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Aviation: उड़ानों पर इथियोपिया ज्वालामुखी की राख का बादल भारी,एयरलाइंस ने बदले रूट-प्लान; IMD ने दिया ये अपडेट
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Tue, 25 Nov 2025 02:29 PM IST
सार
एयर इंडिया ने कहा है कि सभी प्रभावित यात्रियों को एसएमएस और ईमेल के जरिए लगातार जानकारी भेजी जा रही है, साथ ही टिकटों का पूरा रिफंड और बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के री-बुकिंग की सुविधा भी दी जा रही है। एयरलाइन ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्थिति पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुरूप ही आगे उड़ानों का संचालन किया जाएगा।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
इथियोपिया के हैली गुब्बी ज्वालामुखी से उठी विशाल राख की परत दिल्ली पहुंच गई है। इसके कारण राजधानी समेत कई शहरों की हवाई सेवाएं प्रभावित हुईं। स्थिति को देखते हुए एयर इंडिया ने सतर्कता बरतते हुए कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें रद्द कर दीं। एयर इंडिया एयरलाइन का कहना है कि यह कदम यात्रियों और क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
एयर इंडिया ने कहा है कि सभी प्रभावित यात्रियों को एसएमएस और ईमेल के जरिए लगातार जानकारी भेजी जा रही है, साथ ही टिकटों का पूरा रिफंड और बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के री-बुकिंग की सुविधा भी दी जा रही है। एयरलाइन ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्थिति पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुरूप ही आगे उड़ानों का संचालन किया जाएगा।
ज्वालामुखी की राख को देखते हुए डीजीसीए ने सभी एयरलाइंस को कड़े निर्देश जारी किए हैं। नियामक ने कहा है कि उड़ान योजनाएं ऐसे निर्धारित हों कि विमान राख वाले वायुक्षेत्र में न जाएं। साथ ही एयरलाइंस को अतिरिक्त ईंधन रखने, वैकल्पिक मार्ग अपनाने और इंजनों की खास जांच करने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि राख के कण इंजन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। एयरपोर्ट्स को निर्देश दिया गया है कि यदि किसी क्षेत्र में राख के निशान मिलते हैं, तो तुरंत रनवे, टैक्सीवे और एप्रन की जांच की जाए और सफाई पूरी होने तक उड़ान संचालन रोक दिया जाए। साथ ही ऑपरेटरों को अपने इंटरनल सेफ्टी रिस्क असेसमेंट सिस्टम को सक्रिय करने, सैटेलाइट इमेजरी और VAAC के बुलेटिन पर लगातार नजर रखने तथा राख की दिशा का 24 घंटे ट्रैकिंग करने के आदेश दिए गए हैं।
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एयर इंडिया ने कहा है कि सभी प्रभावित यात्रियों को एसएमएस और ईमेल के जरिए लगातार जानकारी भेजी जा रही है, साथ ही टिकटों का पूरा रिफंड और बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के री-बुकिंग की सुविधा भी दी जा रही है। एयरलाइन ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्थिति पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुरूप ही आगे उड़ानों का संचालन किया जाएगा।
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ज्वालामुखी की राख को देखते हुए डीजीसीए ने सभी एयरलाइंस को कड़े निर्देश जारी किए हैं। नियामक ने कहा है कि उड़ान योजनाएं ऐसे निर्धारित हों कि विमान राख वाले वायुक्षेत्र में न जाएं। साथ ही एयरलाइंस को अतिरिक्त ईंधन रखने, वैकल्पिक मार्ग अपनाने और इंजनों की खास जांच करने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि राख के कण इंजन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। एयरपोर्ट्स को निर्देश दिया गया है कि यदि किसी क्षेत्र में राख के निशान मिलते हैं, तो तुरंत रनवे, टैक्सीवे और एप्रन की जांच की जाए और सफाई पूरी होने तक उड़ान संचालन रोक दिया जाए। साथ ही ऑपरेटरों को अपने इंटरनल सेफ्टी रिस्क असेसमेंट सिस्टम को सक्रिय करने, सैटेलाइट इमेजरी और VAAC के बुलेटिन पर लगातार नजर रखने तथा राख की दिशा का 24 घंटे ट्रैकिंग करने के आदेश दिए गए हैं।
दूसरी तफर इंडिगो और अकासा एयर ने भी वेस्ट एशिया रूट पर कई उड़ानें रद्द करने और कुछ को डायवर्ट करने का फैसला लिया है। अकासा एयर ने जेद्दा, कुवैत और अबू धाबी के लिए अपनी सेवाएं अस्थायी रूप से रोक दी हैं, और यात्रियों को रिफंड या मुफ्त री-बुकिंग का विकल्प दिया है। इंडिगो की कन्नूर–अबू धाबी उड़ान (6E1433) को राख के कारण अहमदाबाद की ओर मोड़ना पड़ा। अन्य एयरलाइंस भी हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
इथियोपिया के हैली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली भारी राख राजस्थान और गुजरात के रास्ते दिल्ली के आसमान तक पहुंच गई है। हालांकि, मौसम विभाग का कहना है कि राख की यह परत काफी ऊंचाई पर है और जमीन के स्तर पर वायु गुणवत्ता पर इसका ज्यादा असर दिखने की संभावना नहीं है। इसके बावजूद विमानन क्षेत्र पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है, क्योंकि राख का गुबार लगभग 45,000 फीट तक फैला हुआ है,ठीक उसी ऊंचाई पर जहां अधिकांश अंतरराष्ट्रीय उड़ानें क्रूजिंग के दौरान उड़ती हैं।
इथियोपिया के हैली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली भारी राख राजस्थान और गुजरात के रास्ते दिल्ली के आसमान तक पहुंच गई है। हालांकि, मौसम विभाग का कहना है कि राख की यह परत काफी ऊंचाई पर है और जमीन के स्तर पर वायु गुणवत्ता पर इसका ज्यादा असर दिखने की संभावना नहीं है। इसके बावजूद विमानन क्षेत्र पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है, क्योंकि राख का गुबार लगभग 45,000 फीट तक फैला हुआ है,ठीक उसी ऊंचाई पर जहां अधिकांश अंतरराष्ट्रीय उड़ानें क्रूजिंग के दौरान उड़ती हैं।
निजी भारतीय मौसम विज्ञान एजेंसी इंडिया मेटस्काई ने सोमवार देर रात अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल पर एक महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है। स्काईमेट के मुताबिक,इंडोनेशिया के किसी सक्रिय ज्वालामुखी से निकला ऐश प्लम (राख का बादल) अब ओमान-अरब सागर क्षेत्र से होते हुए उत्तर और मध्य भारत के मैदानी इलाकों की ओर बढ़ रहा है। यह प्लम मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) गैस से भरा हुआ है, जबकि ज्वालामुखी की राख की मात्रा कम से मध्यम स्तर की है।