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Calcutta High Court: 2010 में हुआ पिता का निधन, सरकारी नौकरी के लिए बेटे ने 2025 में किया आवेदन; खारिज याचिका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता।
Published by: निर्मल कांत
Updated Tue, 18 Nov 2025 04:33 PM IST
सार
Calcutta High Court: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के अनुकंपा के आधार पर नौकरी के आवेदन को खारिज कर दिया है। साल 2010 में व्यक्ति के पिता का निधन सरकारी स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर रहते हुए हुआ था। तब वह नाबालिग थे। अब उन्होंने अनुकंपा के आधार पर नौकरी आवेदन किया था।
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कलकत्ता हाई कोर्ट
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक व्यक्ति का अनुकंपा के आधार पर नौकरी का आवेदन खारिज कर दिया। व्यक्ति का दावा था कि पिता के निधन के समय वह नाबालिग था। हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक के वारिस को वयस्क होने पर रिक्त पदों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
याचिकाकर्ता सैयद शाहीनूर जमान के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके पिता 2010 में एक स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर थे। पद पर रहते हुए उनका निधन हो गया था। तब शाहीनून आठ साल के थे। उन्होंने जून 2025 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया था।
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जस्टिस अमृता सिन्हा ने कहा, मृतक के वारिस के वयस्क होने पर रिक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने आवेदन को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 16 साल सेवा के बाद सितंबर 2010 में पश्चिम बंगाल सरकार समर्थित एक स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर रहते उनके पिता का निधन हो गया था। वकील ने दावा किया कि याचिकाकर्ता की माता ने स्कूल प्रशासन के अधिकारियों से अनुकंपा के आधार पर नौकरी का अनुरोध किया था, लेकिन मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्ष ने इसे स्वीकार नहीं किया।
कोर्ट ने गौर किया कि याचिकाकर्ता ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका, जिससे यह प्रमाणित हो कि अनुकंपा के आधार पर आवेदन पहले किया गया था। वकील ने कोर्ट बताया कि याचिकाकर्ता ने वयस्क होने के बाद स्कूल प्रशासन को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन दिया था, लेकिन इसे मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय में लंबित रखा गया।
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याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के आवेदन पर विचार करें। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से जुड़ा कानून स्पष्ट है कि जो व्यक्ति मृतक के निधन के समय आवेदन करने का अधिकार नहीं रखता, उसे वयस्क होने पर भी इसका अधिकार नहीं है।
जस्टिस अमृता सिन्हा ने कहा, मृतक के वारिस के वयस्क होने पर रिक्ति में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नियमित सेवा का तरीका नहीं है और इसे केवल परिवार के आर्थिक संकट के समय प्रदान किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि निधन 2010 में हुआ था और आवेदन 2025 में किया गया था।
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याचिकाकर्ता सैयद शाहीनूर जमान के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके पिता 2010 में एक स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर थे। पद पर रहते हुए उनका निधन हो गया था। तब शाहीनून आठ साल के थे। उन्होंने जून 2025 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया था।
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जस्टिस अमृता सिन्हा ने कहा, मृतक के वारिस के वयस्क होने पर रिक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने आवेदन को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 16 साल सेवा के बाद सितंबर 2010 में पश्चिम बंगाल सरकार समर्थित एक स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर रहते उनके पिता का निधन हो गया था। वकील ने दावा किया कि याचिकाकर्ता की माता ने स्कूल प्रशासन के अधिकारियों से अनुकंपा के आधार पर नौकरी का अनुरोध किया था, लेकिन मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्ष ने इसे स्वीकार नहीं किया।
कोर्ट ने गौर किया कि याचिकाकर्ता ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका, जिससे यह प्रमाणित हो कि अनुकंपा के आधार पर आवेदन पहले किया गया था। वकील ने कोर्ट बताया कि याचिकाकर्ता ने वयस्क होने के बाद स्कूल प्रशासन को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन दिया था, लेकिन इसे मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय में लंबित रखा गया।
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याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के आवेदन पर विचार करें। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से जुड़ा कानून स्पष्ट है कि जो व्यक्ति मृतक के निधन के समय आवेदन करने का अधिकार नहीं रखता, उसे वयस्क होने पर भी इसका अधिकार नहीं है।
जस्टिस अमृता सिन्हा ने कहा, मृतक के वारिस के वयस्क होने पर रिक्ति में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नियमित सेवा का तरीका नहीं है और इसे केवल परिवार के आर्थिक संकट के समय प्रदान किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि निधन 2010 में हुआ था और आवेदन 2025 में किया गया था।