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Congress: 'निजी शिक्षा संस्थानों में आरक्षण लागू करे सरकार', कांग्रेस बोली- शीतकालीन सत्र में लाया जाए कानून
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Fri, 05 Sep 2025 04:08 PM IST
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सार
कांग्रेस ने मोदी सरकार से मांग की है कि संसद के शीतकालीन सत्र में अनुच्छेद 15(5) लागू करने के लिए कानून लाया जाए। इस प्रावधान से एससी, एसटी और ओबीसी को निजी शिक्षा संस्थानों में आरक्षण मिलेगा। कांग्रेस ने संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इन वर्गों के छात्र निजी विश्वविद्यालयों में बेहद कम संख्या में हैं।

लोकसभा।
- फोटो : ANI
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विस्तार
कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को मोदी सरकार से मांग की कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए कानून लाया जाए। इस अनुच्छेद के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (एससी, एसटी, ओबीसी) के लिए निजी शिक्षा संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान है। कांग्रेस ने दावा किया कि इन वर्गों के छात्र निजी विश्वविद्यालयों में बेहद कम संख्या में मौजूद हैं।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि देश में निजी शिक्षा संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन आर्थिक तंगी और आरक्षण लागू न होने की वजह से SC, ST और OBC वर्ग के बच्चे इन संस्थानों में पढ़ाई का अवसर नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग प्रमुख राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि यूपीए सरकार ने आरक्षण का कानून बनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी 2008, 2011 और 2014 में वैध ठहराया।
ये भी पढ़ें- 'अजित पवार को सरकार में रहने का कोई हक नहीं', IPS को वीडियो कॉल कर फटकार लगाने पर बोले संजय राउत
संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला
कांग्रेस ने संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें पाया गया कि निजी शिक्षा संस्थानों में केवल 0.89% SC, 0.53% ST और 11.16% OBC छात्र हैं। आदिवासी कांग्रेस प्रमुख विक्रांत भूरिया ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने सामाजिक समानता के लिए वोट का अधिकार और आरक्षण दोनों को जरूरी बताया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में सौंप रही है।
भाजपा सरकार पर उपेक्षा का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर मोदी सरकार ने 11 साल से कोई कदम नहीं उठाया है। ओबीसी विभाग प्रमुख अनिल जयहिंद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को ओबीसी बताते हैं, लेकिन उनके शासनकाल में ओबीसी समुदाय को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि 2017 से अब तक मोदी सरकार ‘क्रीमी लेयर’ की समीक्षा तक नहीं कर पाई।
ये भी पढ़ें- 'एक रुपये नहीं मिलता, पूरा पैसा केंद्र रखती है', TMC नेता बोले- संघीय ढांचा खत्म कर रहा 'सेस'
कांग्रेस नेताओं ने याद दिलाया कि पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र ‘न्याय पत्र’ में निजी शिक्षा संस्थानों में अनुच्छेद 15(5) लागू करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि अब संसद की स्थायी समिति ने भी सर्वसम्मति से इस कानून को लागू करने की सिफारिश की है। कांग्रेस ने मांग की कि मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में यह कानून लेकर आए।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि देश में निजी शिक्षा संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन आर्थिक तंगी और आरक्षण लागू न होने की वजह से SC, ST और OBC वर्ग के बच्चे इन संस्थानों में पढ़ाई का अवसर नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग प्रमुख राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि यूपीए सरकार ने आरक्षण का कानून बनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी 2008, 2011 और 2014 में वैध ठहराया।
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संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला
कांग्रेस ने संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें पाया गया कि निजी शिक्षा संस्थानों में केवल 0.89% SC, 0.53% ST और 11.16% OBC छात्र हैं। आदिवासी कांग्रेस प्रमुख विक्रांत भूरिया ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने सामाजिक समानता के लिए वोट का अधिकार और आरक्षण दोनों को जरूरी बताया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में सौंप रही है।
भाजपा सरकार पर उपेक्षा का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर मोदी सरकार ने 11 साल से कोई कदम नहीं उठाया है। ओबीसी विभाग प्रमुख अनिल जयहिंद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को ओबीसी बताते हैं, लेकिन उनके शासनकाल में ओबीसी समुदाय को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि 2017 से अब तक मोदी सरकार ‘क्रीमी लेयर’ की समीक्षा तक नहीं कर पाई।
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कांग्रेस नेताओं ने याद दिलाया कि पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र ‘न्याय पत्र’ में निजी शिक्षा संस्थानों में अनुच्छेद 15(5) लागू करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि अब संसद की स्थायी समिति ने भी सर्वसम्मति से इस कानून को लागू करने की सिफारिश की है। कांग्रेस ने मांग की कि मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में यह कानून लेकर आए।
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