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Shashi Tharoor: बिहार में थरूर ने क्यों की एस जयशंकर की तारीफ? नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण पर भी बोले

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: शुभम कुमार Updated Tue, 23 Dec 2025 05:18 PM IST
सार

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर और विदेश मंत्रालय के योगदान की सराहना की। थरूर ने इसे महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और कहा कि वे बिहार की संस्कृति देखने आए हैं, न कि राजनीतिक एजेंडा पूरा करने।

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Shashi Tharoor Why praise S Jaishankar in Bihar He also spoke about the reconstruction of Nalanda University
कांग्रेस सांसद शशि थरूर - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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अपने सियासी रंग रुप को लेकर इन दिनों खूब चर्चा में चल रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके मंत्रालय की तारीफ की। उन्होंने कहा कि बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर और मंत्रालय के कई अनदेखे योगदान देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। थरूर ने इसे महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और विदेश मंत्रालय (एमईए) की अन्य सेवाओं के साथ इसे भी उच्च मूल्यांकन मिलने योग्य कहा।

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बता दें कि थरूर नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित साहित्य महोत्सव में शामिल होने के लिए बिहार आए थे। इस दौरान उन्होंने पटना में पत्रकारों से कहा कि मैं बिहार की संस्कृति को देखने आया हूं, कोई राजनीतिक एजेंडा पूरा करने नहीं। उन्होंने अन्य लोगों को भी बिहार म्यूजियम और बापू टावर देखने की सलाह दी।

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थरूर ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार का स्वागत किया
थरूर ने कहा कि भारत अब दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। हालांकि कुछ विश्वविद्यालय अब शीर्ष 200 में आए हैं, लेकिन कोई भी शीर्ष 10 या 50 में शामिल नहीं है। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार का स्वागत किया और इसे भारत की सभ्यतागत विरासत का प्रतीक बताया। उन्होंने नालंदा महाविहार के इतिहास को याद करते हुए कहा कि यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 13वीं शताब्दी तक शिक्षा और अध्ययन का प्रमुख केंद्र था। इसकी खुदाई स्थल अब यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जिसे 2016 में यह दर्जा मिला।

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नालंदा विश्वविद्यालय को बताया असाधारण

थरूर ने कहा कि यह प्राचीन विश्वविद्यालय केवल इसलिए ही विश्व स्तर का नहीं था कि प्रतिस्पर्धा कम थी, बल्कि यह एक असाधारण संस्थान था। उन्होंने कहा कि लगभग 800 वर्षों के बाद इसे पुनः स्थापित किया जाना, खासकर 1200 ईस्वी में बख़्तियार खिलजी द्वारा तीसरी और अंतिम बार नष्ट किए जाने के बाद, अत्यंत संतोषजनक है। थरूर का कहना है कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण भारत की शिक्षा और सभ्यता की महानता को पुनः स्थापित करने वाला एक ऐतिहासिक कदम है।

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