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Jaishankar Students Talk: 'दुनिया को समझो, खुद को तैयार करो', विदेश मंत्री जयशंकर ने छात्रों को दिए चार मंत्र
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Fri, 18 Jul 2025 07:39 PM IST
सार
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल के स्थापना दिवस पर छात्रों को वैश्विक सोच अपनाने और तकनीकी बदलावों के लिए तैयार रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एआई, ड्रोन और ग्रीन हाइड्रोजन की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए विद्यार्थियों को स्कूली शिक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर।
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल (TAFS) के 70वें स्थापना दिवस पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के छात्र जिन हालातों में आगे बढ़ेंगे, वह दुनिया एकदम अलग होगी। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी दुनिया होगी जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, टेक्नोलॉजी, ड्रोन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्पेस जैसी चीजें मुख्य भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में खुद को तैयार करना बेहद जरूरी है।
जयशंकर ने कहा कि जो आदतें और मूल्य स्कूल जीवन में सिखाए जाते हैं, वे भविष्य में पेशेवर जीवन में काम आते हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक डिप्लोमैट के तौर पर उन्हें बार-बार यह महसूस हुआ कि स्कूल की सिखाई गई तैयारियां, होमवर्क की आदत और पहले से चीजों को सोचने की योग्यता ही उन्हें दूसरों से आगे रखती है।
विद्यार्थियों के लिए चार अहम सलाह
विदेश मंत्री ने छात्रों को चार खास सलाह दीं। साथ ही उन्होंने कहा कि आज की दुनिया वैश्विक है, और हमें उसकी समझ होनी हर हाल में होनी चाहिए।
भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहें
जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी से लेकर अंतरराष्ट्रीय युद्धों तक, आज दुनिया में जो कुछ भी होता है, वह सीधे हमारी जिंदगी को प्रभावित करता है। इसलिए छात्रों को अब से ही वैश्विक विषयों की जानकारी लेनी चाहिए और समझना चाहिए कि भारत ‘विकसित भारत 2047’ की दिशा में क्यों काम कर रहा है।
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पढ़ाई ही नहीं, दिल से भी सीखो- एस जयशंकर
उन्होंने कहा कि दुनिया की समझ सिर्फ किताबों से नहीं आती। बच्चे म्यूजिक, फिल्मों, किताबों और स्मार्टफोन के जरिए भी दुनिया से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियां भारत का प्रतिनिधित्व इस आधार पर करेंगी कि उन्होंने दुनिया की चुनौतियों और अवसरों का कैसे सामना किया।
ये भी पढ़ें- निशिकांत दुबे बोले- पीएम मोदी के बिना 150 सीटें भी नहीं जीत पाएंगे, 2029 में उनके ही नेतृत्व में लड़ेंगे
70 साल के स्कूल में 70 साल के छात्र की वापसी
जयशंकर ने मंच से कहा कि स्कूल में लौटकर उन्हें गहरी आत्मीयता और पुरानी यादें ताजा हुईं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने स्कूल की इमारत दोबारा देखी, तो उन्हें वो क्लासरूम भी याद आ गए जहां वे पढ़ते थे। उन्होंने एक पुरानी तस्वीर का जिक्र करते हुए कहा कि वह अंतिम पंक्ति में थे। हमेशा हर कोई हर दिन सबसे अच्छा नहीं होता, और इसमें कोई बुराई नहीं।
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जयशंकर ने कहा कि जो आदतें और मूल्य स्कूल जीवन में सिखाए जाते हैं, वे भविष्य में पेशेवर जीवन में काम आते हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक डिप्लोमैट के तौर पर उन्हें बार-बार यह महसूस हुआ कि स्कूल की सिखाई गई तैयारियां, होमवर्क की आदत और पहले से चीजों को सोचने की योग्यता ही उन्हें दूसरों से आगे रखती है।
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विद्यार्थियों के लिए चार अहम सलाह
विदेश मंत्री ने छात्रों को चार खास सलाह दीं। साथ ही उन्होंने कहा कि आज की दुनिया वैश्विक है, और हमें उसकी समझ होनी हर हाल में होनी चाहिए।
- स्कूल को गंभीरता से लें और शिक्षकों की बातों को ध्यान से सुनें।
- दुनिया में क्या हो रहा है, उसमें रुचि लें
- शरीर को फिट रखें और किसी खेल में जरूर भाग लें
- खुद को खोजें और जीवन को भरपूर आनंद से जिएं।
भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहें
जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी से लेकर अंतरराष्ट्रीय युद्धों तक, आज दुनिया में जो कुछ भी होता है, वह सीधे हमारी जिंदगी को प्रभावित करता है। इसलिए छात्रों को अब से ही वैश्विक विषयों की जानकारी लेनी चाहिए और समझना चाहिए कि भारत ‘विकसित भारत 2047’ की दिशा में क्यों काम कर रहा है।
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पढ़ाई ही नहीं, दिल से भी सीखो- एस जयशंकर
उन्होंने कहा कि दुनिया की समझ सिर्फ किताबों से नहीं आती। बच्चे म्यूजिक, फिल्मों, किताबों और स्मार्टफोन के जरिए भी दुनिया से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियां भारत का प्रतिनिधित्व इस आधार पर करेंगी कि उन्होंने दुनिया की चुनौतियों और अवसरों का कैसे सामना किया।
ये भी पढ़ें- निशिकांत दुबे बोले- पीएम मोदी के बिना 150 सीटें भी नहीं जीत पाएंगे, 2029 में उनके ही नेतृत्व में लड़ेंगे
70 साल के स्कूल में 70 साल के छात्र की वापसी
जयशंकर ने मंच से कहा कि स्कूल में लौटकर उन्हें गहरी आत्मीयता और पुरानी यादें ताजा हुईं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने स्कूल की इमारत दोबारा देखी, तो उन्हें वो क्लासरूम भी याद आ गए जहां वे पढ़ते थे। उन्होंने एक पुरानी तस्वीर का जिक्र करते हुए कहा कि वह अंतिम पंक्ति में थे। हमेशा हर कोई हर दिन सबसे अच्छा नहीं होता, और इसमें कोई बुराई नहीं।
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