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Operation Sindoor: चीन में खूब सुनाई दी 'आपरेशन सिंदूर' की गूंज; दुनिया को सख्त संदेश देने में कामयाब रहा भारत
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Operation Sindoor
- फोटो : Amar Ujala

हर तूफान के पीछे कहानी और खामोशी दोनों होती है। आपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन इसके संदेश दक्षिण एशिया से लेकर दुनिया की बड़ी ताकतों तक पहुंच गया है। एक पूर्व विदेश सचिव नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि इसके निशाने पर तो पाकिस्तान के आतंकी शिविर थे, लेकिन बीजिंग के लिए बड़ा संदेश था।
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रक्षा और विदेश मामले के वरिष्ठ पत्रकार रंजीत कुमार कहते हैं कि यह संभव है। पहली बार भारत ने जबरदस्त तरीके से सैन्य बलों के तकनीकी तालमेल का प्रदर्शन किया है। पूर्व एयर वाइस मार्शल एनबी सिंह कहते हैं कि रेडार प्रणाली, आसमान की आंख (टोही तंत्र), अस्त्र शस्त्रों के साथ उनके नेटवर्क की सक्रियता और पलक झपकते ही लक्ष्य पर सटीक वार किया। यही तो बताता है कि भारत अब दुनिया का चौथा फायर पावर देश है। हमारे पास दुश्मन के हमले के हमलों को दूर से पहचानने, हवा में उन्हें काफी दूर नष्ट कर देने की ताकत है। इसके साथ-साथ किसी भी पुख्ता सूचना पर किसी भी निशाने को गाइडेड घातक मिसाइल प्रणाली से अपनी सीमा में रहकर ही सटीकता (बुल आई फाइटिंग) के साथ ध्वस्त कर सकते हैं।
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पहले कहां थी ऐसी बात?
दक्षता प्रशिक्षण से आती है। तकनीक का तालमेल दक्षता से बनता है। नाम न छापने की शर्त पर पूर्व सैन्य अधिकारी का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बहाने यह संदेश चीन के लिए भी है। दक्षिण एशिया से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी है कि भारत को हल्के में लेना भूल है। सूत्र का कहना है कि यह बताना बहुत जरूरी था कि भारत सधे हुए तरीके से सटीकता के साथ न केवल वार कर सकता है, बल्कि उसके पास अपनी जमीन, आसमान और जल क्षेत्र को बचाने के कवच भी हैं। तकनीकी लड़ाई और आधुनिक युद्ध पद्धति में भारत के पास पूरी क्षमता है।
सूत्र का कहना है कि पहले भारत को लेकर अलग-अलग धारणा थी। यह भी सही है कि तब भारत के पास पारंपरिक और सीमित हथियार, सुरक्षा प्रणाली थी। हमारी सैन्य दुर्घटना में मानव त्रुटि भी बड़े कारण के रूप में होती थी, लेकिन पिछले डेढ़ दशक में तमाम सुधार करके सैन्य बलों ने इसे बहुत ठीक कर लिया है। बालाकोट आपको याद होगा। विंग कमांडर अभिनंदन को हमें पाकिस्तान से वापस लेना पड़ा था। हमारा एक हेलीकॉप्टर भी अपनी गलतियों से शिकार हुआ था। सूत्र का कहना है कि भारत के आस-पड़ोस लेकर चीन और अंतरराष्ट्रीय स्तर मैंने भी तरह-तरह की बाते सुनी हैं।
अब दुश्मन सिर उठाएगा तो सोचेगा
ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के इस्तेमाल ने दुश्कनों को हिलाकर रख दिया है। अवाक्स, एस-400, आकाश मिसाइल प्रणाली, सेटलाइट और हथियारों के साथ इसकी नेटवर्किग ने नया आयाम जोड़ दिया है। पूर्व मेजर जनरल सिन्हा कहते हैं कि पहले हमें लोग केवल पाकिस्तान से लड़ने में सक्षम देश मानते थे। हम 1962 में चीन से पिट चुके थे। पिछले पांच साल से चीन से लद्दाख के मोर्चे पर सीधे भिड़ने से परहेज कर रहे थे, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने संदेश दे दिया है। आने वाले समय में जो भी दुश्मन भारत की आंख उठाकर देखने की कोशिश करेगा, उसे 100 बार सोचना पड़ेगा।
मेजर जनरल कहते हैं कि क्यों कि हमने खुद को 2025 के नए भारत के रूप में दुनिया को दिखा दिया है। हम इस पर नहीं जाना चाहते कि ऑपरेशन सिंदूर का यह युद्ध विराम क्यों हुआ, कैसे हुआ? इसके आगे क्या होना चाहिए। हमारा राजनीतिक नेतृत्व इस बारे में क्या निर्णय लेगा? लेकिन सेनाओं के तालमेल से चले सैन्य आपरेशन को जो संदेश देना था, इसने दे दिया है। हमारे ऑपरेशन की चर्चा पड़ोसी मुल्क में भी खूब है।