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RSS Chief Mohan Bhagwat : हिंदुओं की सामर्थ्य के आगे कोई खड़ा नहीं हो सकता, वे किसी के विरोधी भी नहीं
पीटीआई, हैदराबाद
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 10 Feb 2022 07:40 AM IST
सार
11 वीं सदी के संत रामानुजाचार्य के सहस्राब्दी जयंती समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने बुधवार को हैदराबाद में यह बात कही।
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
- फोटो : ANI
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विस्तार
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदुओं की सामर्थ्य ऐसी है कि उसके आगे कोई टिक नहीं सकता है। इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू समुदाय किसी के खिलाफ भी नहीं है।
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11 वीं सदी के संत रामानुजाचार्य के सहस्राब्दी जयंती समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने बुधवार को हैदराबाद में यह बात कही। उन्होंने कहा कि देश में प्राथमिकता हिंदू हित यानी राष्ट्रीय हित होना चाहिए। अन्य हित जैसे भाषा और जाति आदि गौण हैं। हम ऐसी किसी बात में शामिल नहीं होंगे तो देश में अंदरुनी संघर्ष भड़काए। हम सम्मान के साथ रहेंगे। हमें खत्म करने के खूब प्रयास किए गए, लेकिन विफल रहे। यदि हम खत्म हो पाते तो बीते 1000 साल में ऐसा हो चुका होता, लेकिन 5000 साल पुराना हमारा सनातम धर्म अक्षुण्ण है।
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संघ प्रमुख ने कहा, 'सामर्थ्य हमारे पास ऐसी है कि हमारे सामने खड़े रहने की ताकत किसी की नहीं है। हिंदू समुदाय किसी का विरोधी भी नहीं है। हम सदियों से कायम हैं और फलते-फूलते रहे हैं।' उन्होंने आगे कहा कि जिन्होंने हिंदुओं को खत्म करने का प्रयास किया वो आज पूरी दुनिया में आपस में लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के डर का एकमात्र कारण यह है कि वे भूल गए हैं कि वे कौन हैं। उन्होंने हमें खत्म करने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज भी भारत का 'सनातन' धर्म जिंदा है। इतने अत्याचारों के बावजूद, हमारे पास 'मातृभूमि' है। हमारे पास बहुत संसाधन हैं, तो हम क्यों डरते हैं? क्योंकि हम खुद को भूल जाते हैं। स्पष्ट कमजोरी का कारण यह है कि हम जीवन के प्रति अपने समग्र दृष्टिकोण को भूल गए हैं।
संघ प्रमुख् ने कहा कि हमारे देश में हमलों का सामना करने और क्रूर अत्याचार का सामना करने के बावजूद आज भी 80 प्रतिशत हिंदू हैं। जो देश पर शासन कर रहे हैं और राजनीतिक दल चला रहे हैं, उनमें से अधिकतर हिंदू हैं। यह हमारा देश है और आज भी हमारे मंदिर हैं और मंदिर बन रहे हैं। हमारी परंपराओं ने हमें जो सिखाया वह स्थाई है। हिंदू हित यानी राष्ट्र्रहित है। यह पहली प्राथमिकता होना चाहिए। इसी तरह से हम मजबूत व सक्षम राष्ट्र बनेंगे और इससे डर का विचार खत्म होगा।