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Karnataka: सार्वजनिक और सरकारी संस्थानों में RSS की गतिविधियों पर लगेगी रोक, सिद्धारमैया कैबिनेट का बड़ा फैसला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 16 Oct 2025 05:14 PM IST
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सार
कर्नाटक में सार्वजनिक जगहों और सरकारी संस्थानों में आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सिद्धारमैया कैबिनेट ने नियम बनाने का फैसला किया है। इस फैसले के तहत अब राज्य में सरकारी स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों में आरएसएस या किसी भी संगठन की बिना मंजूरी गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी।

सिद्धारमैया, कर्नाटक के मुख्यमंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए सार्वजनिक जगहों और सरकारी संस्थानों में आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए नए नियम बनाने का फैसला किया है। सरकार का कहना है कि कोई भी संगठन अब बिना अनुमति सड़कों पर मार्च या सरकारी परिसरों में कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकेगा। यह निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। यह फैसला प्रियांक खरगे की उस चिट्ठी के आधार पर हुआ जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से आरएसएस और उसके संबद्ध संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की थी।
यह भी पढ़ें - Gujarat: गुजरात में सीएम भूपेंद्र पटेल को छोड़कर सभी मंत्रियों का इस्तीफा, कल होगा राज्य कैबिनेट का विस्तार
सरकार जल्द लागू करने जा रही नया नियम- प्रियांक
इस मामले में मंत्री प्रियांक खरगे ने बताया कि सरकार जल्द ही नया नियम लागू करने जा रही है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'यह नियम सार्वजनिक जगहों, सरकारी स्कूलों-कॉलेजों, सरकारी परिसरों और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों पर लागू होगा। गृह विभाग, कानून विभाग और शिक्षा विभाग के पुराने आदेशों को मिलाकर नया नियम बनाया जा रहा है। दो से तीन दिन में यह नियम कानूनी और संवैधानिक दायरे में लागू कर दिया जाएगा।'
'सार्वजनिक जगहों पर बिना अनुमति कार्यक्रम की छूट होगी खत्म'
मंत्री ने साफ किया कि सरकार किसी संगठन को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकती, लेकिन सार्वजनिक जगहों पर बिना अनुमति कार्यक्रम की छूट अब खत्म होगी। उन्होंने कहा, 'अब कोई भी संगठन सड़कों पर डंडे लहराते हुए 'पथ संचलन' (मार्च) नहीं कर सकेगा। सिर्फ सूचना देने से काम नहीं चलेगा। सरकार से अनुमति लेनी होगी, और अनुमति देना या न देना सरकार के विवेक पर होगा।' सरकार का कहना है कि अनुमति देने के लिए स्पष्ट मानक तय किए जाएंगे ताकि किसी भी गतिविधि से सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित न हो। नए नियम लागू होने के बाद बिना अनुमति ऐसी गतिविधियों को रोका जा सकेगा।
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क्या-क्या लगेंगे प्रतिबंध?
कैबिनेट के इस फैसले के बाद से सरकारी स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों में आरएसएस या किसी भी संगठन की बिना मंजूरी गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी। इसके साथ ही सार्वजनिक सड़कों पर पथ संचलन या जुलूस के लिए अब अनुमति जरूरी होगी। वहीं नियमों के उल्लंघन पर प्रशासन को कार्रवाई का अधिकार होगा। यह फैसला राज्य में लंबे समय से चल रही बहस के बीच आया है जिसमें सरकारी परिसरों में किसी भी संगठन की गतिविधियों को सीमित करने की मांग उठती रही है।

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सरकार जल्द लागू करने जा रही नया नियम- प्रियांक
इस मामले में मंत्री प्रियांक खरगे ने बताया कि सरकार जल्द ही नया नियम लागू करने जा रही है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'यह नियम सार्वजनिक जगहों, सरकारी स्कूलों-कॉलेजों, सरकारी परिसरों और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों पर लागू होगा। गृह विभाग, कानून विभाग और शिक्षा विभाग के पुराने आदेशों को मिलाकर नया नियम बनाया जा रहा है। दो से तीन दिन में यह नियम कानूनी और संवैधानिक दायरे में लागू कर दिया जाएगा।'
'सार्वजनिक जगहों पर बिना अनुमति कार्यक्रम की छूट होगी खत्म'
मंत्री ने साफ किया कि सरकार किसी संगठन को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकती, लेकिन सार्वजनिक जगहों पर बिना अनुमति कार्यक्रम की छूट अब खत्म होगी। उन्होंने कहा, 'अब कोई भी संगठन सड़कों पर डंडे लहराते हुए 'पथ संचलन' (मार्च) नहीं कर सकेगा। सिर्फ सूचना देने से काम नहीं चलेगा। सरकार से अनुमति लेनी होगी, और अनुमति देना या न देना सरकार के विवेक पर होगा।' सरकार का कहना है कि अनुमति देने के लिए स्पष्ट मानक तय किए जाएंगे ताकि किसी भी गतिविधि से सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित न हो। नए नियम लागू होने के बाद बिना अनुमति ऐसी गतिविधियों को रोका जा सकेगा।
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क्या-क्या लगेंगे प्रतिबंध?
कैबिनेट के इस फैसले के बाद से सरकारी स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों में आरएसएस या किसी भी संगठन की बिना मंजूरी गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी। इसके साथ ही सार्वजनिक सड़कों पर पथ संचलन या जुलूस के लिए अब अनुमति जरूरी होगी। वहीं नियमों के उल्लंघन पर प्रशासन को कार्रवाई का अधिकार होगा। यह फैसला राज्य में लंबे समय से चल रही बहस के बीच आया है जिसमें सरकारी परिसरों में किसी भी संगठन की गतिविधियों को सीमित करने की मांग उठती रही है।