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Aviation: उड़ान रद्द होते ही कैसे महंगा हुआ टिकट? सीसीआई ने इंडिगो से मांगे इन सवाल के जवाब
डिजिटल ब्यूरो ,अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अस्मिता त्रिपाठी
Updated Tue, 23 Dec 2025 03:38 PM IST
सार
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो एक बार फिर गंभीर जांच के दायरे में आ गई है। दिसंबर 2025 में हुए बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसलेशन और लगातार सामने आई उड़ान बाधाओं को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने संज्ञान लिया है।
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इंडिगो फ्लाइट
- फोटो : ANI
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विस्तार
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो एक बार फिर गंभीर जांच के दायरे में आ गई है। दिसंबर 2025 में हुए बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसलेशन और लगातार सामने आई उड़ान बाधाओं को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने संज्ञान लिया है। सीसीआई ने चल रही जांच के तहत इंडिगो एयरलाइंस से जरूरी जानकारी मांगी है। यह कदम नियामक की ओर से औपचारिक जांच प्रक्रिया के हिस्से के रूप में उठाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग को कंपनी द्वारा अपने दबदबे के गलत इस्तेमाल से जुड़ी कुछ शिकायतें मिली हैं। इन्हीं सूचनाओं के आधार पर सीसीआई ने इंडिगो से विवरण तलब किया है।
आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सीसीआई की जांच में यह देखा जाएगा कि विमानन कंपनी ने कोई ऐसा कदम तो नहीं उठाया जिससे यात्रियों को नुकसान हुआ हो। हाल में उड़ानों में आई रुकावटों के बाद टिकट के दाम बढ़े, जिससे कई यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत यदि कोई कंपनी अपने बाजार में मजबूत स्थिति का गलत इस्तेमाल करती है, तो उसे शोषणकारी व्यवहार माना जाता है। ऐसे मामलों में नियामक यह जांच करता है कि क्या ग्राहकों के हित प्रभावित हुए हैं। इंडिगो से जुड़े इस मामले में सीसीआई की जांच मुख्य रूप से इसी तरह के शोषणकारी व्यवहार पर केंद्रित रह सकती है।
दरअसल, शिकायत दर्ज कराने वाला व्यक्ति एक उपभोक्ता है। उसने आयोग को अपने निजी अनुभव के बारे में जानकारी दी है। शिकायतकर्ता ने आयोग को अपनी शिकायत में बताया कि उड़ान रद्द होने के बाद उसे नया टिकट बुक करना पड़ा। इस दौरान टिकट की कीमत उसकी मूल बुकिंग लागत से करीब 2.5 गुना ज्यादा थी। सूत्रों के अनुसार, प्रतिस्पर्धा आयोग इस मामले को सिर्फ किसी एक ग्राहक की शिकायत के रूप में नहीं देखेगा। आयोग पूरे उपभोक्ता वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर इस पर विचार करेगा।
अगर कोई कंपनी जानबूझकर उड़ानों की संख्या या सीटों की उपलब्धता कम करती है और इसके बाद टिकट के दाम बढ़ा देती है, तो यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच का विषय बन सकता है। धारा 4 का उद्देश्य बाजार में किसी कंपनी के दबदबे के गलत इस्तेमाल को रोकना है। कानून में केवल मजबूत स्थिति होना गलत नहीं है, लेकिन अगर उसी ताकत का इस्तेमाल कर ग्राहकों का शोषण किया जाता है, तो आयोग कार्रवाई कर सकता है और जुर्माना भी लगा सकता है।
हालांकि यह संभावना कम है कि सीसीआई उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) से जुड़े मुद्दों पर विचार करेगा। क्योंकि यह विषय नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। सीसीआई ने 18 दिसंबर को जारी एक संक्षिप्त बयान में बताया था कि उसने हाल ही में अलग-अलग मार्गों पर उड़ानों में आई रुकावटों को लेकर इंडिगो के खिलाफ मिली शिकायतों पर संज्ञान लिया है। आयोग पहले उपलब्ध जानकारी के आधार पर शुरुआती जांच करेगा। इसके बाद जांच के नतीजों के आधार पर महानिदेशक कार्यालय को औपचारिक जांच शुरू करने के निर्देश दिए जा सकते हैं।
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आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सीसीआई की जांच में यह देखा जाएगा कि विमानन कंपनी ने कोई ऐसा कदम तो नहीं उठाया जिससे यात्रियों को नुकसान हुआ हो। हाल में उड़ानों में आई रुकावटों के बाद टिकट के दाम बढ़े, जिससे कई यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत यदि कोई कंपनी अपने बाजार में मजबूत स्थिति का गलत इस्तेमाल करती है, तो उसे शोषणकारी व्यवहार माना जाता है। ऐसे मामलों में नियामक यह जांच करता है कि क्या ग्राहकों के हित प्रभावित हुए हैं। इंडिगो से जुड़े इस मामले में सीसीआई की जांच मुख्य रूप से इसी तरह के शोषणकारी व्यवहार पर केंद्रित रह सकती है।
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दरअसल, शिकायत दर्ज कराने वाला व्यक्ति एक उपभोक्ता है। उसने आयोग को अपने निजी अनुभव के बारे में जानकारी दी है। शिकायतकर्ता ने आयोग को अपनी शिकायत में बताया कि उड़ान रद्द होने के बाद उसे नया टिकट बुक करना पड़ा। इस दौरान टिकट की कीमत उसकी मूल बुकिंग लागत से करीब 2.5 गुना ज्यादा थी। सूत्रों के अनुसार, प्रतिस्पर्धा आयोग इस मामले को सिर्फ किसी एक ग्राहक की शिकायत के रूप में नहीं देखेगा। आयोग पूरे उपभोक्ता वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर इस पर विचार करेगा।
अगर कोई कंपनी जानबूझकर उड़ानों की संख्या या सीटों की उपलब्धता कम करती है और इसके बाद टिकट के दाम बढ़ा देती है, तो यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच का विषय बन सकता है। धारा 4 का उद्देश्य बाजार में किसी कंपनी के दबदबे के गलत इस्तेमाल को रोकना है। कानून में केवल मजबूत स्थिति होना गलत नहीं है, लेकिन अगर उसी ताकत का इस्तेमाल कर ग्राहकों का शोषण किया जाता है, तो आयोग कार्रवाई कर सकता है और जुर्माना भी लगा सकता है।
हालांकि यह संभावना कम है कि सीसीआई उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) से जुड़े मुद्दों पर विचार करेगा। क्योंकि यह विषय नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। सीसीआई ने 18 दिसंबर को जारी एक संक्षिप्त बयान में बताया था कि उसने हाल ही में अलग-अलग मार्गों पर उड़ानों में आई रुकावटों को लेकर इंडिगो के खिलाफ मिली शिकायतों पर संज्ञान लिया है। आयोग पहले उपलब्ध जानकारी के आधार पर शुरुआती जांच करेगा। इसके बाद जांच के नतीजों के आधार पर महानिदेशक कार्यालय को औपचारिक जांच शुरू करने के निर्देश दिए जा सकते हैं।