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सरकार ने संसद में स्वीकारा: विमानों के सिग्नल से छेड़छाड़, दिल्ली समेत कई हवाई अड्डों पर GPS स्पूफिंग की कोशिश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Mon, 01 Dec 2025 04:20 PM IST
सार

GPS Spoofing: देश के कई बड़े एयरपोर्ट्स पर उड़ानों को जीपीएस स्पूफिंग और जीएनएसएस इंटरफेरेंस की समस्या का सामना करना पड़ा है। इस बात की आधिकारिक पुष्टि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार को राज्यसभा में की। इससे विमान संचालन में चुनौतियां बढ़ी हैं और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है।

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'Delhi and other airports were hit by cyber attacks', govt admits GPS spoofing in Parliament
सरकार ने जीपीएस स्पूफिंग की बात कबूली - फोटो : FreePik / ANI
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विस्तार
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नवंबर महीने की शुरुआत में देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर हवाई सेवाओं के संचालन में भारी परेशानी देखने को मिली थी। दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे पर करीब 800 उड़ानें प्रभावित हुईं। इस दौरान एटीसी की तरफ से ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम में खराबी बताया गया था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने संसद में एक लिखित बयान में स्वीकार किया है कि दिल्ली समेत देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर जीपीएस स्पूफिंग की समस्या हुई थी, यानी इन सभी हवाई अड्डों पर आने और यहां से उड़ान भरने वाले विमान जीपीएस स्पूफिंग का शिकार हुए हैं।
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दिल्ली में क्या हुआ?
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किनजारापु ने बताया कि नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (आईजीआई) के पास उड़ने वाले कुछ विमानों ने जीपीएस स्पूफिंग की सूचना दी। यह समस्या रनवे 10 पर जीपीएस आधारित लैंडिंग के दौरान दर्ज की गई। स्पूफिंग का पता लगते ही तुरंत वैकल्पिक प्रक्रियाएं अपनाई गईं, जिससे विमान सुरक्षित रूप से उतरे। मंत्री ने स्पष्ट किया कि दूसरे रनवे पूरी तरह सुरक्षित रहे क्योंकि वहां पारंपरिक नेविगेशन सिस्टम उपलब्ध थे। उड़ान संचालनों पर कोई गंभीर असर नहीं पड़ा।
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समस्या सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं
सरकार के अनुसार, जीपीएस जामिंग/स्पूफिंग की रिपोर्ट नवंबर 2023 से अनिवार्य की गई है। इसके बाद देश के कई बड़े हवाईअड्डों से यह समस्या लगातार सामने आ रही है। इसमें कोलकाता, अमृतसर, मुंबई, हैदराबाद, बंगलूरू और चेन्नई एयरपोर्ट शामिल हैं। इन सभी जगहों पर जीएनएसएस इंटरफेरेंस की शिकायतें मिल रही हैं।

क्या है जीपीएस स्पूफिंग?
जीपीएस स्पूफिंग एक साइबर हमला है, जिसमें नकली सिग्नल भेजकर किसी भी डिवाइस को गलत लोकेशन दिखाई जाती है। जैसे आपके फोन की लोकेशन अचानक चार किमी दूर दिखने लगे, वैसा ही विमानों के साथ होता है। जब यह विमान के साथ होता है, तो उसका नेविगेशन सिस्टम गलत दिशा में जा सकता है, जिससे दुर्घटना का खतरा काफी बढ़ जाता है।

जांच और सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम
सरकार की ओर से इस समस्या की पहचान के बाद कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें डीजीसीए ने जीएनएसएस इंटरफेरेंस से निपटने के लिए एडवाइजरी जारी की। वहीं जीपीएस स्पूफिंग की रियल-टाइम रिपोर्टिंग के लिए नई एसओपी लागू की गई। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने डब्ल्यूएमओ को इंटरफेरेंस के स्रोत का पता लगाने को कहा और डब्ल्यूएमओ से संसाधन बढ़ाने और संदिग्ध स्थानों की जांच करने के निर्देश भी दिए गए।

साइबर सुरक्षा भी हुई मजबूत
एविएशन सेक्टर पर बढ़ते रैनसमवेयर और मैलवेयर जैसे साइबर खतरों को ध्यान में रखते हुए- एएआई ने आईटी नेटवर्क और इन्फ्रास्ट्रक्चर में उन्नत साइबर सिक्योरिटी लागू की है। सभी उपाय एनसीआईआईपीसी और सीईआरटी-आईएन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं। वहीं खतरे के प्रकार में बदलाव के साथ सुरक्षा सिस्टम लगातार अपग्रेड किए जा रहे हैं।

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पहले सरकार ने क्या दिया था आंकड़ा
वहीं इससे पहले केंद्र सरकार ने संसद में एक आंकड़ा पेश किया था। सरकार ने लोकसभा में बताया था कि नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच 465 जीपीएस स्पूफिंग की घटनाएं भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र (अमृतसर और जम्मू) में दर्ज की गईं। वहीं अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (आईएटीए) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में 4.3 लाख जीपीएस जैमिंग और स्पूफिंग घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2023 की तुलना में 62% अधिक हैं।



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