होना लगभग नामुमकिन सा है। ऐसे में इन दोनों राज्यों में समझौता होना बहुत मुश्किल दिखाई देता है।  बंगाल में सीएम ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के लिए कितनी सीटें मांगेंगी? कांग्रेस और वाम दलों के बीच कितनी सहमति बनेगी इसका जवाब भी बेहद दिलचस्प होगा। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद सीएम ममता बनर्जी ने भी बैठक में शामिल न होने की बात कही थी। ऐसे में गठबंधन में शामिल बड़ी पार्टियों के रूख पर सबकी नजरें रहेंगी।
 

लोकसभा में INDIA गठबंधन के दलों के कितने सांसद

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लोकसभा में किस दल के कितने सांसद - फोटो : amar ujala graphics
कांग्रेस इस गठबंध का सबसे बड़ा दल है। 2019 में पार्टी को 52 सीटें मिलीं थीं। गठबंधन सहयोगियों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी दक्षिण भारत से है। तमिलनाडु में सत्तारूढ़- द्रमुक ने 2019 में 23 सीटें जीतीं थीं। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के पास 22, शिवसेना के पास 19, जबकि जदयू के पास 16 सांसद हैं। गठबंधन के 28 दलों में कई ऐसी पार्टियां भी हैं जिनके पास फिलहाल पांच या इससे भी कम सीटें हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पास पांच सांसद हैं, जबकि समाजवादी पार्टी (तीन सीटें), जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (तीन), सीपीएम के तीन सांसद भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं।
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