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MHA: नेपाल-भूटान के नागरिकों को भारत आने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं, गृह मंत्रालय का आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Tue, 02 Sep 2025 09:41 PM IST
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सार
भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत आने-जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा की जरूरत पहले की तरह नहीं होगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सेना के जवान, तिब्बती शरणार्थी, धार्मिक उत्पीड़न से आए अल्पसंख्यक और श्रीलंकाई तमिलों को भी राहत दी जाएगी। नया आदेश 2025 के आप्रवासन और विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत जारी हुआ है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में प्रवेश करने के लिए पासपोर्ट और वीजा की जरूरत पहले की तरह अब भी नहीं होगी। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने नया आदेश जारी कर कहा कि यह छूट भारतीय नागरिकों पर भी लागू होगी, जो नेपाल या भूटान से सड़क या हवाई मार्ग से भारत लौटते हैं। यह फैसला 2025 से लागू हुए आप्रवासन और विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत आया है।
गृह मंत्रालय ने आदेश में बताया कि भारतीय नौसेना, थल सेना और वायु सेना के जवान, जो ड्यूटी पर हैं और सरकारी परिवहन से आ-जा रहे हैं, उन्हें भी पासपोर्ट या वीजा दिखाने की जरूरत नहीं होगी। इनके परिवार के सदस्य भी, यदि सरकारी परिवहन में साथ यात्रा कर रहे हों, तो इस छूट के दायरे में रहेंगे।
पासपोर्ट-वीजा न होने पर भी छूट
आदेश के मुताबिक, भारत में प्रवेश करने के लिए मान्य पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज और वीजा की शर्तें लागू नहीं होंगी, अगर कोई भारतीय नागरिक नेपाल या भूटान सीमा से सड़क या हवाई मार्ग से आ रहा है। इसी तरह, नेपाल या भूटान का कोई नागरिक भारत में प्रवेश कर रहा है तो उसे भी पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, यह छूट चीन, मकाऊ, हांगकांग या पाकिस्तान से आने-जाने पर लागू नहीं होगी।
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तिब्बती नागरिकों के लिए नियम
गृह मंत्रालय ने कहा कि भारत में पहले से रह रहे तिब्बती नागरिकों को भी राहत दी गई है। वे तिब्बती जिन्होंने 1959 के बाद लेकिन 30 मई 2003 से पहले भारतीय दूतावास, काठमांडू से विशेष प्रवेश परमिट (स्पेशल एंट्री परमिट) पर भारत में प्रवेश किया था, वे यहां रहने के हकदार होंगे। इसके अलावा, 30 मई 2003 के बाद से लेकर नए कानून लागू होने तक जो लोग विशेष परमिट लेकर भारत में आए हैं, उन्हें भी पंजीकरण कराने के बाद यह छूट मिलेगी।
अल्पसंख्यकों और श्रीलंकाई तमिलों को राहत
गृह मंत्रालय के आदेश में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आने वाले अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भी राहत दी गई है। 31 दिसंबर 2024 तक बिना मान्य दस्तावेजों के या फिर जिनके दस्तावेजों की अवधि खत्म हो गई है, वे भारत में रह सकेंगे। इसी तरह श्रीलंका से आए तमिल नागरिक, जिन्होंने 9 जनवरी 2015 तक भारत में शरण ली थी, उन्हें भी पासपोर्ट और वीजा रखने की शर्त से छूट दी गई है।
ये भी पढ़ें- फलस्तीन को मान्यता देने की तैयारी में बेल्जियम, इस्राइल ने लगाई कड़ी फटकार
भारत की नीति पर असर
गृह मंत्रालय का यह कदम पड़ोसी देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है। नेपाल और भूटान के साथ भारत की खुली सीमा नीति पहले से लागू है, जिससे लोगों की आवाजाही आसान होती है। नए कानून के लागू होने के बाद यह आशंका थी कि शायद अब कड़े नियम लागू होंगे, लेकिन गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया कि पहले की तरह ही स्थिति जारी रहेगी।
असम में न्यायाधिकरण को अवैध प्रवासियों की पहचान का अधिकार
वहीं, गृह मंत्रालय ने असम में एक अर्ध-न्यायिक निकाय, विदेशी न्यायाधिकरण, अवैध प्रवासियों या गैर नागरिकों की पहचान करने और उन्हें निर्दिष्ट शिविर में रखने का अधिकार दिया है। अब तक, किसी अवैध अप्रवासी को कार्यकारी आदेशों के माध्यम से ही हिरासत में लिया जाता था। अब यह विदेशी प्राधिकरण यह कार्य करेगा। सोमवार को जारी आदेश ने विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 का स्थान लिया है और इसके तहत विदेशी न्यायाधिकरणों को किसी भी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने का आदेश जारी करने का अधिकार मिला हैजिसकी राष्ट्रीयता को चुनौती दी गई है और वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में विफल रहता है।

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गृह मंत्रालय ने आदेश में बताया कि भारतीय नौसेना, थल सेना और वायु सेना के जवान, जो ड्यूटी पर हैं और सरकारी परिवहन से आ-जा रहे हैं, उन्हें भी पासपोर्ट या वीजा दिखाने की जरूरत नहीं होगी। इनके परिवार के सदस्य भी, यदि सरकारी परिवहन में साथ यात्रा कर रहे हों, तो इस छूट के दायरे में रहेंगे।
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पासपोर्ट-वीजा न होने पर भी छूट
आदेश के मुताबिक, भारत में प्रवेश करने के लिए मान्य पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज और वीजा की शर्तें लागू नहीं होंगी, अगर कोई भारतीय नागरिक नेपाल या भूटान सीमा से सड़क या हवाई मार्ग से आ रहा है। इसी तरह, नेपाल या भूटान का कोई नागरिक भारत में प्रवेश कर रहा है तो उसे भी पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, यह छूट चीन, मकाऊ, हांगकांग या पाकिस्तान से आने-जाने पर लागू नहीं होगी।
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तिब्बती नागरिकों के लिए नियम
गृह मंत्रालय ने कहा कि भारत में पहले से रह रहे तिब्बती नागरिकों को भी राहत दी गई है। वे तिब्बती जिन्होंने 1959 के बाद लेकिन 30 मई 2003 से पहले भारतीय दूतावास, काठमांडू से विशेष प्रवेश परमिट (स्पेशल एंट्री परमिट) पर भारत में प्रवेश किया था, वे यहां रहने के हकदार होंगे। इसके अलावा, 30 मई 2003 के बाद से लेकर नए कानून लागू होने तक जो लोग विशेष परमिट लेकर भारत में आए हैं, उन्हें भी पंजीकरण कराने के बाद यह छूट मिलेगी।
अल्पसंख्यकों और श्रीलंकाई तमिलों को राहत
गृह मंत्रालय के आदेश में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आने वाले अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भी राहत दी गई है। 31 दिसंबर 2024 तक बिना मान्य दस्तावेजों के या फिर जिनके दस्तावेजों की अवधि खत्म हो गई है, वे भारत में रह सकेंगे। इसी तरह श्रीलंका से आए तमिल नागरिक, जिन्होंने 9 जनवरी 2015 तक भारत में शरण ली थी, उन्हें भी पासपोर्ट और वीजा रखने की शर्त से छूट दी गई है।
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भारत की नीति पर असर
गृह मंत्रालय का यह कदम पड़ोसी देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है। नेपाल और भूटान के साथ भारत की खुली सीमा नीति पहले से लागू है, जिससे लोगों की आवाजाही आसान होती है। नए कानून के लागू होने के बाद यह आशंका थी कि शायद अब कड़े नियम लागू होंगे, लेकिन गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया कि पहले की तरह ही स्थिति जारी रहेगी।
असम में न्यायाधिकरण को अवैध प्रवासियों की पहचान का अधिकार
वहीं, गृह मंत्रालय ने असम में एक अर्ध-न्यायिक निकाय, विदेशी न्यायाधिकरण, अवैध प्रवासियों या गैर नागरिकों की पहचान करने और उन्हें निर्दिष्ट शिविर में रखने का अधिकार दिया है। अब तक, किसी अवैध अप्रवासी को कार्यकारी आदेशों के माध्यम से ही हिरासत में लिया जाता था। अब यह विदेशी प्राधिकरण यह कार्य करेगा। सोमवार को जारी आदेश ने विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 का स्थान लिया है और इसके तहत विदेशी न्यायाधिकरणों को किसी भी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने का आदेश जारी करने का अधिकार मिला हैजिसकी राष्ट्रीयता को चुनौती दी गई है और वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में विफल रहता है।
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