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Pan-India SIR: देशव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर हुआ मंथन, जानें पहले किन राज्यों में किया जाएगा एसआईआर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Wed, 22 Oct 2025 04:01 PM IST
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सार
Pan-India SIR: देशभर में मतदाता सूची को दुरुस्त और साफ-सुथरा करने के लिए चुनाव ने बुधवार को सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ अहम बैठक की। इस दो दिवसीय बैठक में पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लागू करने की रणनीति पर चर्चा हो रही है।

चुनाव आयोग (फाइल फोटो)
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
देशव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात की है। इस बैठक में आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने और देशव्यापी एसआईआर पर योजना को अंतिम रूप देने पर मंथन हुआ है।
यह भी पढ़ें - Assam: असम में लव जिहाद-बहुविवाह पर नकेल की तैयारी! विधानसभा के अगले सत्र में विधेयक लाएगी सरकार, CM का एलान
क्या था बैठक का मकसद?
एसआईआर का मुख्य उद्देश्य पुराने और गलत रिकॉर्ड हटाकर मतदाता सूची को अद्यतन करना है। इसमें खासतौर पर अवैध विदेशी प्रवासियों के नामों की पहचान और उन्हें सूची से हटाने पर जोर दिया जाएगा। आयोग इस बार यह अभियान चरणबद्ध तरीके से शुरू करने पर विचार कर रहा है।
किन राज्यों में पहले चलेगा अभियान?
चुनाव आयोग की योजना है कि एसआईआर की शुरुआत उन राज्यों से की जाए जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में असम, केरल, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल शामिल है।
इनके अलावा कुछ और राज्यों को भी पहले चरण में शामिल किया जा सकता है। वहीं जिन राज्यों में फिलहाल स्थानीय निकाय चुनाव चल रहे हैं या होने वाले हैं, वहां यह अभियान बाद में शुरू होगा ताकि स्थानीय चुनावी मशीनरी पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
पुरानी मतदाता सूची बनेगी आधार
हर राज्य में पिछली बार हुए एससआई के रिकॉर्ड को इस बार के अभियान का आधार बनाया जाएगा। जैसे, बिहार में आखिरी एसआईआर 2003 में हुआ था और हाल ही में वहां 7.42 करोड़ मतदाताओं की अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई। दिल्ली में आखिरी बार गहन पुनरीक्षण 2008 में हुआ था। जबकि उत्तराखंड में 2006 में । वहीं ज्यादातर राज्यों में पिछली एसआईआर 2002 से 2004 के बीच कराई गई थी। अब राज्यों ने मौजूदा मतदाताओं का मिलान उस पुरानी सूची से लगभग पूरा कर लिया है।
यह भी पढ़ें - Ladakh: लेह एपेक्स बॉडी-कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की केंद्र सरकार के साथ बैठक, हिंसा के बाद पहली मुलाकात
एसआईआर को लेकर क्या बोले सीईसी?
वही मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पहले कहा था कि पूरे देश में एसआईआर को शुरू करने की तैयारी चल रही है। आयोग के तीनों आयुक्त जल्द ही राज्यों के लिए अभियान की तारीखें तय करेंगे। चुनाव आयोग ने सितंबर में ही राज्यों से एसआईआर के लिए तैयार रहने को कहा था। अब साफ-सुथरी मतदाता सूची तैयार करने की समयसीमा तय की जाएगी ताकि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले सभी राज्यों की मतदाता सूची अपडेट हो सके।

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क्या था बैठक का मकसद?
एसआईआर का मुख्य उद्देश्य पुराने और गलत रिकॉर्ड हटाकर मतदाता सूची को अद्यतन करना है। इसमें खासतौर पर अवैध विदेशी प्रवासियों के नामों की पहचान और उन्हें सूची से हटाने पर जोर दिया जाएगा। आयोग इस बार यह अभियान चरणबद्ध तरीके से शुरू करने पर विचार कर रहा है।
किन राज्यों में पहले चलेगा अभियान?
चुनाव आयोग की योजना है कि एसआईआर की शुरुआत उन राज्यों से की जाए जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में असम, केरल, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल शामिल है।
इनके अलावा कुछ और राज्यों को भी पहले चरण में शामिल किया जा सकता है। वहीं जिन राज्यों में फिलहाल स्थानीय निकाय चुनाव चल रहे हैं या होने वाले हैं, वहां यह अभियान बाद में शुरू होगा ताकि स्थानीय चुनावी मशीनरी पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
पुरानी मतदाता सूची बनेगी आधार
हर राज्य में पिछली बार हुए एससआई के रिकॉर्ड को इस बार के अभियान का आधार बनाया जाएगा। जैसे, बिहार में आखिरी एसआईआर 2003 में हुआ था और हाल ही में वहां 7.42 करोड़ मतदाताओं की अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई। दिल्ली में आखिरी बार गहन पुनरीक्षण 2008 में हुआ था। जबकि उत्तराखंड में 2006 में । वहीं ज्यादातर राज्यों में पिछली एसआईआर 2002 से 2004 के बीच कराई गई थी। अब राज्यों ने मौजूदा मतदाताओं का मिलान उस पुरानी सूची से लगभग पूरा कर लिया है।
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एसआईआर को लेकर क्या बोले सीईसी?
वही मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पहले कहा था कि पूरे देश में एसआईआर को शुरू करने की तैयारी चल रही है। आयोग के तीनों आयुक्त जल्द ही राज्यों के लिए अभियान की तारीखें तय करेंगे। चुनाव आयोग ने सितंबर में ही राज्यों से एसआईआर के लिए तैयार रहने को कहा था। अब साफ-सुथरी मतदाता सूची तैयार करने की समयसीमा तय की जाएगी ताकि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले सभी राज्यों की मतदाता सूची अपडेट हो सके।
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