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H-1B Visa Row: ट्रंप की सख्ती से खतरे में भारतीय युवाओं का 'US ड्रीम'; जर्मनी बोला- कुशल पेशेवरों का स्वागत...
अमर उजाला ब्यूरो/एजेंसी, बंगलूरू/हैदराबाद/नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Thu, 25 Sep 2025 06:39 AM IST
सार
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिबंध भारतीय छात्रों का अमेरिकी सपना तोड़ रहे हैं। एच-1बी वीजा पर नए नियमों ने भारतीय छात्रों को हतोत्साहित किया है। कई छात्रों ने ऐन वक्त पर अमेरिका जाने का फैसला रद्द कर दिया है। वहीं, जर्मनी ने कुशल भारतीय पेशेवरों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। एच-1बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के बीच भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि उच्च कौशल वाले भारतीयों का जर्मनी में स्वागत है।
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सांकेतिक तस्वीर और जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
परिधि उपाध्याय अमेरिका में कंप्यूटर विज्ञान छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद वहां जाने के लिए अपना सामान पैक कर रही थीं, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से एच 1बी वीजा संबंधी घोषणाओं के बाद लखनऊ में उनके परिवार ने उनका अमेरिका जाना रद्द कर दिया। 18 वर्षीय परिधि के पिता रुद्र प्रताप ने कहा, अप्रवासियों के खिलाफ ट्रंप के निरंतर हमले हमें उसके लिए अन्य गंतव्यों पर विचार करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
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उपाध्याय उन हजारों भारतीयों में हैं जिनका विश्व स्तरीय शिक्षा, आकर्षक कॅरिअर, बेहतर जीवन स्तर और सामाजिक गतिशीलता का अमेरिकी सपना, बढ़ते अमेरिकी वीजा प्रतिबंधों और नीतियों की अनिश्चितता के कारण धूमिल हो रहा है। दशकों से, एच-1बी वीजा, भारत, चीन और अन्य देशों के युवा इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए वर्षों के अध्ययन को उच्च वेतन वाली नौकरियों और स्थायी निवास की संभावना में बदलने का एक अवसर और एक नए जीवन का द्वार रहा है। पिछले हफ्ते ट्रंप ने कहा कि नए एच-1बी वीजा आवेदनों की फीस एक लाख डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये होगी। यह नियोक्ताओं की ओर से अपने कर्मचारियों के लिए अब तक भुगतान किए जाने वाले दो हजार से लेकर 5 हजार डॉलर से कई गुणा अधिक है। एजेंसी
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अनिश्चित भविष्य से चिंतित...
टेक्सास के डलास में कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री कर रहा लखनऊ का छात्र 80,000 डॉलर के कर्ज और अनिश्चित भविष्य से चिंतित है। उसने कहा, फिलहाल, मेरा एकमात्र लक्ष्य अपनी डिग्री पूरी करना, इंटर्नशिप ढूंढना और अपना कर्ज चुकाना है। आईडीपी एजुकेशन के पीयूष कुमार ने कहा, कई छात्र और अभिभावक अब प्रतीक्षा करो और देखो की स्थिति में हैं और ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
हाईप्रोफाइल भारतीयों ने किया इस वीजा का उपयोग
जहां एच -1बी वीजा के समर्थक इसे अमेरिका में महत्वपूर्ण प्रतिभाओं को लाने का श्रेय देते हैं, वहीं ट्रंप का तर्क है कि यह वेतन कम करता है और योग्य अमेरिकी कर्मचारियों को बेरोजगार कर रहा है। इससे यह देश की सबसे विभाजनकारी आव्रजन नीतियों में से एक बन गई है। इस वीजा कार्यक्रम का उपयोग करने वाले कुछ हाई-प्रोफाइल भारतीयों में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, आईबीएम के सीईओ अरविंद कृष्णा और गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई शामिल हैं। ये सभी छात्र के रूप में अमेरिका आए थे।
विदेशियों के लिए रोजगार मेले आयोजित कर रहा चीन
जहां जर्मनी स्थिरता प्रदान करता है, वहीं चीन नए प्रोत्साहनों के साथ वैश्विक प्रतिभाओं की आक्रामक रूप से भर्ती कर रहा है। बीजिंग ने एक नई वीजा श्रेणी का अनावरण किया है जो सफल आवेदकों को बिना किसी नौकरी की पेशकश या शोध पद प्राप्त किए चीन में प्रवेश, अध्ययन और काम करने की अनुमति देगा। जिस दिन ट्रंप ने 1 लाख डॉलर के एच-1बी वीजा शुल्क पर हस्ताक्षर किए, उसी दिन जिनान और नानजिंग जैसे चीनी शहरों में विदेशी प्रतिभाओं को लक्षित करते हुए बड़े पैमाने पर रोज़गार मेले आयोजित किए गए। जिनान में 2,000 से ज्यादा नियोक्ताओं ने भाग लिया, जबकि नानजिंग में 20,000 से ज्यादा नौकरियों की पेशकश की गई।
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जर्मनी ने कुशल भारतीय पेशेवरों के लिए खोले दरवाजे
एच-1बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के बीच भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि उच्च कौशल वाले भारतीयों का जर्मनी में स्वागत है। स्थिर प्रवासन नीतियों के कारण हमारी अलग पहचान है। जर्मनी आईटी, प्रबंधन, विज्ञान व प्रौद्योगिकी में भारतीयों को रोजगार के बेहतरीन मौके देता है। एकरमैन ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, जर्मनी में सबसे अधिक कमाई करने वालों में भारतीय भी शामिल हैं। वहां काम करने वाला औसत भारतीय, औसत जर्मन से अधिक कमाता है। इसका अर्थ है कि भारतीय हमारे समाज और हमारे कल्याण में बड़ा योगदान दे रहे हैं। जर्मन आव्रजन नीतियां अव्यवस्थित नहीं हैं। उन्होंने अमेरिका पर निशाना साधा, जिसने वीजा प्रक्रिया को और अधिक जटिल बना दिया है। एकरमैन ने कहा, हम कड़ी मेहनत और सर्वश्रेष्ठ लोगों को सर्वश्रेष्ठ नौकरियां देने में विश्वास रखते हैं। हमारी प्रवासन नीति जर्मन कार की तरह विश्वसनीय, आधुनिक और पूर्वानुमानित है। हम समय के साथ अपने नियमों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं करते। उन्होंने जर्मनी में मौजूद अवसरों की जानकारी देने के लिए एक लिंक भी साझा किया।