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S Jaishankar: साइप्रस दौरे पर विदेश मंत्री जयशंकर, संयुक्त राष्ट्र में भारतीय शांतिरक्षकों की भूमिका को सराहा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव Updated Sat, 31 Dec 2022 03:56 PM IST
सार

साइप्रस यात्रा की तस्वीरें साझा करते हुए विदेश मंत्री ने लिखा, लरनाका में वह सड़क देखकर अच्छा लगा, जिसका नाम जरनल के ए थिमैया के नाम पर रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के लिए सेवाएं दे रहे भारतीय शांतिरक्षकों की दुनियाभर में सराहना होती है।

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Foreign Minister S Jaishankar on Cyprus tour, praised the role of Indian peacekeepers in the United Nations
विदेश मंत्री एस. जयशंकर - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत और साइप्रस अपने राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों साइप्रस की अपनी पहली यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की तरफ से सेवाएं देने वाले भारतीय शांतिरक्षकों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने साइप्रस में वह सड़क भी देखी, जिसका नाम जनरल के एस थिमैया के नाम पर रखा गया है।

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ट्विटर पर अपनी साइप्रस यात्रा की तस्वीरें साझा करते हुए विदेश मंत्री ने लिखा, लरनाका में वह सड़क देखकर अच्छा लगा, जिसका नाम जरनल के ए थिमैया के नाम पर रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के लिए सेवाएं दे रहे भारतीय शांतिरक्षकों की दुनियाभर में सराहना होती है।
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साइप्रस समकक्ष से जयशंकर ने की मुलाकात 
इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री इयोनिस कसौलाइड्स ने भी मुलाकात की। इयोनिस ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र शांति सेना-साइप्रस (यूएनएफआईसीवाईपी) में वर्षों से जारी भारत के महत्वपूर्ण योगदान की प्रशंसा की और उसका आभार जताया। बता दें,  संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भारत के 5,887 जवान सेवाएं दे रहे हैं और भारत इस मामले में दूसरे स्थान पर है। साइप्रस के विदेश मंत्री इयोनिस ने कहा, मैं यूएनएफआईसीवाईपी में सैनिकों और पुलिस कर्मियों की भागीदारी के लिए भारत की प्रशंसा करता हूं। साइप्रस बहुत भाग्यशाली है कि देश में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत तीन भारतीय कमांडरों जनरल ज्ञानी, जनरल (कोडेंडर सुबैय्या) थिमैया और जनरल दीवान प्रेमचंद ने अपनी सेवाएं प्रदान कीं।
 

1965 तक जनरल थिमैया ने दी थी सेवा 
उन्होंने कहा, “जनरल थिमैया ने 1965 में अपने निधन तक साइप्रस में सेवाएं दीं। तुर्की के आक्रमण के दौरान नागरिकों की सुरक्षा, विदेशी राजनयिकों को बचाकर लाने और निकोसिया में हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए जनरल चंद के अथक प्रयासों को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। जनरल थिमैया भारतीय सेना के एक प्रतिष्ठित सैनिक थे। वह 1957 से 1961 तक सेना प्रमुख रहे। उनका कार्यकाल खत्म होने के ठीक बाद 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था।

 

कोरियाई युद्ध के बाद, थिमैया ने युद्ध बंदियों की अदला-बदली के मामले देखने वाली वाली संयुक्त राष्ट्र इकाई का नेतृत्व किया था। भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल की कमान संभाली थी। साइप्रस में ही 1965 में दिल का दौरा पड़ने के बाद उनका निधन हो गया था। वर्ष 1948 से, दुनियाभर में स्थापित 71 में से 49 संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में 2,00,000 से अधिक भारतीय सुरक्षाकर्मी सेवाएं दे चुके हैं।

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