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Johann Wadephul: जर्मन विदेश मंत्री भारत के विकास के मुरीद, कहा- नवोन्मेषी महाशक्ति-प्रौद्योगिकी का केंद्र बना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Wed, 03 Sep 2025 03:35 PM IST
सार
जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल दो दिवसीय भारत यात्रा पर हैं। कल उन्होंने बंगलूरू की यात्रा की। इस दौरान वह प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत की प्रगति के मुरीद हुए। उन्होंने कहा, मैंने खुद देखा कि भारत कितना नवोन्मेषी महाशक्ति और प्रौद्योगिकी केंद्र बन गया है।
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जोहान वाडेफुल, जर्मन विदेश मंत्री
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल अपनी बंगलूरू यात्रा के दौरान प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के विकास के मुरीद हुए। उन्होंने कहा कि जर्मनी और भारत को सहयोग बढ़ाकर बहुत कुछ हासिल करना है।
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जोहान वाडेफुल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा, 'अगर हमें अपने सहयोग को और आगे बढ़ाना है, तो हमारी अर्थव्यवस्थाओं को बहुत कुछ हासिल करना होगा। मैं कल बंगलूरू में था, और मैंने खुद देखा कि भारत कितना नवोन्मेषी महाशक्ति और प्रौद्योगिकी केंद्र बन गया है।'
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भारत के विशेष और रणनीतिक महत्व पर भी दिया जोर
जोहान वाडेफुल ने दुनिया में भारत के 'विशेष और रणनीतिक' महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, भारत एक उभरती हुई महाशक्ति है और दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसके साथ ही सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत का वैश्विक क्षेत्र में विशेष और रणनीतिक महत्व है।
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रक्षा-सुरक्षा और आयुध के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का रखा लक्ष्य
वाडेफुल और एस जयशंकर ने द्विपक्षीय बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर भी चर्चा की। वाडेफुल ने चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार पर चिंता व्यक्त की और रक्षा, सुरक्षा एवं आयुध के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का लक्ष्य रखा। उन्होंने कहा, 'भारत और जर्मनी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से एकजुट हैं, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार मार्गों की स्वतंत्रता भी शामिल है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता आक्रामक व्यवहार दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है। सामान्य तौर पर, हमारा लक्ष्य रक्षा, सुरक्षा और आयुध के क्षेत्रों में अपने सहयोग को और बढ़ाना है।'
हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा यूरोप की सुरक्षा से जुड़ी
वाडेफुल ने कहा, 'हमने आज इस बारे में बात की। चाहे वह हमारी सेनाओं के साझा अभ्यास के जरिये हो या पिछले साल जर्मन फ्रिगेट द्वारा भारत के बंदरगाह पर किए गए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए निर्यात लाइसेंस प्रक्रिया में तेजी लाने के जरिये। हमने इस तथ्य पर भी चर्चा की कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा यूरोप की सुरक्षा से गहराई से जुड़ी हुई है। रूस का आक्रामक युद्ध अभी भी हमारी सुरक्षा नीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।'
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एआई शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत की महत्वाकांक्षा का प्रदर्शन
जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने भारत द्वारा एआई शिखर सम्मेलन की मेजबानी के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि यह नई तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल होने की भारत की महत्वाकांक्षा और दावे का प्रदर्शन है। द्विपक्षीय व्यापार पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 31 अरब यूरो से भी कम के व्यापार के साथ भारत और जर्मनी पहले से ही प्रीमियर लीग में खेल रहे हैं। जर्मनी भारत को अपना सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार मानता है। हमारा लक्ष्य इसे दोगुना करना है।
दो दिवसीय भारत यात्रा पर हैं वाडेफुल
दरअसल जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल दो दिवसीय भारत यात्रा पर हैं। उन्होंने बंगलूरू में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत का जायजा लिया। साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की महत्वपूर्ण बैठकें भी कीं।