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Congress: 'प्रधानमंत्री इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे', पीएम मोदी के संबोधन पर कांग्रेस का तंज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Mon, 08 Dec 2025 03:41 PM IST
सार
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस को जमकर कोसा। पीएम मोदी के संबोधन पर अब कांग्रेस ने पलटवार किया है और कहा है कि पीएम मोदी अपने संबोधन के जरिए इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं।
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कांग्रेस का पीएम मोदी पर तंज
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा और कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वंदे मातरम पर दिए गए भाषण का मकसद इतिहास फिर से लिखना और उसे राजनीतिक रंग देना था। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, वह जवाहरलाल नेहरू के योगदान पर एक भी दाग नहीं लगा पाएगी।
'नेहरू और कांग्रेस के नाम का बार-बार जिक्र किया'
लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान, सदन में कांग्रेस के डिप्टी लीडर गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की यह आदत है कि जब भी वह किसी मुद्दे पर बोलते हैं तो भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू और कांग्रेस का जिक्र करते रहते हैं। उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान उन्होंने नेहरू का नाम 14 बार और कांग्रेस का नाम 50 बार लिया। जब संविधान की 75वीं सालगिरह पर चर्चा हुई, तो नेहरू का नाम 10 बार और कांग्रेस का नाम 26 बार लिया गया।'
'कांग्रेस ने वंदे मातरम को उसकी अहमियत दी'
गोगोई ने कहा कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी ने वंदे मातरम को वह अहमियत दी जिसका वह हकदार था, तो वह कांग्रेस थी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने यह पक्का किया कि इसे सिर्फ एक राजनीतिक नारे के तौर पर न देखा जाए, बल्कि इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया जाए। गौरव गोगोई ने कहा कि 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार वंदे मातरम गाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 1905 के बनारस अधिवेशन में सरला देवी चौधरानी ने वंदे मातरम गाया था। गोगोई ने कहा, 'इस गाने में एक जरूरी बदलाव किया गया था, जो आबादी का था। मूल गाने में 7 करोड़ का जिक्र था, लेकिन 1905 में बनारस अधिवेशन के दौरान सरला देव चौधरानी ने इसे 30 करोड़ कर दिया और पूरे देश का फोकस वंदे मातरम पर कर दिया।'
'इतिहास को फिर से लिखना चाहते हैं प्रधानमंत्री'
गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण के दो मकसद थे- इतिहास को फिर से लिखना और इस बहस को राजनीतिक रंग देना। उन्होंने आगे कहा, 'ऐसा लगा कि आपके राजनीतिक पूर्वजों ने अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था। इसलिए मुझे पीएम के भाषण में इतिहास को फिर से लिखने और बदलने का इरादा दिखा। दूसरा मकसद इस बहस को राजनीतिक रंग देना था।' प्रधानमंत्री ने कांग्रेस कार्यसमिति और नेहरू का भी जिक्र किया। गोगोई ने कहा, 'यह उनकी आदत है कि जब भी वह किसी मुद्दे पर बोलते हैं, तो वे नेहरू और कांग्रेस का नाम दोहराते रहते हैं। मैं उनसे और उनकी पार्टी से विनम्रता से कहना चाहता हूं कि आप कितनी भी कोशिश कर लें, आप नेहरू के योगदान पर एक भी धब्बा नहीं लगा पाएंगे।'
ये भी पढ़ें- UP: 'वंदे मातरम् सिर्फ गाने के लिए नहीं, निभाने के लिए होना चाहिए'; लोकसभा में बोले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
गोगोई ने बताया कि यह मुस्लिम लीग थी जो कहना चाहती थी कि पूरे वंदे मातरम का बॉयकॉट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के मौलाना आजाद ने कहा, 'मुझे वंदे मातरम से कोई दिक्कत नहीं है'। कांग्रेस और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच यही फर्क था। लीग के दबाव डालने के बावजूद, कांग्रेस के 1937 के सेशन में यह फैसला लिया गया कि वंदे मातरम के पहले दो पद राष्ट्रीय अधिवेशन में गाए जाएंगे।'
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'नेहरू और कांग्रेस के नाम का बार-बार जिक्र किया'
लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान, सदन में कांग्रेस के डिप्टी लीडर गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की यह आदत है कि जब भी वह किसी मुद्दे पर बोलते हैं तो भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू और कांग्रेस का जिक्र करते रहते हैं। उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान उन्होंने नेहरू का नाम 14 बार और कांग्रेस का नाम 50 बार लिया। जब संविधान की 75वीं सालगिरह पर चर्चा हुई, तो नेहरू का नाम 10 बार और कांग्रेस का नाम 26 बार लिया गया।'
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'कांग्रेस ने वंदे मातरम को उसकी अहमियत दी'
गोगोई ने कहा कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी ने वंदे मातरम को वह अहमियत दी जिसका वह हकदार था, तो वह कांग्रेस थी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने यह पक्का किया कि इसे सिर्फ एक राजनीतिक नारे के तौर पर न देखा जाए, बल्कि इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया जाए। गौरव गोगोई ने कहा कि 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार वंदे मातरम गाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 1905 के बनारस अधिवेशन में सरला देवी चौधरानी ने वंदे मातरम गाया था। गोगोई ने कहा, 'इस गाने में एक जरूरी बदलाव किया गया था, जो आबादी का था। मूल गाने में 7 करोड़ का जिक्र था, लेकिन 1905 में बनारस अधिवेशन के दौरान सरला देव चौधरानी ने इसे 30 करोड़ कर दिया और पूरे देश का फोकस वंदे मातरम पर कर दिया।'
'इतिहास को फिर से लिखना चाहते हैं प्रधानमंत्री'
गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण के दो मकसद थे- इतिहास को फिर से लिखना और इस बहस को राजनीतिक रंग देना। उन्होंने आगे कहा, 'ऐसा लगा कि आपके राजनीतिक पूर्वजों ने अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था। इसलिए मुझे पीएम के भाषण में इतिहास को फिर से लिखने और बदलने का इरादा दिखा। दूसरा मकसद इस बहस को राजनीतिक रंग देना था।' प्रधानमंत्री ने कांग्रेस कार्यसमिति और नेहरू का भी जिक्र किया। गोगोई ने कहा, 'यह उनकी आदत है कि जब भी वह किसी मुद्दे पर बोलते हैं, तो वे नेहरू और कांग्रेस का नाम दोहराते रहते हैं। मैं उनसे और उनकी पार्टी से विनम्रता से कहना चाहता हूं कि आप कितनी भी कोशिश कर लें, आप नेहरू के योगदान पर एक भी धब्बा नहीं लगा पाएंगे।'
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गोगोई ने बताया कि यह मुस्लिम लीग थी जो कहना चाहती थी कि पूरे वंदे मातरम का बॉयकॉट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के मौलाना आजाद ने कहा, 'मुझे वंदे मातरम से कोई दिक्कत नहीं है'। कांग्रेस और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच यही फर्क था। लीग के दबाव डालने के बावजूद, कांग्रेस के 1937 के सेशन में यह फैसला लिया गया कि वंदे मातरम के पहले दो पद राष्ट्रीय अधिवेशन में गाए जाएंगे।'