कोरोनावायरस ही नहीं इन वायरसों ने भी मचाई दुनिया में तबाही, स्वाइन फ्लू से गईं दो लाख जान

पूरी दुनिया इस समय कोरोनावायरस से डरी हुई है। कई देशों में अभी तक इस वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। हर देश में दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग (जांच) की जा रही है। कोरोनावायरस को प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोनावायरस की वजह से चीन में मरने वालों की संख्या 106 पहुंच गई है। वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या पांच हजार के करीब है।

चीन के बाहर इस वायरस की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या 60 पहुंच गई है। अमेरिका से लेकर नेपाल और दक्षिण कोरिया से लेकर फ्रांस तक दुनिया के कई देशों में यह वायरस फैला है। भारत में भी कोरोनावायरस के कुछ मामले सामने आए हैं जिनमें अभी वायरस की पुष्टि नहीं हुई है।
चीन से शुरू होने वाले कोरोनावायरस की तरह और भी कई वायरस हैं जिन्होंने दुनियाभर में भारी तबाही मचाई। इन वायरस से हजारों लोगों की मौत हुई। आइए जानते हैं कोरोनावायरस की तरह ही दुनियाभर में प्रकोप मचाने वाले अन्य वायरस के बारे में।
मार्स वायरस

मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (एमईआरएस) एक वायरल है जो पहली बार 2012 में सऊदी अरब में रिपोर्ट की गई थी। यह वायरस जल्द ही कई अन्य देशों में फैल गया। इसकी वजह से गंभीर सांस बीमारी, बुखार और खांसी की तकलीफ के लक्षण पाए गए। इस वायरस का असर बुजुर्गों और कमजोर लोगों में ज्यादा देखने को मिला।
गुर्दे की बीमारी, कैंसर, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, और मधुमेह जैसे पुराने रोगों से ग्रसित लोगों में इस वायरस के फैलने की अधिक संभावना है। मार्स से संक्रमित हर 10 में से तीन से चार रोगियों की मृत्यु हो गई थी। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वैज्ञानिकों को लगता है कि मार्स ऊंटों से लोगों में फैला था।

गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (सार्स) भी एक वायरल है जो पहली बार 2003 में एशिया में रिपोर्ट की गई और फिर अन्य देशों में फैल गई। यह एक अन्य किस्म का कोरोनावायरस है जो अधिक गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दक्षिणी चीन के गुआंगडोंग प्रांत में पहली बार इसकी पहचान की गई थी। इसका प्रकोप 2003 में पूरी दुनिया में फैल गया था। इसकी वजह से 26 देशों में कुल 774 लोगों की मौत हो गई थी।
इबोला वायरस

सार्स सांस संबंधी समस्याओं का कारण बनता है, लेकिन इसके कारण दस्त, थकान, सांस की तकलीफ और गुर्दे की विफलता भी हो सकती है। खांसी, छींक या हाथ मिलाना इस वायरस के फैलने का कारण बन सकता है। सार्स के फैलने में सिवेट बिल्लियों को दोषी ठहराया गया था। किसी संक्रमित व्यक्ति के छूने और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूने से भी वायरस का संक्रमण हो सकता है।
इबोला भी एक खतरनाक वायरस है। इबोला वायरस को रक्तस्रावी बुखार के रूप में भी जाना जाता है। यह जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है। 2014-2016 में पश्चिम अफ्रीका इबोला के प्रकोप की चपेट में आया। इबोला की मृत्यु दर लगभग 50 फीसदी है। 2019 में जारी आंकड़े के अनुसार इस खतरनाक वायरस के कारण 2300 लोगों की जान चली गई और 3300 से अधिक मामले दर्ज किए गए।
एक अन्य आंकड़े के अनुसार इस वायरस की वजह से दुनियाभर में 11 हजार लोगों की मौत हो गई थी। 1976 में सबसे पहले इस वायरस का पता चला था। इस वायरस के प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश शामिल हैं। इसके बाद उल्टी, दस्त और गुर्दे से संबंधित लक्षण दिखाई देते हैं।
निपाह वायरस

भारत ने महामारियों का कहर कई बार देखा है। 2018 में चमगादड़ के कारण निपाह वायरस केरल में फैला था। केरल में निपाह के 700 से अधिक केस दर्ज किए गए और सरकारी आंकड़ों के अनुसार 17 लोगों की मौत की पुष्टि की गई थी। निपाह फल खानेवाले चमगादड़ों की वजह से फैलता है।
जीका वायरस

मच्छरों से पैदा हुई इस बीमारी की सूचना सबसे पहले 2007 में याप (फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया) द्वीप से मिली थी। यह 2013 में फ्रेंच पोलिनेशिया और प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों और क्षेत्रों में गंभीर रूप से फैल गई। दुनिया के कुल 86 देशों और क्षेत्रों में अब तक मच्छरों से फैलने वाले जीका संक्रमण के प्रमाण मिले।
बुखार, दाने, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द जो कम से कम एक सप्ताह तक रहता है, यह भी बीमारी के लक्षण हैं।
स्वाइन फ्लू एच1एन1

यह एक खतरनाक वायरस की वजह से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस ने 2009 में पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया था। स्वाइन फ्लू की वजह से दुनियाभर में दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। यह संक्रमित मनुष्यों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
स्वाइन फ्लू या एच1एन1 के लक्षणों में शरीर में दर्द, ठंड लगना, खांसी, सिरदर्द, गले में खराश, बुखार और थकान शामिल हैं।