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दूरदर्शन के 66 साल: शब्दांजलि के साथ स्थापना दिवस के जश्न की तैयारी, राष्ट्र निर्माण में भूमिका.. भारत का गौरव

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Mon, 15 Sep 2025 09:34 AM IST
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सार

देश के सार्वजनिक सेवा प्रसारक- दूरदर्शन की स्थापना के 66 साल हो चुके हैं। इस साल शब्दांजलि के साथ स्थापना दिवस का जश्न मनाया जाएगा। 15 सितंबर 1959 को हुई शुरुआत के बाद इस ब्रॉडकास्टर ने देशवासियों के बीच रामायण, महाभारत, चित्रहार जैसे कार्यक्रमों के जरिये खास जगह बनाई। इस पर प्रसारित कार्यक्रमों ने जागरूकता भी बढ़ाई। पढ़िए एक रिपोर्ट

Doordarshan 66 Years 2025 celebration plan shabdanjali DG K Satish Nambudiripad future strategies
दूरदर्शन की स्थापना के 66 साल होने पर महानिदेशक का बयान - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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भारत का सबसे बड़ा प्रसारण नेटवर्क सोमवार को अपना 66वां स्थापना मनाने जा रहा। इस मौके पर एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम शब्दांजलि परंपरा से आधुनिकता तक का आयोजन किया जाएगा। डीडी की शुरुआत 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में एक छोटे से प्रायोगिक प्रसारण के साथ हुई थी।
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रामायण, महाभारत, हम लोग, बुनियाद, नुक्कड़ जैसे धारावाहिकों के जरिये दूरदर्शन ने जहां हर वर्ग के लोगों का मनोरंजन किया। वहीं, फिल्मी गीतों के कार्यक्रम चित्रहार का बड़ों से लेकर बच्चों तक को बेसब्री से इंतजार रहता था। कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रमों के जरिये डीडी ने समाज में जागरूकता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई।
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भारत की आवाज, पहचान और संस्कृति का यह दर्पण आज देश के पांच करोड़ से अधिक घरों तक पहुंच रखता है।दिल्ली में आयोजित होने वाले शब्दांजलि कार्यक्रम में कई जानी-मानी हस्तियां भारत की शाश्वत परंपराओं व आधुनिक सृजनशीलता के संगम वाली अपनी प्रस्तुतियां देंगी। मैथिली ठाकुर अपनी मधुर आवाज में ठुमरी पेश करेंगी।

दिल्ली घराने के वुसत इकबाल खान व आबाद अहमद अमीर खुसरो के कलाम छाप तिलक व दमादम मस्त कलंदर जैसे शास्त्रीय राग सुनाएंगे। इस दौरान देवांचल की प्रेम कथा और सीता-रावण वादम् का भी मंचन होगा। कार्यक्रम का संचालन सुगंधा मिश्रा व सुगंध भोसले करेंगे।

पिछले छह दशकों में दूरदर्शन केवल एक प्रसारक नहीं बल्कि भारत की आवाज और दृष्टि रहा है, जो देश के हर घर तक पहुंचा है। इस स्थापना दिवस पर हम एक बार फिर नवाचार, समावेशिता और राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। ताकि दूरदर्शन राष्ट्र की विविधता, संस्कृति और आकांक्षाओं को दुनिया तक पहुंचाता रहे।

---के सतीश नम्बूदिरिपाद, महानिदेशक दूरदर्शन

भारत का गौरव
1982 में एशियाई खेलों के दौरान रंगीन प्रसारण की शुरुआत भारतीय प्रसारण के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था। श्वेत श्याम से लेकर रंगीन टीवी और फिर डिजिटल युग तक दूरदर्शन ने हर दौर में तकनीकी के साथ कदम मिलाकर चलने का काम किया। राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाला यह प्रसारण नेटवर्क भारत का गौरव है।
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