गोवा नाइट क्लब हादसा: 'बेरोजगारी ने मौत के मुंह में पहुंचाया', बोले अग्निकांड में मारे गए मजदूरों के परिवार
गोवा के अर्पोरा नाइट क्लब में लगी आग में असम के तीन श्रमिकों की मौत के बाद उनके परिवारों ने रोजगार की कमी को जिम्मेदार बताया है। मृतकों में कछार निवासी मनोजीत मल और राहुल तांती, व धेमाजी जिले के दिगंत पातिर शामिल हैं। पीड़ितों के परिवारों का कहना है कि क्षेत्र में आजीविका के अवसर न होने के कारण उनके बच्चों को गांव छोड़कर गोवा और केरल जैसे दूर राज्यों में काम करना पड़ा।
विस्तार
गोवा के अर्पोरा नाइट क्लब में अग्निकांड में मारे गए असम के तीन लोगों के परिवार के सदस्यों ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में आजीविका के अवसरों की कमी के कारण उनके बच्चों को दूर पश्चिमी राज्य जाने के लिए मजबूत होना पड़ा।
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हादसे में हुई 25 लोगों की मौत
हादसे में जान गंवाने वाले तीनों सदस्य गोवा नाइट क्लब में काम कर रहे थे, तभी रविवार आधी रात के बाद आग लग गई। इसमें कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए।
असम के मुख्यमंत्री जताया शोक
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि गोवा के अरपोरा अग्निकांड में हुई दुखद मौत से बहुत दुखी हूं, जहां हमारे तीन लोगों ने अपनी जान गंवा दी। श्री राहुल तांती, कछार, श्री मनोजीत मल, कछार, श्री दिगंत पातिर, धेमाजी। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।
परिवार ने रोगजार के अवसर न होने का लगाया आरोप
नाइट क्लब के रसोईघर में काम करने वाले मनोजीत मल (24) और राहुल तांती (60) के शव उनके रिश्तेदारों को सौंप दिए गए हैं, जो गोवा में ही काम कर रहे थे, जबकि केरल में काम करने वाले दिग्नता पातिर के बड़े भाई शव लेने के लिए गोवा रवाना हो चुके हैं। पातिर नाइट क्लब में रसोइया था। तीन मृतकों के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि अधिकारियों ने उन्हें उनके शवों को घर लाने के लिए किए जा रहे प्रबंधों के बारे में सूचित नहीं किया है।
मल और तांती के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि घर पर आजीविका के अवसर न होने के कारण उनके बच्चों को गांव और राज्य छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। दोनों ही चाय जनजाति समुदाय से हैं और ग्रामीणों ने दावा किया कि बराक घाटी में चाय बागानों की हालत बहुत दयनीय है और इसलिए उनके बच्चों को जीविकोपार्जन के लिए दूर स्थानों पर जाना पड़ता है।
पातिर की मां ने यह भी दावा किया कि उनके दोनों बेटे गोवा और केरल जैसे दूरदराज के राज्यों में काम कर रहे हैं, क्योंकि धेमाजी में आजीविका का कोई स्रोत नहीं है, जो असम का बाढ़ और कटाव प्रभावित जिला है।
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