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केरल में मस्तिष्क खाने वाली अमीबा का कहर: अब तक 19 मौतें; 3 माह के बच्चे से 91 साल के बुजुर्ग तक संक्रमित

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम Published by: शुभम कुमार Updated Thu, 18 Sep 2025 06:13 AM IST
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सार

केरल में दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाली ब्रेन-ईटिंग अमीबा बीमारी तेजी से फैल रही है। इस साल अब तक 61 मामले सामने आए हैं, जिनमें 19 लोगों की मौत हो चुकी है। नेग्लेरिया फाउलेरी नामक अमीबा से फैलने वाली यह बीमारी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी चपेट में ले रही है। राज्य में हाई अलर्ट जारी कर सभी अस्पतालों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।

Kerala Brain eating amoeba wreaks havoc 19 deaths so far from a 3-month-old baby to a 91-year-old man infected
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Freepik.com
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विस्तार
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केरल में ब्रेन ईटिंग यानी मस्तिष्क खाने वाली बीमारी अमीबा तेजी से फैल रही है। केरल में इस साल अब तक 61 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 19 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से सात मौतें पिछले एक महीने के भीतर हुई हैं जिससे लोगों की चिंता बढ़ गई है। यह मस्तिष्क में होने वाला एक गंभीर संक्रमण है और इससे पीड़ित मरीज को समय पर इलाज न मिले तो उसकी मौत हो जाती है। यह संक्रमण नेग्लेरिया फाउलेरी नामक अमीबा से होता है जो दिमाग में गंभीर सूजन और नुकसान करता है।

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अमीबा एक तरह का छोटा जीव है जो इंसान के दिमाग पर हमला करता है। इसकी कई प्रजातियां हैं और नदियों, तालाबों, मीठे पानी की झीलों, पोखरों, पानी के गड्ढों आदि में पाई जाती हैं। इसके संक्रमण से दिमागी बुखार होता है जिसे अमीबिक मेनिंगोएनसेफेलाइटिस कहते हैं। इसके संक्रमण से दिमाग में सूजन हो जाता है। मरीज को दौरे पड़ने लगते हैं। वह बार-बार बेहोश होता है और कभी-कभी कोमा में चला जाता है। लकवा का खतरा भी बढ़ जाता है। बीमारी बहुत तेजी से फैलकर जानलेवा साबित हो सकती है। इसी कारण से इसे ब्रेन ईटिंग अमीबा यानी दिमाग खाने वाला अमीबा कहा जाता है। गर्दन में अकड़न, सिरदर्द, मतली और उल्टी आना इसके प्रारंभिक लक्षण हैं।
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बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक को खतरा
इस बीमारी के फैलने से केरल में हड़कंप मचा है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का कहना है कि इस बीमारी के मामले पूरे राज्य में छिटपुट रूप से सामने आ रहे हैं। तीन महीने के शिशु से लेकर 91 साल के वृद्ध तक इसके शिकार हो रहे हैं। सरकार ने हाई अलर्ट जारी किया है और सभी अस्पतालों को हर संदिग्ध मामले की सख्त जांच करने के निर्देश दिए हैं।

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अशुद्ध पानी से होती है ये बीमारी
नई दिल्ली स्थित एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि यह बहुत ही गंभीर संक्रमण होता है। इसका मुख्य अशुद्ध पानी का सेवन होता है। अगर आप अशुद्ध पानी में तैरते हैं या फिर अशुद्ध पानी का सेवन करते हैं तो इसमें यह बीमारी हो सकती है। इसीलिए लोगों को ठहरे हुए पानी तालाब, झील, पोखरों और गड्ढों के पानी में नहीं घुसना चाहिए।

दो से तीन हफ्तों में जा सकती है जान
यह बीमारी कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे संक्रमित व्यक्ति की मौत दो से तीन हफ्ते के भीतर हो सकती है। गंभीर रूप से संक्रमित मरीज की जान चार दिन में भी जा सकती है। केरल में आमतौर पर यह संक्रमण जून- जुलाई में देखने को मिलता था। लेकिन इस बार अगस्त और सितंबर में संक्रमण और मौत दर्ज की जा रही है।

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कैसे होती है बीमारी की जांच?
डॉक्टरों बताते हैं कि समय पर जांच से इस बीमारी से बचा जा सकता है। सीएसएफ टेस्ट से इस बीमारी का पता चलता है। अगर जांच में इस अमीबा के बारे में पता चल जाए तो समय पर इसका इलाज किया जा सकता है। केरल में कई ऐसे मामले हैं जहां मरीज की जल्द जांच कर उपचार किया गया। ऐसे मामलों में मृत्युदर बहुत कम हो गई।

वर्षों से सामने आ रहे मामले
देश में यह बीमारी कोई नई नहीं है। वर्षों से इसके मामले सामने आते रहैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम होती थी। केरल में 2016 में यह बीमारी सामने आई थी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, 2019 तक देश में इस बीमारी के 17 मामले मिले थे। 2022 तक केरल में इसके केवल आठ मामले सामने आए थे। 2023 में इसके 36 मामले मिले और नौ लोगों की मौतें हो गई। इस साल यह संख्या और बढ़ गई है।

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